नई दिल्ली, 28 जनवरी (युआईटीवी/आईएएनएस)| दिल्ली विश्वविद्यालय में नए कुलपति की नियुक्ति होने और उसके दो महीने बाद तक विश्वविद्यालय में किसी भी तरह की नियुक्ति प्रक्रिया पर रोक लगाई गई है। शिक्षक संगठन दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन (डीटीए) ने यूजीसी के इस निर्देश पर आपत्ति जताई है। इसे डीटीए ने दिल्ली विश्वविद्यालय की स्वायत्तता पर सीधा हमला बताया है। पिछले तीन महीने से दिल्ली विश्वविद्यालय के विभागों में सहायक प्रोफेसर के पदों पर स्थायी नियुक्ति की प्रक्रिया चल रही थी। साथ ही इन विभागों में लंबे समय से शिक्षकों की रुकी हुई पदोन्नति की प्रक्रिया भी चल रही थी। दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन के प्रभारी प्रोफेसर हंसराज सुमन ने बताया है कि यूजीसी द्वारा निर्देश जारी कर यह कहा गया है कि नए कुलपति की नियुक्ति होने तक अन्य नियुक्ति प्रक्रिया रुकी रहेंगी।
प्रोफेसर सुमन ने कहा कि, “शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया को पहले ही लंबे समय से रोके रखा गया था। कार्यवाहक कुलपति प्रोफेसर पीसी जोशी के नेतृत्व में पिछले कई महीनों से शिक्षकों की नियुक्ति व पदोन्नति का कार्य शुरू किया गया है। लेकिन अब यूजीसी ने नए कुलपति के नियुक्ति होने तक डीयू में नियुक्ति प्रक्रिया पर रोक लगा दी है।”
प्रोफेसर सुमन का कहना है कि, “दिल्ली विश्वविद्यालय में शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया को रोककर आने वाले नए कुलपति से अपनी पसंद के लोगों की नियुक्ति करवाना चाहते हैं। वर्तमान कार्यवाहक कुलपति प्रोफेसर जोशी व डीन ऑफ कॉलेजिज डॉ. बलिराम पाणि के कार्यो से हर शिक्षक संगठन खुश है। यूजीसी द्वारा नियुक्ति की प्रक्रिया को रोकना सरासर विश्वविद्यालय की स्वायत्तता को दबाना है।”
प्रोफेसर सुमन ने बताया है कि, “पूर्व कुलपति के समय अंतिम दिन तक नियुक्तियां हुई हैं। उस समय यूजीसी ने उन्हें क्यों नहीं रोका। कुछ खास लोगों के इशारे पर नियुक्तियों को रोका जा रहा है। जिस तरह से पूर्व वाइस चांसलर अपने कार्यकाल में नियुक्ति की उसी तरह से कार्यवाहक कुलपति भी नियुक्ति प्रक्रिया जारी रखें।”
