इंदौर, 2 जनवरी (युआईटीवी/आईएएनएस)| विश्व हिंदू परिषद की प्रन्यासी मंडल व प्रबंध समिति की तीन दिवसीय बैठक इंदौर में हुई। यह बैठक मजहबी कट्टरता को परास्त करने के संकल्प के साथ पूरी हुई। साथ ही बैठक में तय किया गया है कि देश के किसी भी हिस्से को दारुल इस्लाम नहीं बनने देंगे। विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय कार्याध्यक्ष आलोक कुमार ने संवाददाताओं से चर्चा करते हुए कहा कि मजहबी कट्टरता के दुष्परिणामों से निपटने हेतु वैश्विक स्तर पर एक समग्र नीति बनानी होगी। इस कट्टरता का बौद्धिक, सामाजिक व राजनीतिक स्तर पर मुकाबला करना होगा। इस्लाम के एक बड़े वर्ग द्वारा जिहाद के नाम पर हिंसा, लूटपाट, बलात्कार व हत्याओं को एक हथियार के रूप में प्रयोग किया जाता है। अब यह नहीं चलेगा। हम भारत के किसी भी हिस्से को दारुल इस्लाम नहीं बनने देंगे। विहिप, बजरंग दल, दुर्गा वाहिनी पूज्य संतों व समाज के चिंतकों के साथ मिलकर इसका डटकर मुकाबला करता रहा है। इस कार्य को हम और गति देंगे।
बैठक में पारित एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव ‘मजहबी कट्टरता-दुष्परिणाम और समाधान’ के अंतर्गत इस बात पर चिंता व्यक्त की गई। “मेरा मजहब ही सही है, बाकी को इसे स्वीकार करना ही पड़ेगा और यदि वे इसे स्वीकार न करें तो उन को समाप्त करने का आसमानी आदेश मेरे पास है” को मानने वाले, लोगों ने विश्व की अनेक पुरातन सभ्यताओं को समाप्त कर दिया है।
प्रस्ताव में कहा है गया कि “दुर्भाग्य से कई शताब्दियों के कटु अनुभवों के बावजूद मजहबी कट्टरता संपूर्ण विश्व के लिए आज भी चुनौती बनी हुई है। विश्व में कहीं न कहीं प्रतिदिन हो रहे आतंकवादी हमलों के लिए भी मजहबी कट्टरपंथ के अनुयाई जिम्मेदार हैं। लव जिहाद के माध्यम से गैर मुस्लिम महिलाओं पर अमानवीय अत्याचारों का सिलसिला और ‘सर तन से जुदा गैंग’ की सक्रियता इसी मजहबी कट्टरता के वीभत्स चेहरे हैं।”
ईसाई मिशनरियों का एक बड़ा वर्ग छल कपट व लालच के हथकंडों से सामाजिक विद्वेष फैलाने, आतंक को पोषित करने, तथा मतांतरण करने में जुटा हुआ है। प्रस्ताव में यह भी आग्रह किया गया कि मजहबी कट्टरता ईसाई व मुस्लिम समाज को विकास नहीं, आत्मघाती विनाश की ओर ले जाएगी। उनको अपने ‘कट्टरपंथी नेतृत्व को बदलकर विकासवादी व समरसता वादी नेतृत्व को स्थापित करना चाहिए’।
विहिप के प्रन्यासी मंडल ने समाज के सभी वर्गों से आव्हान करते हुए कहा कि तात्कालिक स्वार्थों के कारण इस राष्ट्रघाती प्रवृत्ति का पोषण न करें। मजहबी कट्टरपंथी व अलगाववादी नेतृत्व को हतोत्साहित कर अपने समाज को समरसता और विकास की ओर ले जाने वाले खुले विचार के नेतृत्व को प्रोत्साहित करने में अपनी भूमिका निभाएं।
प्रन्यासी मंडल ने केंद्र और राज्य सरकारों से भी आव्हान किया है कि कट्टरता व अलगाव की शिक्षा देने वाले मदरसों व मिशनरी विद्यालयों पर नियंत्रण कर वहां कट्टरता और अलगाववाद के स्थान पर विकास व सौहार्द केंद्रित शिक्षा की व्यवस्था करें। अवैध मतांतरण और मजहबी कट्टरता को रोकने हेतु केंद्र सरकार कठोर कानून बनाएं। साथ ही संपूर्ण देश में समान नागरिक आचार संहिता को लागू करने की भी मांग की गई।
विहिप का कहना है क हिंदू समाज मजहबी कट्टरता का हमेशा से शिकार तो रहा है किंतु, अपने पराक्रम से उसने उस चुनौती का सफलतापूर्वक सामना भी किया है। विहिप इस संबंध में चेतना जागृत करने व कट्टरपंथी नेतृत्व के षड्यंत्र को उजागर करने के लिए व्यापक जन जागरण करेगी।