रामायण: राजकुमार राम की कथा

‘रामायण: द लीजेंड ऑफ प्रिंस राम’ को संसद में मिली मान्यता

मुंबई,3 फरवरी (युआईटीवी)- 1993 की एनिमेटेड फिल्म ‘रामायण: द लीजेंड ऑफ प्रिंस राम’ ने भारत में महत्वपूर्ण पहचान हासिल की है। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अपने ‘मन की बात’ संबोधन में इसके उल्लेख के बाद,फिल्म 15 फरवरी, 2025 को भारतीय संसद में एक विशेष स्क्रीनिंग के लिए निर्धारित की गई है। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के इस कार्यक्रम में भाग लेने की उम्मीद है,जो फिल्म के सांस्कृतिक और कलात्मक महत्व को रेखांकित करता है। साथ ही भारत और जापान के बीच के मजबूत संबंधों को भी उजागर करता है।

फिल्म की वितरण कंपनी गीक पिक्चर्स के सह-संस्थापक अर्जुन अग्रवाल ने इस सम्मान पर बेहद गर्व व्यक्त करते हुए कहा, “भारत की संसद के इस कदम से हम बेहद सम्मानित महसूस कर रहे हैं। हमारे काम को इतने प्रतिष्ठित स्तर पर मान्यता मिलना सौभाग्य की बात है। यह स्क्रीनिंग सिर्फ एक फिल्म का प्रदर्शन नहीं है बल्कि हमारी समृद्ध विरासत और रामायण की कालजयी कहानी का उत्सव है।”

मूल रूप से यूगो साको,राम मोहन और कोइची सासाकी द्वारा निर्देशित, ‘रामायण: द लीजेंड ऑफ प्रिंस राम’ को पहली बार 1993 में 24वें भारत अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में प्रदर्शित किया गया था। हालाँकि,यह उस समय बॉक्स ऑफिस पर रिलीज नहीं हो पाई थी,लेकिन टेलीविजन पर अपनी शुरुआत के बाद इसे व्यापक प्रशंसा मिली। फिल्म को 24 जनवरी,2025 को अद्यतन हिंदी,तमिल और तेलुगु वॉयस डब के साथ 4K प्रारूप में फिर से रिलीज़ किया गया था। हिंदी वॉयस कास्ट में राम के रूप में युद्धवीर दहिया,सीता के रूप में सोनल कौशल और लक्ष्मण के रूप में उपलक्ष कोचर शामिल हैं।

राष्ट्र के नेताओं द्वारा यह मान्यता फिल्म के गहरे प्रभाव और कला और संस्कृति में इसके योगदान का एक प्रमाण है। विशेष स्क्रीनिंग का उद्देश्य पीढ़ियों से नागरिकों के बीच इस पौराणिक महाकाव्य की समझ और सराहना को समृद्ध करना और रामायण में सन्निहित मूल्यों को बढ़ावा देना है,जो भारतीय परंपरा और आध्यात्मिकता के लोकाचार के साथ गूँजते हैं।