नई दिल्ली,31 दिसंबर (युआईटीवी)- भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने सोमवार को सभी बैंकों को निर्देश दिया कि वे आरटीजीएस (रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट) और एनईएफटी (नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर) सिस्टम का उपयोग करके लेनदेन शुरू करने से पहले,पैसा भेजने वालों को लाभार्थी के बैंक खाते का नाम वैरिफाई करने की सुविधा प्रदान करें। इस फैसले से आरटीजीएस और एनईएफटी के माध्यम से लेनदेन करना और भी सुरक्षित हो जाएगा,क्योंकि इससे गलत क्रेडिट और धोखाधड़ी की संभावनाएँ कम हो जाएँगे।
आरबीआई ने इस नई सुविधा को लागू करने के लिए बैंकों को एक अप्रैल, 2025 तक की डेडलाइन दी है। केंद्रीय बैंक के अनुसार, “सभी बैंक जो आरटीजीएस और एनईएफटी के प्रत्यक्ष सदस्य या उप-सदस्य हैं,उन्हें 1 अप्रैल, 2025 से पहले यह सुविधा प्रदान करने की सलाह दी जाती है।” इस फैसले का मुख्य उद्देश्य बैंकों के लेनदेन प्रणाली में और सुरक्षा का स्तर बढ़ाना है,ताकि ग्राहकों में विश्वास कायम हो सके और वे बिना किसी डर के डिजिटल भुगतान कर सकें।
इस नई सुविधा की शुरुआत के साथ,अब ग्राहक जब आरटीजीएस या एनईएफटी के जरिए किसी को पैसा भेजने का प्रयास करेंगे,तो उन्हें लाभार्थी का खाता नंबर और ब्रांच आईएफएससी कोड डालने के बाद लाभार्थी का नाम प्रदर्शित होगा। इस सुविधा से ग्राहक यह सुनिश्चित कर सकेंगे कि उनका पैसा सही व्यक्ति के खाते में जा रहा है, जिससे गलतियाँ और धोखाधड़ी की संभावना कम हो जाएगी।
आरबीआई ने इस सुविधा की शुरुआत का प्रस्ताव पहले 9 अक्टूबर, 2024 को अपनी डेवलपमेंटल और रेगुलेटरी पॉलिसीज में दिया था। इस कदम से आरटीजीएस और एनईएफटी के माध्यम से किए गए लेनदेन में अधिक पारदर्शिता और सुरक्षा आएगी। साथ ही,यह कदम ग्राहकों के लिए डिजिटल भुगतान प्रणालियों को और अधिक भरोसेमंद बनाएगा।
आरटीजीएस एक रियल-टाइम पेमेंट सिस्टम है,जिसमें पैसे का लेनदेन तत्काल यानी रियल टाइम में होता है। यह सुविधा 24 घंटे और सातों दिन उपलब्ध रहती है,लेकिन इसमें लेनदेन की न्यूनतम सीमा 2 लाख रुपये होती है। वहीं,एनईएफटी भी एक इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट सिस्टम है,लेकिन इसमें लेनदेन के लिए समय लगता है और पैसे को लाभार्थी तक पहुँचने में कुछ मिनटों से लेकर कुछ घंटों तक का समय लग सकता है। एनईएफटी में कोई न्यूनतम लेनदेन सीमा नहीं होती है,जिससे यह छोटे लेनदेन के लिए भी उपयुक्त होता है।
इससे पहले, यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) और इंमीडिएट पेमेंट्स सर्विसेज (आईएमपीएस) जैसी अन्य भुगतान प्रणालियों में पहले से ही लाभार्थी का नाम वैरिफाई करने की सुविधा उपलब्ध थी। इन प्रणालियों के माध्यम से भुगतान करते समय,भेजने वाला व्यक्ति लाभार्थी के नाम की जाँच कर सकता था,जिससे लेनदेन की सुरक्षा बढ़ी थी। इसी तरह की सुविधा अब आरटीजीएस और एनईएफटी में भी उपलब्ध होगी,जिससे इन दोनों प्रणालियों में भी सुरक्षा का स्तर बढ़ेगा।
आरबीआई ने यह कदम इसलिए उठाया है,क्योंकि ग्राहकों द्वारा इन प्रणालियों में भी यूपीआई और आईएमपीएस जैसी सुविधाओं की माँग की जा रही थी। ग्राहक चाहते थे कि आरटीजीएस और एनईएफटी के जरिए किए गए लेनदेन में भी लाभार्थी का नाम वैरिफाई किया जा सके,ताकि उनका पैसा गलत व्यक्ति के खाते में न चला जाए। इस कदम से अब इन दोनों सिस्टम्स को भी और अधिक उपयोगकर्ता मित्रवत और सुरक्षित बनाया जाएगा।
इस नई सुविधा के लागू होने से डिजिटल भुगतान प्रणाली में विश्वास बढ़ेगा और लोग बिना किसी संकोच के इन प्रणालियों का उपयोग करेंगे। आरबीआई का यह कदम भारतीय वित्तीय प्रणाली को और अधिक मजबूत बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा। अब बैंकों को यह सुनिश्चित करना होगा कि वे 1 अप्रैल 2025 तक इस सुविधा को अपनी प्रणालियों में लागू कर लें,ताकि ग्राहकों को और अधिक सुरक्षा और सुविधा मिल सके।
