आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा (तस्वीर क्रेडिट@DDBanglaNews)

आरबीआई ने रेपो रेट को स्थिर रखते हुए मौद्रिक नीति रखा ‘न्यूट्रल’,महँगाई और विकास दर के अनुमान किए अपडेट

मुंबई,1 अक्टूबर (युआईटीवी)- भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बुधवार को मौद्रिक नीति कमेटी (एमपीसी) की बैठक के बाद रेपो रेट को 5.50 प्रतिशत पर स्थिर रखने का निर्णय लिया है। केंद्रीय बैंक ने मौद्रिक नीति के रुख को ‘न्यूट्रल’ बनाए रखने की घोषणा की। आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने इस निर्णय के साथ ही स्टैंडिंग डिपॉजिट फैसिलिटी (एसडीएफ) को 5.25 प्रतिशत और मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी (एमएसएफ) को 5.75 प्रतिशत पर बरकरार रखा।

इससे पहले अगस्त में हुई एमपीसी बैठक में भी रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया था। 2025 की शुरुआत से अब तक केंद्रीय बैंक ने रेपो रेट में कुल एक प्रतिशत की कटौती की है,जिसमें फरवरी और अप्रैल में 0.25-0.25 प्रतिशत और जून में 0.50 प्रतिशत की कटौती शामिल है। इस निर्णय के जरिए केंद्रीय बैंक ने मौद्रिक नीति को स्थिर रखते हुए अर्थव्यवस्था की वर्तमान स्थिति और भविष्य की संभावनाओं का संकेत दिया।

आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था अच्छा प्रदर्शन कर रही है और अच्छे मानसून के कारण महँगाई दर में कमी आ रही है। उन्होंने यह भी बताया कि हाल ही में जीएसटी दरों में कटौती से अर्थव्यवस्था की विकास दर में तेजी देखने को मिली है। हालाँकि,वैश्विक बाजार में टैरिफ और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के दबाव को लेकर निर्यात क्षेत्र में कुछ चुनौतियाँ बनी हुई हैं।

गवर्नर ने वित्त वर्ष 26 के लिए रिटेल महँगाई दर का अनुमान घटाकर 2.6 प्रतिशत कर दिया,जो कि अगस्त में 3.1 प्रतिशत था। इसके साथ ही उन्होंने वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही के लिए महँगाई दर के अनुमान को 2.1 प्रतिशत से घटाकर 1.8 प्रतिशत,तीसरी तिमाही के अनुमान को 3.1 प्रतिशत से घटाकर 1.8 प्रतिशत और चौथी तिमाही के लिए 4 प्रतिशत कर दिया। इस प्रकार आरबीआई ने महँगाई दर के लगातार घटते रुझान को ध्यान में रखते हुए भविष्य के लिए सतर्कता के संकेत भी दिए हैं।

आरबीआई ने वित्त वर्ष 27 की पहली तिमाही में महँगाई 4.5 प्रतिशत रहने का अनुमान भी व्यक्त किया। गवर्नर ने कहा कि यह दर भारतीय अर्थव्यवस्था की वर्तमान स्थिति और वैश्विक बाजार के दबावों को ध्यान में रखते हुए सही संतुलन बनाए रखने का प्रयास है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि मौजूदा आर्थिक स्थितियों में महँगाई नियंत्रित रखने की दिशा में केंद्रीय बैंक की नीतियाँ प्रभावी साबित हो रही हैं।

आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिए जीडीपी वृद्धि दर के अनुमान में भी संशोधन किया है। उन्होंने इसे 6.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 6.8 प्रतिशत कर दिया है। गवर्नर ने कहा कि वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी में देखी गई तेजी बनी हुई है और इसके आधार पर उन्होंने विकास दर का संशोधित अनुमान प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में जीडीपी की विकास दर 7 प्रतिशत,तीसरी तिमाही में 6.4 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 6.2 प्रतिशत रहने की संभावना है।

संजय मल्होत्रा ने यह भी स्पष्ट किया कि मौद्रिक नीति का उद्देश्य न केवल महँगाई को नियंत्रित रखना है,बल्कि अर्थव्यवस्था की सतत विकास दर को भी बनाए रखना है। उन्होंने कहा कि स्थिर और न्यूट्रल मौद्रिक नीति निवेशकों और उद्योगों के लिए विश्वास पैदा करती है और दीर्घकालिक आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित करती है।

गवर्नर ने आर्थिक संकेतकों का आकलन करते हुए कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार का असर वित्तीय बाजार और उपभोक्ता खर्च दोनों पर देखा जा सकता है। विशेष रूप से,जीएसटी दरों में हाल ही में की गई कटौती ने उद्योगों की लागत कम की है और उपभोक्ता माँग में वृद्धि की संभावना पैदा की है। उन्होंने कहा कि सरकार की नीतियाँ और आरबीआई की मौद्रिक नीतियाँ मिलकर आर्थिक विकास को स्थायी बनाती हैं।

आरबीआई की मौद्रिक नीति से बैंकिंग क्षेत्र और वित्तीय संस्थाओं पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। ब्याज दरों के स्थिर रहने से बैंक ऋण सस्ते दरों पर उपलब्ध रहेंगे और उद्योगों को पूँजी की उपलब्धता में आसानी होगी। यह कदम अर्थव्यवस्था को संतुलित विकास की दिशा में ले जाने का प्रयास है।

इस बैठक में आरबीआई ने यह संदेश भी दिया कि महँगाई पर नियंत्रण और विकास दर को संतुलित रखना उसकी प्राथमिकता है। गवर्नर ने कहा कि केंद्रीय बैंक सतर्कता बनाए रखते हुए,आर्थिक संकेतकों के आधार पर आवश्यक कदम उठाता रहेगा। उन्होंने निवेशकों,उद्योगपतियों और आम नागरिकों से आश्वस्त किया कि आरबीआई की नीतियाँ अर्थव्यवस्था को स्थिर और विकसित बनाए रखने की दिशा में काम कर रही हैं।

इस प्रकार,आरबीआई की नवीनतम मौद्रिक नीति ने यह संकेत दिया है कि केंद्रीय बैंक अर्थव्यवस्था की स्थिरता,विकास दर में सुधार और महँगाई पर नियंत्रण को एक साथ सुनिश्चित करने की दिशा में सतत प्रयास कर रहा है। रेपो रेट स्थिर रहने से निवेश और उपभोक्ता खर्च दोनों के लिए अनुकूल माहौल बना रहेगा,जबकि न्यूट्रल रुख ने अर्थव्यवस्था को आवश्यक लचीलापन भी प्रदान किया है।