नई दिल्ली, 8 दिसंबर (युआईटीवी/आईएएनएस)- राज्यसभा ने गुरुवार को वन्य जीवन (संरक्षण) संशोधन विधेयक, 2022 पारित किया, जो कानून के तहत संरक्षित प्रजातियों को बढ़ाने के लिए वन्य जीवन (संरक्षण) अधिनियम, 1972 में संशोधन करेगा। इसे इस साल मानसून सत्र के दौरान लोकसभा ने पारित किया था। यह विधेयक वन्य जीवों और वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों पर अंतर्राष्ट्रीय व्यापार सम्मेलन (सीआईटीईएस) के तहत भारत के दायित्वों को प्रभावी करने का प्रयास करता है, जिसके लिए देशों को परमिट के माध्यम से सभी सूचीबद्ध नमूनों के व्यापार को विनियमित करने की जरूरत होती है।
पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने बिल पर चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि यह बिल इसलिए लाया गया है, क्योंकि सीआईटीईएस को वन्यजीव संरक्षण के लिए एक स्वतंत्र ढांचे की जरूरत है।
विधेयक पारित होने के बाद 1972 के अधिनियम की धारा 43 में संशोधन करेगा, जिसके तहत स्वामित्व का वैध प्रमाणपत्र रखने वाले व्यक्ति द्वारा धार्मिक और अन्य उद्देश्यों के लिए एक बंदी हाथी के हस्तांतरण या परिवहन की अनुमति दी जाएगी।
हालांकि, जॉन ब्रिटास द्वारा दबाए गए एक संशोधन को अस्वीकार कर दिया गया था, जिन्होंने केरल में जंगली सूअर के हमलों का हवाला दिया था।
कुछ सदस्यों ने वाक्यांश ‘कोई अन्य उद्देश्य’ पर चिंता व्यक्त की और आशंका जताई कि इसमें हाथियों के वाणिज्यिक व्यापार, उनकी कैद और क्रूरता को प्रोत्साहित करने की क्षमता है।