नई दिल्ली,29 अप्रैल (युआईटीवी)- कांग्रेस नेता राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले की गंभीरता को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर संसद के दोनों सदनों का विशेष सत्र तुरंत बुलाने की माँग की है। उनका उद्देश्य आतंकवाद के खिलाफ पूरे देश की संवैधानिक एकता और सामूहिक दृढ़ संकल्प को प्रदर्शित करने का है।
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री को लिखे गए अपने पत्र में कहा है कि इस कठिन समय में देश को यह दिखाने की आवश्यकता है कि भारत आतंकवाद के खिलाफ पूरी तरह से एकजुट है। उन्होंने लिखा कि, “पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले से हर भारतीय क्षुब्ध है। इस महत्वपूर्ण समय में, भारत को यह दिखाना चाहिए कि हम आतंकवाद के खिलाफ हमेशा एकजुट रहेंगे।”
राहुल गांधी ने यह भी स्पष्ट किया कि यह संसद का विशेष सत्र सरकार और विपक्ष दोनों के एक साथ आने का एक मंच होगा,जहाँ प्रतिनिधि यह प्रदर्शित कर सकेंगे कि जब देश की सुरक्षा की बात आती है,तब राजनीतिक मतभेद गौण हो जाते हैं।
राहुल गांधी ने संसद के विशेष सत्र की माँग को सिर्फ एकजुटता के प्रदर्शन तक सीमित नहीं रखा,बल्कि यह भी कहा कि यह सरकार को अपनी सुरक्षा रणनीतियों और नीतियों को साझा करने का अवसर देगा। इससे न केवल जनता में विश्वास बढ़ेगा,बल्कि एक रचनात्मक बहस और सहयोग का माहौल भी बनेगा,जो लोकतंत्र की मूल भावना का परिचायक है।
उनका यह आग्रह बताता है कि विपक्ष इस हमले को सिर्फ राजनीतिक दृष्टिकोण से नहीं,बल्कि राष्ट्रीय संकट के रूप में देख रहा है और इस पर संसदीय संवाद आवश्यक है।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी प्रधानमंत्री को अलग से पत्र लिखकर संसद का विशेष सत्र बुलाने की अपील की है। उन्होंने अपने पत्र में इस हमले को निर्दोष नागरिकों पर क्रूर हमला बताते हुए कहा कि, “ऐसे समय में जब एकता और एकजुटता की सबसे अधिक आवश्यकता है,विपक्ष का मानना है कि संसद का विशेष सत्र बुलाना बेहद जरूरी है। यह सत्र पहलगाम में हुए क्रूर आतंकवादी हमले से निपटने के लिए हमारे सामूहिक संकल्प और इच्छाशक्ति का शक्तिशाली प्रदर्शन होगा।”
उन्होंने यह भी कहा कि यह सत्र भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था की गंभीरता और उत्तरदायित्व की भावना को प्रदर्शित करेगा।
राहुल गांधी और खड़गे दोनों ने इस बात पर ज़ोर दिया कि विपक्ष सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा है। इसका सीधा संदेश यह है कि आतंकवाद जैसे गंभीर मुद्दों पर राजनीतिक प्रतिस्पर्धा को एक तरफ रखकर राष्ट्रहित में एकजुटता आवश्यक है।
यह माँग यह भी स्पष्ट करती है कि विपक्ष संसद में सिर्फ आलोचना के लिए नहीं, बल्कि संवाद,सहयोग और समाधान की दिशा में भी प्रयासरत है। इस विशेष सत्र के माध्यम से वे चाहते हैं कि देश के प्रतिनिधि मिलकर आतंकवाद के खिलाफ अपनी रणनीतियों पर विचार करें,सुरक्षा एजेंसियों को और मजबूती देने के सुझाव दें और राष्ट्रीय सुरक्षा पर स्पष्ट रोडमैप तैयार करें।
पहलगाम हमले ने एक बार फिर यह याद दिलाया है कि आतंकवाद भारत के लिए अब भी एक गंभीर चुनौती है। संसद देश का सर्वोच्च मंच है और ऐसे संकट के समय में वहाँ से निकलने वाला एकजुटता का संदेश पूरे देश और दुनिया के लिए बेहद प्रभावशाली होता है।
राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे की माँग एक राजनीतिक कदम नहीं,बल्कि एक राष्ट्रीय ज़िम्मेदारी का निर्वहन है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार इस पर क्या निर्णय लेते हैं।