लिमासोल,16 जून (युआईटीवी)- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हालिया साइप्रस यात्रा ने दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी को एक नई दिशा दी है। यह यात्रा विशेष रूप से महत्वपूर्ण है,क्योंकि यह पिछले दो दशकों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली साइप्रस यात्रा थी। प्रधानमंत्री मोदी का लारनाका अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर साइप्रस के राष्ट्रपति निकोस क्रिस्टोडौलिडेस द्वारा औपचारिक और गर्मजोशी भरे स्वागत के साथ आगमन हुआ,जो इस यात्रा की राजनयिक गहराई को दर्शाता है।
इस ऐतिहासिक यात्रा के दौरान पीएम मोदी और राष्ट्रपति क्रिस्टोडौलिडेस ने एक बिजनेस राउंडटेबल कार्यक्रम में भाग लिया,जिसमें दोनों देशों के अग्रणी उद्योगपतियों और कंपनियों के सीईओ मौजूद थे। इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी ने भारत की आर्थिक प्रगति,नवाचार,ऊर्जा,प्रौद्योगिकी,शिक्षा और व्यापारिक अवसरों के बारे में विस्तार से चर्चा की। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत और साइप्रस के बीच सहयोग के अपार अवसर मौजूद हैं,जिन्हें रणनीतिक रूप से भुनाया जा सकता है।
पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट कर जानकारी दी कि उन्होंने राष्ट्रपति निकोस क्रिस्टोडौलिडेस के साथ मिलकर व्यापार जगत के प्रमुख नेताओं से बातचीत की,जिसमें इनोवेशन,एनर्जी और टेक्नोलॉजी जैसे क्षेत्रों में सहयोग की संभावनाएँ तलाशीं। उन्होंने बताया कि भारत ने पिछले एक दशक में व्यापक विकास किया है और यह समय भारत-साइप्रस साझेदारी को नई ऊँचाइयों पर ले जाने का है।
वहीं,साइप्रस के राष्ट्रपति ने भी सोशल मीडिया पर पीएम मोदी के साथ हुई बैठक को ऐतिहासिक बताया। उन्होंने कहा कि भारत और साइप्रस आर्थिक सहयोग को गहरा करने और रणनीतिक साझेदारी के नए युग में प्रवेश करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। यह साझेदारी केवल व्यापार तक सीमित नहीं है,बल्कि यह साझा मूल्यों,विश्वास और ऐतिहासिक संबंधों पर आधारित है। राष्ट्रपति ने विशेष रूप से ‘इनोवेशन’ को दोनों देशों की साझी समृद्धि का इंजन बताया।
इस यात्रा के दौरान भारतीय समुदाय की उपस्थिति और उत्साह भी देखने लायक था। भारतीय प्रवासियों ने “वंदे मातरम्” और “भारत माता की जय” के नारों के साथ प्रधानमंत्री मोदी का भव्य स्वागत किया। यह दृश्य दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक संबंधों की गहराई और लोगों के आपसी जुड़ाव को भी दर्शाता है।
साइप्रस और भारत के बीच द्विपक्षीय संबंध केवल आर्थिक या सांस्कृतिक क्षेत्रों तक ही सीमित नहीं हैं,बल्कि ये वैश्विक मुद्दों पर भी एक-दूसरे के समर्थन से परिभाषित होते हैं। साइप्रस ने लगातार भारत के रुख का समर्थन किया है,खासकर सीमा पार से आतंकवाद जैसे मुद्दों पर। यह उल्लेखनीय है कि हाल के समय में जब तुर्की जैसे कुछ देश भारत की आंतरिक नीतियों की आलोचना कर रहे हैं,वहीं साइप्रस एक सच्चे मित्र और विश्वसनीय सहयोगी के रूप में खड़ा रहा है।
साइप्रस ने भारत के वैश्विक मंचों,विशेषकर संयुक्त राष्ट्र में स्थायी सदस्यता की आकांक्षा का समर्थन किया है। इस प्रकार,यह साझेदारी केवल वर्तमान आर्थिक या तकनीकी सहयोग तक सीमित नहीं है,बल्कि वैश्विक राजनीति और सुरक्षा के स्तर पर भी दोनों देशों के हित एक-दूसरे से जुड़े हैं।
पीएम मोदी की यह यात्रा भारत-साइप्रस संबंधों में एक मील का पत्थर साबित हुई है। व्यापार,तकनीक,ऊर्जा,शिक्षा,सांस्कृतिक आदान-प्रदान और वैश्विक मुद्दों पर सहयोग इत्यादि ये सभी पहलू इस दौरे के केंद्र में रहे। दोनों देशों की यह रणनीतिक भागीदारी आने वाले वर्षों में दक्षिण यूरोप और दक्षिण एशिया के बीच नए सहयोग के अवसर खोलने वाली है।
भारत और साइप्रस ने जिस परिपक्वता और पारस्परिक सम्मान के साथ इस यात्रा को आगे बढ़ाया है,वह वैश्विक कूटनीति में नए उदाहरण प्रस्तुत करता है। इस साझेदारी की नींव ऐतिहासिक संबंधों,आपसी विश्वास और भविष्य की साझा दृष्टि पर आधारित है और यही इस यात्रा का सबसे बड़ा संदेश है।