नई दिल्ली,1 नवंबर (युआईटीवी)- भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह इन दिनों दक्षिण-पूर्व एशिया के महत्वपूर्ण दौरे पर हैं,जहाँ वे मलेशिया की राजधानी कुआलालंपुर में आयोजित 12वीं आसियान रक्षा मंत्रियों की बैठक-प्लस (एडीएमएम-प्लस) में भाग ले रहे हैं। यह दौरा भारत की ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में उसकी रणनीतिक पहुँच को मजबूत करने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है। शनिवार को राजनाथ सिंह ने अपने वियतनामी समकक्ष जनरल फान वान गियांग से मुलाकात की,जबकि इससे पहले शुक्रवार को उन्होंने मलेशिया और अमेरिका के रक्षा प्रमुखों के साथ भी अलग-अलग बैठकें कीं। इन सभी मुलाकातों ने भारत की रक्षा कूटनीति को नई ऊँचाइयों पर पहुँचा दिया है।
राजनाथ सिंह और जनरल फान वान गियांग के बीच हुई बैठक 19वीं आसियान रक्षा मंत्रियों की बैठक (एडीएमएम) के इतर और 12वीं एडीएमएम-प्लस से ठीक पहले हुई। इस मुलाकात की तस्वीरें रक्षा मंत्री ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर साझा करते हुए लिखा, “कुआलालंपुर में वियतनामी रक्षा मंत्री फान वान गियांग से मिलकर खुशी हुई। हमने भारत और वियतनाम के बीच चल रहे रक्षा सहयोग की समीक्षा की और रणनीतिक व सुरक्षा संबंधों को और गहरा करने के उपायों पर चर्चा की।”
भारत और वियतनाम के बीच पिछले कुछ वर्षों में रक्षा सहयोग काफी मजबूत हुआ है। दोनों देश समुद्री सुरक्षा,रक्षा प्रशिक्षण,रक्षा उत्पादन और साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में सहयोग बढ़ा रहे हैं। भारत ने वियतनाम को ‘अखंड हिंद-प्रशांत क्षेत्र’ में एक महत्वपूर्ण साझेदार माना है। चीन के बढ़ते सैन्य प्रभाव को देखते हुए यह साझेदारी दोनों देशों के लिए सामरिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण है। इस बैठक में दोनों नेताओं ने इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में शांति,स्थिरता और स्वतंत्र नौवहन की आवश्यकता पर भी बल दिया।
वियतनामी रक्षा मंत्री के साथ बैठक के अलावा राजनाथ सिंह ने मलेशिया के रक्षा मंत्री दातो सेरी मोहम्मद खालिद नॉर्डिन के साथ भी द्विपक्षीय वार्ता की। यह बैठक भारत-मलेशिया संबंधों को नई दिशा देने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जा रही है। दोनों देशों के बीच पारंपरिक रक्षा सहयोग के साथ-साथ नए क्षेत्रों जैसे रक्षा प्रौद्योगिकी,प्रशिक्षण,लॉजिस्टिक्स और समुद्री सुरक्षा में भी साझेदारी बढ़ाने पर चर्चा हुई।
It was wonderful to exchange views with Singapore’s Minister for Defence Chan Chun Sing in Kuala Lumpur. We discussed expanding 🇮🇳🇸🇬 defence partnership. India is strongly committed to further strengthen our bilateral defence cooperation. pic.twitter.com/Zp8bgYnPy9
— Rajnath Singh (@rajnathsingh) November 1, 2025
राजनाथ सिंह ने बैठक के बाद एक्स पर लिखा, “कुआलालंपुर में मलेशिया के रक्षा मंत्री दातो सेरी मोहम्मद खालिद नॉर्डिन के साथ बहुत अच्छी बातचीत हुई। भारत-मलेशिया रक्षा साझेदारी को और मजबूत करने के उपायों पर चर्चा हुई।”
भारत और मलेशिया के बीच लंबे समय से रक्षा सहयोग जारी है। भारतीय नौसेना और मलेशियाई नौसेना के बीच ‘सामुद्रिक अभ्यास’ नियमित रूप से होते हैं। इसके अलावा,भारत ने हाल ही में मलेशिया को ‘तेजस’ लड़ाकू विमान की पेशकश की है,जो दोनों देशों के रक्षा औद्योगिक सहयोग को आगे बढ़ाने में मील का पत्थर साबित हो सकता है।
इसी कूटनीतिक यात्रा के दौरान राजनाथ सिंह ने अमेरिका के युद्ध सचिव पीट हेगसेथ से भी मुलाकात की,जो इस दौरे की सबसे महत्वपूर्ण बैठक मानी जा रही है। दोनों नेताओं ने इस मुलाकात के दौरान भारत-अमेरिका 10 वर्षीय प्रमुख रक्षा साझेदारी की रूपरेखा पर हस्ताक्षर किए। यह समझौता दोनों देशों के रक्षा संबंधों को और गहरा करने की दिशा में ऐतिहासिक कदम है।
राजनाथ सिंह ने इस अवसर पर कहा, “कुआलालंपुर में अपने अमेरिकी समकक्ष, युद्ध सचिव पीट हेगसेथ के साथ एक उपयोगी बैठक हुई। हमने 10 वर्षीय अमेरिका-भारत प्रमुख रक्षा साझेदारी की रूपरेखा पर हस्ताक्षर किए। यह हमारी पहले से ही मजबूत रक्षा साझेदारी में एक नए युग की शुरुआत करेगा।”आगे उन्होंने कहा, “यह रूपरेखा भारत-अमेरिका रक्षा संबंधों के संपूर्ण आयाम को नीतिगत दिशा प्रदान करेगी। यह हमारे बढ़ते रणनीतिक अभिसरण का संकेत है और साझेदारी के एक नए दशक की शुरुआत करेगी।”
विशेषज्ञों का मानना है कि इस समझौते से दोनों देशों के बीच रक्षा उद्योग,प्रौद्योगिकी हस्तांतरण,लॉजिस्टिक सपोर्ट और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में संयुक्त सैन्य अभ्यास को नई गति मिलेगी। यह समझौता चीन की बढ़ती समुद्री गतिविधियों के जवाब में भारत और अमेरिका के सामरिक सहयोग को भी मजबूत करेगा।
भारत के रक्षा मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया कि मलेशिया की अध्यक्षता में आयोजित होने वाली आसियान-भारत रक्षा मंत्रियों की अनौपचारिक बैठक का यह दूसरा संस्करण है। इस बैठक में आसियान सदस्य देशों के सभी रक्षा मंत्री भाग लेंगे। बैठक का मुख्य उद्देश्य भारत और आसियान देशों के बीच रक्षा एवं सुरक्षा सहयोग को मजबूत करना और ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ के तहत भारत की क्षेत्रीय भूमिका को सशक्त बनाना है।
भारत लंबे समय से आसियान देशों के साथ ‘सुरक्षा भागीदारी’ को बढ़ावा देने की दिशा में काम कर रहा है। विशेष रूप से समुद्री क्षेत्र में सहयोग भारत की रणनीति का प्रमुख हिस्सा है,क्योंकि दक्षिण चीन सागर में चीन के बढ़ते प्रभाव को लेकर आसियान देश चिंतित हैं। भारत का उद्देश्य इस क्षेत्र में स्वतंत्र और निष्पक्ष समुद्री मार्ग बनाए रखना है, जो सभी देशों के हित में है।
राजनाथ सिंह की यह यात्रा ऐसे समय हो रही है जब भारत वैश्विक स्तर पर अपनी रक्षा साझेदारियों को सुदृढ़ कर रहा है। रूस-यूक्रेन युद्ध,चीन की आक्रामक नीतियों और इंडो-पैसिफिक में अमेरिका की सक्रियता के बीच भारत एक संतुलित लेकिन निर्णायक भूमिका निभा रहा है। मलेशिया,वियतनाम और अमेरिका के साथ यह श्रृंखलाबद्ध मुलाकातें इस बात का प्रमाण हैं कि भारत अब न केवल क्षेत्रीय,बल्कि वैश्विक रक्षा कूटनीति का एक महत्वपूर्ण स्तंभ बन चुका है।
राजनाथ सिंह गुरुवार को दो दिवसीय यात्रा पर मलेशिया पहुँचे थे। कुआलालंपुर के सुबांग एयरबेस पर उनका स्वागत मलेशिया में भारत के उच्चायुक्त बी. एन. रेड्डी ने किया। इस दौरे के दौरान राजनाथ सिंह न केवल भारत के रक्षा हितों को आगे बढ़ा रहे हैं,बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक्ट ईस्ट नीति को भी मजबूत कर रहे हैं।
कुआलालंपुर में उनके व्यस्त कार्यक्रम ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भारत अब अपनी रक्षा नीति को केवल सीमाओं तक सीमित नहीं रख रहा,बल्कि उसे इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के व्यापक रणनीतिक परिदृश्य से जोड़ रहा है। राजनाथ सिंह की यह यात्रा आने वाले वर्षों में भारत की रक्षा साझेदारियों और एशिया-प्रशांत क्षेत्र में उसकी भूमिका को नई दिशा देने वाली साबित हो सकती है।

