नई दिल्ली,2 जुलाई (युआईटीवी)- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार को अपनी बहुप्रतीक्षित पाँच देशों की विदेश यात्रा के पहले चरण के तहत अफ्रीकी देश घाना की राजधानी अकरा के लिए रवाना हुए। यह दौरा भारत की विदेश नीति में एक निर्णायक मोड़ माना जा रहा है,जिसका उद्देश्य ग्लोबल साउथ के साथ भारत के संबंधों को और मजबूत बनाना तथा अटलांटिक महासागर के दोनों किनारों पर स्थित देशों के साथ रणनीतिक साझेदारी को गहराना है। इस यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी घाना,त्रिनिदाद और टोबैगो,अर्जेंटीना,ब्राजील और नामीबिया का दौरा करेंगे।
प्रधानमंत्री मोदी ने रवाना होने से पहले अपने आधिकारिक बयान में स्पष्ट किया कि यह यात्रा सिर्फ द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ावा देने का अवसर नहीं है,बल्कि यह भारत के वैश्विक दृष्टिकोण का एक अहम हिस्सा है,जिसमें भारत अब एक ‘वैश्विक भागीदार’ की भूमिका निभा रहा है। उन्होंने कहा कि ये देश ऐतिहासिक,सांस्कृतिक,आर्थिक और बहुपक्षीय दृष्टि से भारत के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं।
प्रधानमंत्री 2-3 जुलाई को घाना के दौरे पर रहेंगे, जो राष्ट्रपति जॉन ड्रामानी महामा के विशेष निमंत्रण पर भारत-घाना साझेदारी को मजबूत करने के उद्देश्य से हो रहा है। पीएम मोदी ने घाना को ग्लोबल साउथ का एक मूल्यवान साझेदार बताते हुए कहा कि यह देश अफ्रीकी संघ और इकोवास (इकोवास) जैसी क्षेत्रीय संस्थाओं में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
प्रधानमंत्री ने स्पष्ट किया कि भारत और घाना के बीच ऊर्जा,स्वास्थ्य,निवेश,सुरक्षा और विकास सहयोग जैसे क्षेत्रों में द्विपक्षीय साझेदारी को और अधिक मजबूत किया जाएगा। एक खास बात यह भी है कि पीएम मोदी घाना की संसद को भी संबोधित करेंगे,जो कि भारत-अफ्रीका संबंधों में एक नया ऐतिहासिक क्षण होगा।
प्रधानमंत्री 3-4 जुलाई को त्रिनिदाद और टोबैगो का दौरा करेंगे। उन्होंने इसे भारत का गहरा ऐतिहासिक और सांस्कृतिक साझेदार बताया। यह यात्रा प्रवासी भारतीयों से जुड़ाव और द्विपक्षीय संबंधों को सशक्त करने का अवसर होगी। यह दौरा इसलिए भी खास है क्योंकि 180 साल पहले भारतीय मूल के लोग पहली बार इस देश में बसे थे और यह भारतीय प्रवासी समुदाय के साथ गहरे संबंधों का प्रतीक है।
यहाँ पीएम मोदी राष्ट्रपति क्रिस्टीन कार्ला कंगालू से मुलाकात करेंगे,जो हाल ही में प्रवासी भारतीय दिवस की मुख्य अतिथि भी थीं। इसके अलावा वे दूसरी बार प्रधानमंत्री बनने वाली कमला परसाद-बिसेसर से भी संवाद करेंगे। उन्होंने कहा,”यह दौरा हमारे पुश्तैनी रिश्तों को नया जीवन देगा और लोगों से लोगों के बीच संबंधों को गहराएगा।”
त्रिनिदाद और टोबैगो के बाद पीएम मोदी ब्यूनस आयर्स (अर्जेंटीना) जाएँगे। यह ऐतिहासिक यात्रा इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि पिछले 57 वर्षों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की यह पहली द्विपक्षीय यात्रा है। प्रधानमंत्री ने अर्जेंटीना को लैटिन अमेरिका में भारत का प्रमुख आर्थिक साझेदार और जी20 में एक निकट सहयोगी बताया।
वहाँ वे राष्ट्रपति जेवियर माइली से मुलाकात करेंगे,जिनसे उनकी पिछली मुलाकात पिछले साल हुई थी। दोनों नेता कृषि,ऊर्जा,व्यापार,पर्यटन,निवेश,महत्वपूर्ण खनिजों और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग को बढ़ाने पर चर्चा करेंगे।
प्रधानमंत्री मोदी 6-7 जुलाई को ब्राजील के रियो डी जनेरियो में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। भारत ब्रिक्स का संस्थापक सदस्य है और वैश्विक सहयोग को मजबूत करना चाहता है। प्रधानमंत्री ने इस मंच को उभरती अर्थव्यवस्थाओं के बीच सहयोग का एक महत्वपूर्ण मंच बताया।
उन्होंने कहा, “हम मिलकर एक अधिक शांतिपूर्ण,न्यायपूर्ण,लोकतांत्रिक और संतुलित बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था के निर्माण के लिए प्रयास करते हैं।” इस दौरान वह कई अन्य वैश्विक नेताओं से भी मुलाकात करेंगे। इसके बाद उनकी यात्रा ब्रासीलिया में एक द्विपक्षीय राजकीय दौरे के रूप में जारी रहेगी। यह यात्रा भी लगभग छह दशकों में पहली बार हो रही है।
ब्राजील यात्रा में पीएम मोदी राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला दा सिल्वा से मुलाकात करेंगे। उन्होंने कहा कि यह मौका ग्लोबल साउथ की प्राथमिकताओं को आगे बढ़ाने और ब्राजील के साथ साझेदारी को मजबूत करने का है।
इस बहु-देशीय यात्रा का अंतिम पड़ाव नामीबिया होगा,जिसे प्रधानमंत्री ने भारत का एक भरोसेमंद साझेदार बताया। यहाँ वे राष्ट्रपति नेटुम्बो नंदी-नदैतवा से मुलाकात करेंगे और सहयोग का एक नया रोडमैप तैयार करने पर विचार करेंगे।
पीएम मोदी नामीबियाई संसद के संयुक्त सत्र को भी संबोधित करेंगे। यह न केवल द्विपक्षीय रिश्तों की गहराई को दिखाएगा,बल्कि अफ्रीका में भारत की भूमिका को और अधिक स्पष्ट और मजबूत करेगा।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी इस यात्रा को भारत की वैश्विक कूटनीति में एक रणनीतिक विस्तार करार दिया। उन्होंने कहा,“मुझे विश्वास है कि मेरी पाँच देशों की यह यात्रा ग्लोबल साउथ में भारत की दोस्ती को मजबूत करेगी,अटलांटिक के दोनों किनारों पर हमारी साझेदारी को और गहरा करेगी और ब्रिक्स,अफ्रीकी संघ,इकोवास और कैरीकॉम जैसे बहुपक्षीय मंचों में हमारी भागीदारी को बढ़ाएगी।”
यह दौरा स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि भारत अब वैश्विक मंचों पर सिर्फ दर्शक नहीं, बल्कि एक निर्णायक और सक्रिय खिलाड़ी बनकर उभर रहा है। यह यात्रा भारत की सॉफ्ट पावर,रणनीतिक संबंधों और वैश्विक नेतृत्व को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा केवल राजनीतिक औपचारिकता नहीं,बल्कि भारत के विदेश नीति के नए युग की शुरुआत है। अफ्रीका से लेकर लैटिन अमेरिका तक और कैरेबियन से ब्रिक्स तक,भारत अब वैश्विक मंच पर अपनी सशक्त उपस्थिति और नेतृत्व क्षमता से विश्व व्यवस्था में नई दिशा देने को तैयार है।