प्रधानमंत्री मोदी ने वाराणसी को दी 2200 करोड़ की विकास सौगात (तस्वीर क्रेडिट@jhiyabjp)

प्रधानमंत्री मोदी ने वाराणसी को दी 2200 करोड़ की विकास सौगात,किसानों को मिली किसान सम्मान निधि की 20वीं किस्त

वाराणसी,2 अगस्त (युआईटीवी)- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी को एक बार फिर बड़ी विकास योजनाओं की सौगात दी है। शनिवार को आयोजित एक भव्य समारोह में प्रधानमंत्री ने लगभग 2200 करोड़ रुपये की लागत वाली कई बहुप्रतीक्षित विकास परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास किया। इन योजनाओं का दायरा बुनियादी ढाँचे,शिक्षा,स्वास्थ्य,पर्यटन,शहरी विकास और सांस्कृतिक विरासत जैसे प्रमुख क्षेत्रों तक फैला हुआ है। प्रधानमंत्री मोदी ने इस अवसर पर देशभर के 9.7 करोड़ से अधिक किसानों के लिए प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना की 20वीं किस्त भी जारी की,जिससे करोड़ों किसानों को आर्थिक राहत प्राप्त हुई।

वाराणसी के इस कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ,उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक,केशव प्रसाद मौर्य सहित राज्य सरकार के कई मंत्री और जनप्रतिनिधि भी मौजूद थे। कार्यक्रम की शुरुआत में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सावन मास की पवित्र बेला में भावभीना स्वागत करते हुए उन्हें काशी का सच्चा सेवक बताया। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को शिवलिंग का स्मृति चिन्ह भी भेंट किया,जो काशी की आध्यात्मिक परंपरा और संस्कृति का प्रतीक है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने संबोधन में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी न केवल काशी के सांसद हैं,बल्कि इस प्राचीन नगरी के प्रति उनका जो विशेष स्नेह और समर्पण है,उसने इस शहर को वैश्विक स्तर पर एक नई पहचान दिलाई है। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री की प्रशंसा करते हुए कहा कि वे विश्व के सर्वाधिक लोकप्रिय नेता हैं और विगत 11 वर्षों में चार दर्जन से अधिक देशों ने उन्हें अपने सर्वोच्च नागरिक सम्मान से अलंकृत किया है। उन्होंने कहा कि यह भारत के लिए गर्व की बात है कि आज विश्व जनकल्याण और वैश्विक नेतृत्व के रूप में प्रधानमंत्री मोदी की दूरदर्शिता को मान्यता देता है।

इस अवसर पर योगी आदित्यनाथ ने काशी में हो रहे परिवर्तन की ओर संकेत करते हुए बताया कि प्रधानमंत्री मोदी का यह वाराणसी का 51वां दौरा है,जो इस बात का प्रमाण है कि वे अपने क्षेत्र और जनता के प्रति कितने समर्पित हैं। उन्होंने कहा कि बीते 11 वर्षों में वाराणसी में 51 हजार करोड़ रुपये की परियोजनाएँ स्वीकृत की गई हैं,जिनमें से 34 हजार करोड़ रुपये की योजनाओं का लोकार्पण हो चुका है,जबकि 16 हजार करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाएँ अभी निर्माणाधीन हैं। उन्होंने कहा कि यह अपने आप में ऐतिहासिक है कि कोई प्रधानमंत्री अपने संसदीय क्षेत्र में इतने सक्रिय रूप से लगातार विकास कार्यों की निगरानी कर रहा है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में वाराणसी के लोगों को इस विकास कार्य के लिए बधाई दी और कहा कि उनका उद्देश्य सिर्फ योजनाएँ घोषित करना नहीं है,बल्कि उनका समय पर क्रियान्वयन और जनता तक लाभ पहुँचाना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि वाराणसी न केवल भारत की सांस्कृतिक राजधानी है,बल्कि अब यह स्मार्ट और आधुनिक विकास की मिसाल भी बनती जा रही है। प्रधानमंत्री ने कहा कि इन विकास योजनाओं से न सिर्फ वाराणसी बल्कि पूर्वांचल के अन्य जिलों को भी लाभ मिलेगा।

प्रधानमंत्री ने किसान सम्मान निधि की 20वीं किस्त जारी करते हुए कहा कि यह योजना केवल आर्थिक सहायता देने का माध्यम नहीं है,बल्कि यह देश के अन्नदाता को सम्मान और सुरक्षा प्रदान करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। उन्होंने कहा कि भारत के किसान आत्मनिर्भर भारत के निर्माता हैं और सरकार उनके कल्याण के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। इस योजना के तहत जारी की गई किस्त करोड़ों किसानों के खातों में सीधे ट्रांसफर की गई,जिससे पारदर्शिता और समयबद्धता सुनिश्चित हुई है।

कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी कहा कि काशी में हो रहा परिवर्तन केवल ईंट-पत्थर का नहीं है,बल्कि यह संस्कृति और विकास के समागम का सजीव उदाहरण है। उन्होंने बताया कि वाराणसी को अब देश और दुनिया के पर्यटक एक नए रूप में देख रहे हैं। घाटों का सौंदर्यीकरण,गंगा नदी की स्वच्छता,आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर और पब्लिक ट्रांसपोर्ट को लेकर जो काम हुआ है,वह काशी के भविष्य को संवारने वाला है।

वाराणसी में हुआ यह आयोजन एक बार फिर यह साबित करता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का फोकस केवल चुनावी राजनीति नहीं,बल्कि जमीनी विकास और जनसेवा पर है। वाराणसी को देश और दुनिया की सांस्कृतिक राजधानी के रूप में स्थापित करने की दिशा में यह एक और निर्णायक कदम है। आने वाले वर्षों में इन परियोजनाओं के माध्यम से ना सिर्फ स्थानीय लोगों को रोजगार और सुविधाएँ मिलेंगी,बल्कि वाराणसी की ऐतिहासिक पहचान भी और अधिक मजबूत होगी।