प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की त्रिनिदाद एंड टोबैगो यात्रा (तस्वीर क्रेडिट@SanjayPathak3)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की त्रिनिदाद एंड टोबैगो यात्रा: साझा इतिहास,भावनात्मक जुड़ाव और वैश्विक नेतृत्व का प्रतीक

पोर्ट ऑफ स्पेन,4 जुलाई (युआईटीवी)- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बहुप्रतीक्षित बहुराष्ट्रीय यात्रा के दूसरे चरण में शुक्रवार को वे त्रिनिदाद एंड टोबैगो पहुँचे,जहाँ उनका पारंपरिक तरीके से भव्य स्वागत किया गया। यह यात्रा त्रिनिदाद एंड टोबैगो की प्रधानमंत्री कमला पर्साद-बिसेसर के विशेष निमंत्रण पर हो रही है और यह 1999 के बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली द्विपक्षीय यात्रा है। प्रधानमंत्री मोदी के आगमन से इस कैरिबियाई देश और भारत के बीच संबंधों में नई ऊर्जा,भावनात्मक गहराई और कूटनीतिक मजबूती का संदेश गया।

प्रधानमंत्री मोदी और प्रधानमंत्री कमला पर्साद-बिसेसर के बीच हुई मुलाकात सिर्फ राजनीतिक नहीं,बल्कि सांस्कृतिक और भावनात्मक रूप से भी ऐतिहासिक रही। इस दौरान एक बहुत ही खास क्षण तब सामने आया,जब कमला पर्साद ने मोदी की लिखी पुस्तक ‘आँख आ धन्य छे’ में प्रकाशित एक कविता का उल्लेख किया।

यह कविता गुजराती भाषा में लिखी गई है और इसमें भारतीय प्रवासियों के संघर्ष, स्मृतियों और भावनाओं को अत्यंत संवेदनशीलता से प्रस्तुत किया गया है। कमला ने इस कविता को पढ़ते हुए भारत और त्रिनिदाद जैसे देशों के बीच साझा इतिहास और सांस्कृतिक संबंधों की अमिट छाप को रेखांकित किया।

कविता के भाव:
“मेरे मन की गहराइयों में,मैं अतीत में बहुत दूर जाता हूँ।
हर पल एक याद बनकर खुलता है,मेरी स्मृतियाँ आसानी से लौट आती हैं।
हर चेहरा आसानी से पहचाना जाता है,कुछ भी छिपा नहीं रहता,क्योंकि सत्य साफ दिखाई देता है।
हमारे उन साथियों के लिए,जिनके साथ हमने कष्ट सहे।
वे कभी भुलाए नहीं जाते,एक साथ सहे उन कष्टों को अंत में वे ही यात्रा बन जाते हैं।”

इस कविता ने न केवल वहाँ मौजूद प्रवासी भारतीयों के दिलों को छुआ,बल्कि यह भी स्पष्ट किया कि प्रधानमंत्री मोदी प्रवासी समुदाय के साथ भावनात्मक रूप से गहराई से जुड़े हुए हैं।

अपने स्वागत भाषण में प्रधानमंत्री कमला पर्साद ने प्रधानमंत्री मोदी को “विश्व के सबसे सम्मानित और दूरदर्शी नेताओं में से एक” बताया। उन्होंने कहा,“यह दौरा केवल कूटनीतिक नहीं,बल्कि हमारे लिए बहुत ही सम्मानजनक और आत्मीयता से भरा हुआ क्षण है। हमें गर्व है कि हम एक ऐसे नेता की मेज़बानी कर रहे हैं,जो हमारे दिलों के बेहद करीब हैं।”

उन्होंने आगे कहा,“प्रधानमंत्री मोदी एक परिवर्तनकारी शक्ति हैं। आपने भारत के शासन तंत्र को आधुनिकता की दिशा में मोड़ा है,भारतीय अर्थव्यवस्था को वैश्विक मंच पर मज़बूती से स्थापित किया है और एक अरब से अधिक लोगों को सशक्त किया है।”

कमला ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने न केवल भारत को आर्थिक रूप से मजबूत किया,बल्कि विश्व भर के भारतीयों के हृदय में गर्व की भावना भी जगाई है।

प्रधानमंत्री कमला पर्साद-बिसेसर ने विशेष रूप से कोविड-19 महामारी के दौरान प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि जब पूरी दुनिया अनिश्चितता और संकट से जूझ रही थी,तब भारत ने “वैक्सीन मैत्री” पहल के तहत कई देशों को टीके प्रदान कर एक मानवीय नेतृत्व की मिसाल पेश की।

“भारत ने न केवल अपने नागरिकों की रक्षा की,बल्कि वैश्विक समुदाय की सेवा में भी अग्रणी भूमिका निभाई। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत ने यह दिखा दिया कि संकट के समय में विश्व का सच्चा मित्र कौन है।”

प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा भारत और त्रिनिदाद एंड टोबैगो के बीच सांस्कृतिक सहयोग,शिक्षा और कौशल विकास,टेक्नोलॉजी और डिजिटल कनेक्टिविटी,जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए सहयोग तथा व्यापार एवं निवेश के क्षेत्र में नई संभावनाओं के द्वार खोल रही है।

त्रिनिदाद एंड टोबैगो में भारतीय मूल के लोगों की बड़ी संख्या है,जो दोनों देशों को इतिहास,भावनाओं और संस्कृति के धागों से जोड़ती है। प्रधानमंत्री मोदी ने हमेशा प्रवासी भारतीयों के योगदान को महत्व दिया है और यह दौरा उसी दृष्टिकोण को मजबूत करता है।

प्रधानमंत्री मोदी का यह दौरा केवल द्विपक्षीय एजेंडे तक सीमित नहीं है,बल्कि यह भारतीय कूटनीति में “संवेदनशीलता और साझेदारी” के नए युग का प्रतीक भी बन गया है। यह यात्रा दिखाती है कि भारत अब केवल एक वैश्विक शक्ति ही नहीं,बल्कि एक संवेदनशील,सशक्त और संवाद-प्रधान राष्ट्र भी है।

प्रधानमंत्री मोदी की त्रिनिदाद यात्रा ने स्पष्ट कर दिया कि राजनीति और राजनय तब प्रभावशाली हो जाती है,जब उसमें संवेदना,संस्कृति और मानवीय जुड़ाव का समावेश हो। प्रधानमंत्री कमला द्वारा कविता का उल्लेख और मोदी की सराहना इस बात का प्रमाण है कि भारतीय नेतृत्व अब सिर्फ आर्थिक और सामरिक रणनीतियों तक सीमित नहीं,बल्कि विश्व समुदाय के दिलों में भी अपनी जगह बना चुका है।

यह दौरा भारत की “वसुधैव कुटुंबकम्” की भावना का जीता-जागता उदाहरण है और आने वाले वर्षों में भारत-कैरिबियाई सहयोग को एक नए आयाम पर ले जाने की नींव रखता है।