नई दिल्ली,22 अगस्त (युआईटीवी)- पंजाबी सिनेमा और कॉमेडी की दुनिया के लिए शुक्रवार का दिन बेहद दर्दनाक साबित हुआ। हँसी और व्यंग्य की अपनी अनूठी शैली से लाखों दिलों को जीतने वाले दिग्गज अभिनेता और कॉमेडियन जसविंदर भल्ला का 65 वर्ष की आयु में निधन हो गया। मोहाली के फोर्टिस अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली। लंबे समय से बीमार चल रहे भल्ला के निधन की खबर ने पंजाबी फिल्म इंडस्ट्री ही नहीं,बल्कि उनके तमाम चाहने वालों को गहरे शोक में डाल दिया है। उनका अंतिम संस्कार शनिवार दोपहर 12 बजे मोहाली के नजदीकी शमशान घाट पर किया जाएगा,जहाँ उनके प्रशंसक और फिल्म जगत से जुड़े लोग उन्हें अंतिम विदाई देंगे।
जसविंदर भल्ला का जन्म 4 मई 1960 को लुधियाना जिले के दोराहा कस्बे में हुआ था। बचपन से ही वह अपनी चुटीली बातों और मजाकिया स्वभाव से लोगों को हँसाते रहे। हालाँकि,उन्होंने अपने करियर की शुरुआत मनोरंजन जगत से नहीं,बल्कि शिक्षा क्षेत्र से की थी। पेशे से वह एक प्रोफेसर रहे,लेकिन किस्मत ने उन्हें एक ऐसा मुकाम दिया,जिसने उन्हें हर घर में मशहूर कर दिया। अपने अध्यापन के कार्यकाल के साथ-साथ उन्होंने हास्य लेखन और छोटे-छोटे कार्यक्रमों में भाग लेना शुरू किया और धीरे-धीरे उनका रुझान फिल्मों की ओर बढ़ता गया।
साल 1988 में उन्होंने फिल्मों में कदम रखा और पहले ही प्रयास में दर्शकों के दिलों में अपनी जगह बना ली। उनकी कॉमिक टाइमिंग और व्यंग्य की धार ने उन्हें पंजाबी फिल्म इंडस्ट्री का एक ऐसा सितारा बना दिया,जो हर फिल्म को अपनी मौजूदगी से खास बना देता था। चाहे वह ‘नौकर वोहटी दा’ हो या ‘बैंड बाजे’, ‘गड्डी चलती है छलांगा मार के’ हो या सुपरहिट ‘कैरी ऑन जट्टा’,जसविंदर भल्ला ने हर बार दर्शकों को हँसी से लोटपोट किया। उनकी चुटीली अदाकारी और सादगी से भरे संवाद ऐसे थे,जिन्हें सुनकर हर वर्ग का दर्शक उनसे जुड़ाव महसूस करता था।
जसविंदर भल्ला ने सिर्फ हँसाया ही नहीं,बल्कि अपने व्यंग्य और ह्यूमर के माध्यम से समाज के मुद्दों को भी हल्के-फुल्के अंदाज में सामने रखा। यही उनकी सबसे बड़ी खूबी रही कि वह अपनी बातों को मनोरंजन के साथ-साथ सोचने पर मजबूर भी कर देते थे। दर्शकों के चेहरे पर मुस्कान बिखेरना उनकी पहचान बन गई थी। उनके अभिनय में कहीं-न-कहीं पंजाब की मिट्टी की खुशबू और वहाँ के आम लोगों का जीवन झलकता था।
उनका सफर सिर्फ पंजाबी फिल्मों तक ही सीमित नहीं रहा। टेलीविजन और मंचीय प्रस्तुतियों के जरिए भी उन्होंने अपनी कला का लोहा मनवाया। उनके नाम के साथ ‘कॉमेडी के बेताज बादशाह’ का ताज इसलिए जुड़ा,क्योंकि वह हर बार कुछ नया लेकर आते थे और दर्शकों को निराश नहीं करते थे। उनके हास्य के अंदाज ने पंजाब की सीमाओं को लांघकर भारत ही नहीं,बल्कि दुनियाभर में बसे पंजाबी समुदाय के दिलों में जगह बनाई।
भल्ला के निधन से पूरी पंजाबी फिल्म इंडस्ट्री शोक में डूब गई है। सोशल मीडिया पर उनके प्रशंसक और साथी कलाकार लगातार अपनी संवेदनाएँ व्यक्त कर रहे हैं। फिल्म निर्माता अमित बावा ने एक्स पर लिखा, “दुनिया को हँसाने वाला आज हमें रुला कर चला गया। जसविंदर भल्ला भारत के बेहतरीन कलाकारों में से एक थे। पंजाबी फिल्म इंडस्ट्री को दुनिया में पहचान दिलाने में उनकी भूमिका बेहद महत्वपूर्ण रही। उनका निधन अपूरणीय क्षति है। वाहे गुरु परिवार को इस दुःख की घड़ी में साहस प्रदान करें।” इसी तरह कई कलाकारों और प्रशंसकों ने भी उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए लिखा कि भल्ला ने हर चेहरे पर मुस्कान बिखेरी और उनका जाना हास्य जगत के लिए गहरी चोट है।
भल्ला की विरासत उनके काम में है। उन्होंने साबित किया कि कॉमेडी केवल हँसी का साधन नहीं,बल्कि समाज को आईना दिखाने का भी एक तरीका हो सकती है। उनके संवाद,उनका अंदाज और उनकी सहजता पंजाबी सिनेमा के इतिहास में हमेशा दर्ज रहेंगे। उन्होंने नई पीढ़ी के कलाकारों को यह सिखाया कि कॉमेडी में भी गंभीरता और गहराई हो सकती है।
आज जब उनके चाहने वाले गमगीन हैं,तो वही पुराने संवाद और दृश्य याद आ रहे हैं,जिन्होंने कभी सबको पेट पकड़कर हँसने पर मजबूर कर दिया था। यह विडंबना ही है कि हँसी का एक बड़ा कारण आज सबको रुला गया।
जसविंदर भल्ला का सफर भले ही अब समाप्त हो गया हो,लेकिन उनके किरदार और उनका हास्य हमेशा जीवित रहेगा। पंजाबी सिनेमा का यह चमकता सितारा और हँसी का यह अनमोल खजाना आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देता रहेगा कि सच्ची कला वही है,जो लोगों के दिलों को छू जाए और जीवन के कठिन क्षणों में भी उनके चेहरे पर मुस्कान ला दे। जसविंदर भल्ला का जाना सिर्फ एक अभिनेता का जाना नहीं है,बल्कि पंजाबी सिनेमा के उस युग का अंत है,जिसने कॉमेडी को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया।