नई दिल्ली,29 अक्टूबर (युआईटीवी)- बिहार विधानसभा चुनाव की सरगर्मी अब तेज हो चली है। राज्य में महागठबंधन ने अपने चुनावी अभियान को धार देने के लिए कमर कस ली है। इस बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी बुधवार से बिहार में महागठबंधन के प्रचार अभियान की शुरुआत करेंगे। राहुल गांधी इस दौरान राजद नेता और महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार तेजस्वी यादव के साथ मंच साझा करेंगे। दोनों नेता संयुक्त जनसभाओं के माध्यम से मतदाताओं से महागठबंधन के उम्मीदवारों के पक्ष में वोट करने की अपील करेंगे।
राहुल गांधी का यह दौरा बिहार विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस के चुनावी अभियान की औपचारिक शुरुआत माना जा रहा है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक,राहुल गांधी बुधवार को दो महत्वपूर्ण जनसभाओं को संबोधित करेंगे। पहली जनसभा दोपहर 12:30 बजे मुजफ्फरपुर जिले के मझौलिया स्थित श्री कृष्ण राय यादव मैदान, सादपुरा बुजुर्ग में आयोजित की जाएगी,जबकि दूसरी जनसभा दोपहर 2:15 बजे दरभंगा के गंगा भगत मेमोरियल मैदान में होगी। दोनों कार्यक्रमों में तेजस्वी यादव उनके साथ रहेंगे। बताया जा रहा है कि इन सभाओं के माध्यम से महागठबंधन बिहार के उत्तरी क्षेत्रों में अपनी चुनावी पकड़ को मजबूत करने की रणनीति बना रहा है।
कांग्रेस के बिहार प्रभारी भक्त चरण दास ने बताया कि राहुल गांधी का यह दौरा महागठबंधन के लिए निर्णायक साबित हो सकता है। उन्होंने कहा कि “राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की जोड़ी युवाओं और किसानों के बीच मजबूत संदेश देने वाली है। जनता महँगाई,बेरोजगारी और भ्रष्टाचार के मुद्दों से परेशान है और अब बदलाव चाहती है।”
राहुल गांधी ने इससे पहले ‘वोटर अधिकार यात्रा’ के माध्यम से बिहार के कई जिलों का दौरा किया था। इस यात्रा में उन्होंने लगभग 1,300 किलोमीटर की दूरी तय की थी और 16 दिनों तक राज्य के अलग-अलग हिस्सों में लोगों से सीधा संवाद किया था। इस यात्रा के दौरान राहुल ने गाँव-गाँव जाकर लोगों की समस्याएँ सुनी थीं और केंद्र तथा राज्य सरकार पर बेरोजगारी,कृषि संकट और महँगाई के मुद्दों पर निशाना साधा था। अब जब वे चुनावी माहौल में एक बार फिर बिहार लौट रहे हैं,तो कांग्रेस और राजद दोनों को उम्मीद है कि इसका असर मतदाताओं पर पड़ेगा।
महागठबंधन के नेताओं का कहना है कि राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की साझा रैलियाँ युवाओं और किसानों को एकजुट करने में मददगार साबित होंगी। तेजस्वी यादव लगातार राज्य की भाजपा-जदयू सरकार पर निशाना साधते हुए यह दावा कर रहे हैं कि बिहार में रोजगार और शिक्षा के हालात लगातार बिगड़े हैं। वहीं,राहुल गांधी अपने भाषणों में केंद्र की मोदी सरकार पर भी तीखे प्रहार करने की संभावना रखते हैं,खासकर बेरोजगारी और आर्थिक असमानता के मुद्दों पर।
कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने जानकारी दी कि “लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी 29 अक्टूबर को बिहार आ रहे हैं। इसके बाद प्रियंका गांधी वाड्रा और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के भी कई कार्यक्रम तय किए गए हैं।” खेड़ा ने कहा कि कांग्रेस इस बार बिहार में पूरी मजबूती के साथ उतर रही है और महागठबंधन के सभी घटक दल एकजुट होकर भाजपा-जदयू गठबंधन को सत्ता से बाहर करने का संकल्प ले चुके हैं।
दूसरी ओर,एनडीए के नेताओं ने राहुल गांधी के बिहार दौरे पर कटाक्ष किया है। भाजपा प्रवक्ता अरविंद कुमार सिंह ने कहा कि “राहुल गांधी के दौरे से बिहार की राजनीति पर कोई असर नहीं पड़ेगा। उनकी ‘वोटर अधिकार यात्रा’ के दौरान भी उन्होंने केवल भ्रम फैलाने का काम किया। एसआईआर के नाम पर चलाई गई यह यात्रा सिर्फ एक ‘राजनीतिक टूरिस्ट अभियान’ बनकर रह गई थी। बिहार की जनता अब उनके झूठे वादों में आने वाली नहीं है।” भाजपा का कहना है कि महागठबंधन के पास न तो ठोस नीति है और न ही स्थायी नेतृत्व।
राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की यह साझा रैली बिहार के चुनावी परिदृश्य में नई ऊर्जा भर सकती है। दोनों नेताओं की युवा छवि और रोजगार जैसे स्थानीय मुद्दों पर फोकस महागठबंधन के लिए लाभदायक साबित हो सकता है। साथ ही,यह भी माना जा रहा है कि राहुल का बिहार में सक्रिय होना कांग्रेस के संगठनात्मक ढाँचे को भी मजबूत करेगा,जो पिछले कुछ वर्षों से कमजोर पड़ा था।
कांग्रेस और राजद की संयुक्त रणनीति के तहत अब आने वाले दिनों में राज्य के अन्य जिलों में भी संयुक्त सभाओं और रोड शो की योजना बनाई गई है। पार्टी नेताओं का कहना है कि राहुल गांधी के बाद प्रियंका गांधी वाड्रा की भी बिहार यात्रा प्रस्तावित है,जिससे महागठबंधन का प्रचार अभियान और गति पकड़ेगा।
इस बीच, जनता दल (यूनाइटेड) और भाजपा ने भी अपने प्रचार अभियान को तेज कर दिया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जल्द ही बिहार में कई संयुक्त सभाएँ करने वाले हैं। इससे राज्य में चुनावी मुकाबला सीधा एनडीए बनाम महागठबंधन की दिशा में जाता दिख रहा है।
अब सबकी निगाहें बुधवार को होने वाली राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की संयुक्त रैलियों पर टिकी हैं। इन रैलियों के भीड़ और जनसमर्थन से यह तय होगा कि महागठबंधन अपने संदेश को जनता तक कितनी प्रभावी ढंग से पहुँचा पाता है। बिहार की राजनीति एक बार फिर गर्म हो गई है और चुनावी मैदान में अब असली मुकाबले की शुरुआत हो चुकी है।

