नई दिल्ली,20 दिसंबर (युआईटीवी)- भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बैंकिंग नियमों और नियामकीय निर्देशों के उल्लंघन के मामले में कोटक महिंद्रा बैंक पर 61.95 लाख रुपये का मौद्रिक जुर्माना लगाया है। केंद्रीय बैंक ने यह कार्रवाई बैंकिंग सेवाओं तक पहुँच,बेसिक सेविंग्स बैंक डिपॉजिट अकाउंट्स (बीएसबीडी),बिजनेस कोरसपोंडेंट्स (बीसी) की गतिविधियों की सीमा और क्रेडिट सूचना कंपनी नियम,2006 (सीआईसी नियम) से जुड़े प्रावधानों का पालन न करने के आधार पर की है। आरबीआई ने स्पष्ट किया है कि यह दंड पूरी तरह से नियामकीय अनुपालन में पाई गई कमियों से संबंधित है और इसका उद्देश्य बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या समझौते की वैधता पर कोई टिप्पणी करना नहीं है।
आरबीआई ने अपने बयान में कहा कि यह जुर्माना बैंकिंग विनियमन अधिनियम की धारा 47ए(1)(सी) को धारा 46(4)(आई) के साथ पढ़ते हुए और क्रेडिट सूचना कंपनियों (विनियमन) अधिनियम,2005 की धारा 25(1)(iii) को धारा 23(4) के साथ मिलाकर प्रदत्त शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए लगाया गया है। केंद्रीय बैंक के अनुसार,यह कार्रवाई नियामकीय अनुशासन सुनिश्चित करने और बैंकों को निर्धारित दिशानिर्देशों के भीतर काम करने के लिए प्रेरित करने की दिशा में की गई है।
यह मामला आरबीआई द्वारा कोटक महिंद्रा बैंक के 31 मार्च,2024 तक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में किए गए वैधानिक निरीक्षण से जुड़ा है। आरबीआई ने बैंक का पर्यवेक्षी मूल्यांकन करने के लिए आईएसई 2024 के तहत निरीक्षण किया था। इस दौरान यह पाया गया कि बैंक ने आरबीआई के कुछ महत्वपूर्ण निर्देशों और सीआईसी नियमों का पूर्ण रूप से अनुपालन नहीं किया है। इन निष्कर्षों के आधार पर आरबीआई ने बैंक को एक कारण बताओ नोटिस जारी किया,जिसमें पूछा गया कि संबंधित नियमों का पालन न करने के लिए उस पर जुर्माना क्यों न लगाया जाए।
नोटिस के जवाब में बैंक की ओर से प्रस्तुत स्पष्टीकरण और अतिरिक्त दस्तावेजों पर विचार करने के बाद आरबीआई इस निष्कर्ष पर पहुँचा कि बैंक की ओर से कई स्तरों पर चूक हुई है। केंद्रीय बैंक के अनुसार,कोटक महिंद्रा बैंक ने कुछ ऐसे ग्राहकों के लिए एक से अधिक बेसिक सेविंग्स बैंक डिपॉजिट अकाउंट खोल दिए थे,जिनके पास पहले से ही उसी बैंक में बीएसबीडी खाता मौजूद था। आरबीआई के नियमों के तहत एक ग्राहक को सामान्य तौर पर केवल एक ही बीएसबीडी खाता रखने की अनुमति होती है,ताकि वित्तीय समावेशन की मूल भावना बनी रहे और इस सुविधा का दुरुपयोग न हो।
इसके अलावा निरीक्षण के दौरान यह भी सामने आया कि बैंक ने अपने बिजनेस कोरसपोंडेंट्स के साथ ऐसे समझौते किए थे,जिनमें उन्हें उन गतिविधियों को करने की अनुमति दी गई थी जो आरबीआई द्वारा निर्धारित बीसी के दायरे से बाहर थीं। बिजनेस कोरसपोंडेंट मॉडल का उद्देश्य बैंकिंग सेवाओं को दूर-दराज और कम बैंकिंग सुविधाओं वाले क्षेत्रों तक पहुँचाना है,लेकिन इसके लिए गतिविधियों की स्पष्ट सीमा तय की गई है। आरबीआई का मानना है कि इन सीमाओं का उल्लंघन करने से ग्राहकों के हितों और बैंकिंग प्रणाली की पारदर्शिता पर असर पड़ सकता है।
एक और गंभीर मुद्दा क्रेडिट सूचना से जुड़ा रहा। आरबीआई ने कहा कि कोटक महिंद्रा बैंक ने कुछ उधारकर्ताओं के संबंध में क्रेडिट सूचना कंपनियों को गलत या त्रुटिपूर्ण जानकारी उपलब्ध कराई। क्रेडिट सूचना कंपनियाँ उधारकर्ताओं की साख का आकलन करने में अहम भूमिका निभाती हैं और बैंकों व वित्तीय संस्थानों के लिए यह जानकारी बेहद महत्वपूर्ण होती है। ऐसे में गलत सूचना देने से न केवल उधारकर्ताओं को नुकसान हो सकता है,बल्कि पूरी वित्तीय प्रणाली में जोखिम भी बढ़ सकता है।
आरबीआई ने अपने बयान में यह भी साफ किया कि इस मौद्रिक जुर्माने का उद्देश्य केवल नियामकीय अनुपालन में पाई गई कमियों को रेखांकित करना और भविष्य में ऐसी गलतियों को रोकना है। केंद्रीय बैंक ने यह स्पष्ट किया कि इस कार्रवाई को बैंक द्वारा ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या अनुबंध की वैधता के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। इसके साथ ही आरबीआई ने कहा कि यह जुर्माना बैंक के खिलाफ भविष्य में की जाने वाली किसी अन्य नियामकीय या दंडात्मक कार्रवाई को प्रभावित नहीं करेगा।
बैंकिंग सेक्टर में आरबीआई की इस तरह की कार्रवाइयों को नियामकीय सख्ती और पारदर्शिता बनाए रखने के प्रयास के रूप में देखा जाता है। हाल के वर्षों में केंद्रीय बैंक ने कई बैंकों और वित्तीय संस्थानों पर नियमों के उल्लंघन को लेकर जुर्माने लगाए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के कदम बैंकों को आंतरिक नियंत्रण मजबूत करने और ग्राहकों के हितों की बेहतर सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रेरित करते हैं।
कोटक महिंद्रा बैंक पर लगाया गया यह जुर्माना यह संदेश देता है कि आरबीआई बैंकिंग प्रणाली में नियमों के पालन को लेकर किसी भी तरह की ढिलाई बर्दाश्त नहीं करेगा। नियामकीय ढाँचे के भीतर काम करना न केवल बैंकों की जिम्मेदारी है,बल्कि इससे वित्तीय प्रणाली की स्थिरता और ग्राहकों का भरोसा भी बना रहता है।
