डोनाल्ड ट्रंप और पीएम मोदी (तस्वीर क्रेडिट@pranaybharat)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दो दिवसीय अमेरिका यात्रा भारत-अमेरिका संबंधों के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर

नई दिल्ली, 8 फरवरी (युआईटीवी)- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 12 और 13 फरवरी को अमेरिका की आधिकारिक यात्रा पर जाएँगे। यह यात्रा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दूसरे कार्यकाल की शुरुआत के बाद पीएम मोदी की पहली अमेरिका यात्रा होगी। इस यात्रा को भारत-अमेरिका संबंधों के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर बताया गया है, जैसा कि विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को घोषणा की।

विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने बताया कि दोनों देशों के आपसी हितों पर चर्चा करने के लिए यह यात्रा अत्यधिक मूल्यवान होगी। उनका यह भी कहना था कि प्रधानमंत्री मोदी उन पहले विश्व नेताओं में शामिल हैं,जिन्हें ट्रंप के दूसरे कार्यकाल की शुरुआत के बाद अमेरिका ने आमंत्रित किया है। यह भारत और अमेरिका के मध्य बढ़ती साझेदारी और मजबूत होते संबंधों को दर्शाता है। यह संकेत देता है कि दोनों देशों के बीच संबंध अब एक नई ऊँचाई पर पहुँच गए हैं और एक नई दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।

इस यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ द्विपक्षीय बैठक करेंगे। इस बैठक में दोनों देशों के वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल होंगे और यह बैठक विभिन्न मुद्दों पर विस्तार से चर्चा करने का एक महत्वपूर्ण अवसर होगा। इसके अलावा,प्रधानमंत्री मोदी अमेरिकी प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों,व्यापारिक नेताओं और भारतीय समुदाय के सदस्य से भी मुलाकात करेंगे। इस यात्रा के दौरान व्यापार, रक्षा,पर्यावरण,ऊर्जा और अन्य वैश्विक मुद्दों पर विचार विमर्श किया जाएगा।

विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में भारत और अमेरिका के मध्य संबंधों में काफी सुधार हुआ है और यह यात्रा इस साझेदारी को और मजबूती देने का एक प्रयास है। उन्होंने यह भी याद दिलाया कि प्रधानमंत्री मोदी ने 2017 और 2019 में राष्ट्रपति ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान अमेरिका का दौरा किया था और ट्रंप के दोबारा राष्ट्रपति चुने जाने के बाद प्रधानमंत्री मोदी पहले नेताओं में शामिल थे,जिन्होंने ट्रंप को बधाई दी थी। प्रधानमंत्री ने ट्रंप के शपथ ग्रहण के बाद उन्हें फोन कर जल्द मुलाकात की इच्छा जताई थी और अब वह यात्रा पूरी हो रही है।

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने पिछले महीने वाशिंगटन में राष्ट्रपति ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह में हिस्सा लिया था और वहाँ नए अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो से मुलाकात की थी। इस मुलाकात में दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों को और बढ़ाने पर चर्चा हुई थी। इसके अलावा,उन्होंने अमेरिका के नए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार माइक वाल्ट्ज से भी मुलाकात की,जो पहले अमेरिकी कांग्रेस के सदस्य रह चुके हैं। इन बैठकों के दौरान दोनों देशों के बीच सुरक्षा और रक्षा के मुद्दों पर विचार विमर्श हुआ।

भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और अमेरिका के नए रक्षा सचिव पीट हेगसेथ के बीच गुरुवार शाम को पहली फोन वार्ता भी हुई। दोनों देशों ने इस बातचीत में रक्षा सहयोग को मजबूत करने और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में शांति बनाए रखने के लिए एकजुट होने पर चर्चा की। भारतीय और अमेरिकी रक्षा मंत्रियों ने इस क्षेत्र में एक मजबूत और स्थिर सुरक्षा माहौल बनाए रखने के लिए अपने द्विपक्षीय रक्षा संबंधों को और गहरा करने का संकल्प लिया।

इस वार्ता को लेकर अमेरिकी रक्षा विभाग ने एक बयान जारी किया,जिसमें कहा गया कि दोनों देशों ने रक्षा तकनीक और औद्योगिक सहयोग को आगे बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की है। इससे यह स्पष्ट होता है कि भारत और अमेरिका अपने रक्षा सहयोग को और मजबूत करने की दिशा में काम कर रहे हैं। दोनों देशों के बीच रक्षा संबंधों को अगले स्तर पर पहुँचाने के लिए काम किया जा रहा है।

इसमें भी उल्लेखनीय है कि भारत और अमेरिका इस साल होने वाले 2+2 मंत्रिस्तरीय संवाद की तैयारियों पर काम कर रहे हैं। इस संवाद में दोनों देशों के विदेश और रक्षा मंत्री शामिल होंगे और यह एक महत्वपूर्ण कदम होगा,जिससे दोनों देशों के संबंधों को और मजबूत किया जाएगा। इसके अलावा,अगले 10 वर्षों के लिए रक्षा सहयोग के नए ढाँचे को अंतिम रूप देने पर भी दोनों देशों के बीच चर्चा हो रही है,जिससे द्विपक्षीय रक्षा संबंधों में और गहराई आएगी।

इस यात्रा के दौरान भारत और अमेरिका के बीच न केवल रक्षा और सुरक्षा के मुद्दों पर,बल्कि व्यापार,विज्ञान,प्रौद्योगिकी,शिक्षा और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के बारे में भी चर्चा की जाएगी। प्रधानमंत्री मोदी का यह दौरा दोनों देशों के संबंधों को और अधिक मजबूती प्रदान करने का एक महत्वपूर्ण अवसर साबित होगा।

इस यात्रा को लेकर दोनों देशों में आशा जताई जा रही है कि यह यात्रा भारत-अमेरिका संबंधों में नए अध्याय की शुरुआत करेगी और इससे दोनों देशों के मध्य आर्थिक,सुरक्षा और रणनीतिक सहयोग में और वृद्धि होगी।