राहुल गांधी

राहुल गांधी का युवाओं को संदेश: लोकतंत्र और संविधान बचाने का संकल्प या सिर्फ राजनीतिक दांव?

नई दिल्ली,19 सितंबर (युआईटीवी)- कांग्रेस नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने एक बार फिर देश के युवाओं को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर एक पोस्ट करते हुए कहा कि देश का युवा, खासकर जेन-जी यानी नई पीढ़ी ही असली ‘विंगार्ड’ है,जो लोकतंत्र और संविधान की रक्षा करेगा। राहुल गांधी ने अपने संदेश में साफ कहा कि आने वाले समय में वोट चोरी को रोकने और लोकतंत्र को बचाने की जिम्मेदारी युवाओं के कंधों पर है और वह हमेशा इस संघर्ष में उनके साथ खड़े रहेंगे।

राहुल गांधी का यह संदेश ऐसे समय आया है,जब दक्षिण एशिया के कई देशों में युवाओं की भूमिका तेजी से राजनीतिक बदलाव की वजह बन रही है। नेपाल और बांग्लादेश में हाल के दिनों में हुए छात्र और युवा आंदोलनों ने सरकारों को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया। नेपाल में जहाँ सरकार विरोधी प्रदर्शनों में युवाओं की भागीदारी ने बड़ा असर डाला,वहीं बांग्लादेश में भी छात्रों के आंदोलन ने सत्ता की नीतियों को चुनौती दी। इन घटनाओं ने पूरे दक्षिण एशिया में युवाओं की ताकत और उनकी सक्रिय भूमिका को फिर से उजागर कर दिया है।

भारत में भी 2025 और 2026 के विधानसभा चुनावों से पहले राहुल गांधी का यह संदेश केवल भावनात्मक अपील नहीं,बल्कि एक रणनीतिक कदम माना जा रहा है। कांग्रेस लंबे समय से युवाओं को अपने पाले में करने की कोशिश करती रही है,लेकिन हाल के वर्षों में भाजपा की तुलना में इस वर्ग तक उसकी पहुँच सीमित दिखी है। ऐसे में राहुल गांधी का यह संदेश युवाओं से सीधा संवाद स्थापित करने और उन्हें ‘संविधान बचाने’ के मिशन से जोड़ने की कवायद के रूप में देखा जा रहा है।

राहुल गांधी ने अपने पोस्ट में लिखा, “देश का युवा,देश का छात्र,जेन-जी संविधान को बचाएगा,लोकतंत्र की रक्षा करेगा और वोट चोरी को रोकेगा। मैं हमेशा उनके साथ हूँ।” इस बयान के पीछे छिपा संदेश साफ है कि राहुल गांधी युवाओं को केवल मतदाता नहीं,बल्कि लोकतंत्र के प्रहरी के रूप में पेश करना चाहते हैं।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि राहुल गांधी का यह संदेश युवाओं की बढ़ती राजनीतिक जागरूकता पर आधारित है। देश में जेन-जी की बड़ी संख्या पहली बार वोट डालने जा रही है और यह वर्ग चुनावी राजनीति में निर्णायक भूमिका निभा सकता है। 2025 और 2026 के विधानसभा चुनावों में यह नया मतदाता समूह संतुलन बिगाड़ने या बनाने में अहम योगदान देगा। कांग्रेस चाहती है कि यह वर्ग उसके साथ खड़ा हो,ताकि भाजपा के मजबूत वोट बैंक को चुनौती दी जा सके।

हालाँकि,राहुल गांधी के इस बयान पर भाजपा ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने उनके पोस्ट को रिपोस्ट करते हुए लिखा कि जेन-जी परिवारवाद के खिलाफ है। उन्होंने सवाल उठाया कि जब यह पीढ़ी पंडित नेहरू,इंदिरा गांधी,राजीव गांधी और सोनिया गांधी की विरासत के बाद राहुल गांधी को देखेगी,तो वह परिवारवाद को क्यों बर्दाश्त करेगी? दुबे ने अपने बयान में आगे कहा कि जेन-जी भ्रष्टाचार के खिलाफ है और ऐसे में वह कांग्रेस और राहुल गांधी को क्यों बख्शेगी?

उन्होंने यहाँ तक कह डाला कि जेन-जी बांग्लादेश में इस्लामिक राष्ट्र और नेपाल में हिंदू राष्ट्र की माँग का समर्थन कर रहा है,तो वह भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने की माँग से पीछे क्यों हटेगा? दुबे का यह बयान सीधे तौर पर कांग्रेस की विचारधारा पर सवाल उठाता है और युवाओं को यह संदेश देने की कोशिश करता है कि कांग्रेस का युवा एजेंडा केवल राजनीतिक बयानबाजी है।

इस बहस के बीच सोशल मीडिया पर भी राहुल गांधी का यह पोस्ट चर्चा का विषय बन गया है। #जेन-जी फॉर डेमोक्रेसी जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे हैं,जहाँ कांग्रेस समर्थक इसे युवाओं के साथ जुड़ने वाला संकल्प संदेश बता रहे हैं। उनका कहना है कि राहुल गांधी ने युवाओं की ताकत को पहचाना है और उन्हें लोकतंत्र की लड़ाई में अग्रिम पंक्ति का योद्धा माना है। दूसरी ओर,भाजपा समर्थक इसे केवल दिखावटी बयान मानते हुए कह रहे हैं कि कांग्रेस अब भी परिवारवाद और पुराने ढर्रे से बाहर नहीं निकल पाई है।

युवाओं के बीच यह संदेश कितना असर डालेगा,यह आने वाले महीनों में साफ हो जाएगा,लेकिन यह भी सच है कि भारत की राजनीति में जेन-जी अब केवल दर्शक नहीं रह गई है। सोशल मीडिया पर उनकी मौजूदगी,आंदोलनों में उनकी भागीदारी और चुनावों में उनकी निर्णायक संख्या उन्हें राजनीतिक दलों के लिए ‘किंगमेकर’ बना सकती है। राहुल गांधी का यह संदेश इस वर्ग को साधने की दिशा में पहला बड़ा कदम माना जा सकता है।

कांग्रेस समर्थकों का मानना है कि राहुल गांधी का यह बयान केवल राजनीतिक दांव नहीं,बल्कि युवाओं को सक्रिय राजनीति से जोड़ने का प्रयास है। उनके मुताबिक,यह वही पीढ़ी है,जो संविधान और लोकतंत्र की रक्षा के लिए आगे आएगी और सत्ता के गलत इस्तेमाल को चुनौती देगी। वहीं,आलोचकों का कहना है कि कांग्रेस को सिर्फ बयानों से आगे बढ़कर युवाओं के लिए ठोस नीतियाँ बनानी होंगी। बेरोजगारी,शिक्षा,डिजिटल आजादी और उद्यमिता जैसे मुद्दे ही हैं,जो इस पीढ़ी को वास्तव में आकर्षित कर सकते हैं।

राहुल गांधी का यह संदेश देश की राजनीति में एक नई बहस छेड़ गया है। यह बहस केवल परिवारवाद और भ्रष्टाचार तक सीमित नहीं है,बल्कि लोकतंत्र की रक्षा में युवाओं की भूमिका पर केंद्रित है। आने वाले विधानसभा चुनावों में यह साफ हो जाएगा कि जेन-जी सचमुच राहुल गांधी की तरह लोकतंत्र का ‘विंगार्ड’ बनना चाहती है या भाजपा के दावे के अनुसार परिवारवाद और भ्रष्टाचार के खिलाफ खड़ी होगी। फिलहाल इतना तय है कि भारतीय राजनीति में युवाओं की आवाज अब केवल सुनाई नहीं दे रही,बल्कि सत्ता के गलियारों में गूँज रही है।