रेणुकास्वामी मर्डर केस में कन्नड़ एक्टर दर्शन थूगुदीपा की जमानत रद्द (तस्वीर क्रेडिट@OpIndia_in)

रेणुकास्वामी मर्डर केस में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: कन्नड़ एक्टर दर्शन थूगुदीपा की जमानत रद्द,तुरंत गिरफ्तारी के आदेश

मुंबई,14 अगस्त (युआईटीवी)- कन्नड़ फिल्मों के मशहूर अभिनेता दर्शन थूगुदीपा की मुश्किलें अब और गहरी हो गई हैं। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को रेणुकास्वामी मर्डर केस में उन्हें राहत देने से इनकार करते हुए उनकी जमानत रद्द कर दी है और कर्नाटक पुलिस को उन्हें तुरंत गिरफ्तार करने के आदेश दिए हैं। यह फैसला न केवल दर्शन बल्कि इस मामले में सह-आरोपी पवित्रा गौड़ा और पाँच अन्य व्यक्तियों के खिलाफ भी सुनाया गया है। अदालत ने स्पष्ट किया है कि निचली अदालत द्वारा दी गई जमानत विवेकाधीन शक्ति का गलत इस्तेमाल थी और इस तरह के गंभीर अपराधों में इसे उचित नहीं ठहराया जा सकता।

जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की बेंच ने 24 जुलाई को कर्नाटक सरकार की याचिका पर सुनवाई पूरी करने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। बुधवार को आए इस फैसले ने राज्य सरकार की उस माँग को मंजूरी दे दी,जिसमें कहा गया था कि आरोपियों को दी गई जमानत रद्द की जाए और उन्हें हिरासत में लेकर मामले की गहन जाँच की जाए।

रेणुकास्वामी मर्डर केस जून 2024 में सामने आया था,जब पुलिस को बेंगलुरु के एक नाले से एक युवक का शव बरामद हुआ। जाँच में पता चला कि मृतक को तीन दिन तक बेंगलुरु के एक शेड में कैद कर रखा गया था और इस दौरान उसके साथ गंभीर प्रताड़ना हुई थी। पुलिस का आरोप है कि इस अपराध में दर्शन थूगुदीपा की सीधी भूमिका थी और उन्होंने अन्य आरोपियों के साथ मिलकर पीड़ित पर हिंसा की। इस वारदात के पीछे के कारणों और साजिश की जाँच अभी भी जारी है।

कर्नाटक पुलिस ने इस मामले में कुल छह लोगों को आरोपी बनाया,जिनमें अभिनेता दर्शन और उनकी करीबी पवित्रा गौड़ा भी शामिल हैं। पुलिस के मुताबिक,सभी आरोपियों ने मिलकर पीड़ित को शारीरिक यातना दी,जिसके परिणामस्वरूप उसकी मौत हो गई। मामले की गंभीरता को देखते हुए कर्नाटक उच्च न्यायालय ने भी शुरू में इस पर कड़ा रुख अपनाया था,लेकिन बाद में आरोपियों को जमानत दे दी थी। इसी फैसले के खिलाफ राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि ऐसे मामलों में जमानत देना न्यायिक विवेक का सही उपयोग नहीं है,खासकर तब,जब आरोप गंभीर हों और जाँच अधूरी हो। अदालत ने माना कि आरोपी प्रभावशाली व्यक्ति हैं और उनके बाहर रहने से साक्ष्यों से छेड़छाड़ या गवाहों को प्रभावित करने का खतरा बढ़ सकता है। अदालत ने यह भी टिप्पणी की कि न्यायालयों को ऐसे अपराधों में कानून के कठोर अनुपालन को प्राथमिकता देनी चाहिए,ताकि पीड़ितों और उनके परिवारों को न्याय मिल सके।

दर्शन थूगुदीपा कन्नड़ फिल्म इंडस्ट्री में एक बड़ा नाम हैं। 48 वर्षीय अभिनेता पिछले दो दशकों से सिनेमा में सक्रिय हैं और कई सुपरहिट फिल्मों का हिस्सा रह चुके हैं। हालाँकि,उनका नाम विवादों से भी जुड़ा रहा है। साल 2011 में उनकी पत्नी ने उन पर घरेलू हिंसा का मुकदमा दर्ज कराया था,जिसके बाद वे कुछ समय के लिए जेल भी गए थे। साल 2021 में उन पर एक रेस्टोरेंट के वेटर के साथ हाथापाई करने का आरोप लगा,जबकि 2023 में वे तब सुर्खियों में आए,जब उनके पालतू कुत्ते ने कथित तौर पर पड़ोसी को काट लिया और इस मामले में शिकायत दर्ज हुई।

लेकिन रेणुकास्वामी मर्डर केस उनके करियर और प्रतिष्ठा के लिए अब तक की सबसे गंभीर चुनौती बनकर सामने आया है। यह मामला न केवल कन्नड़ फिल्म जगत बल्कि पूरे देश में चर्चा का विषय बना हुआ है। सोशल मीडिया पर भी लोग इस पर तीखी प्रतिक्रियाएँ दे रहे हैं। कई लोग पीड़ित को न्याय दिलाने की माँग कर रहे हैं,जबकि कुछ उनके प्रशंसक इस पूरे मामले को साजिश बता रहे हैं।

पुलिस सूत्रों के मुताबिक,सुप्रीम कोर्ट का आदेश मिलते ही आरोपी की गिरफ्तारी की तैयारी शुरू कर दी गई है। चूँकि दर्शन एक लोकप्रिय अभिनेता हैं और उनके प्रशंसकों की बड़ी संख्या है,इसलिए पुलिस ने सुरक्षा और कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए अतिरिक्त बल तैनात करने की योजना बनाई है। वहीं,पवित्रा गौड़ा और अन्य सह-आरोपियों को भी जल्द हिरासत में लिया जाएगा।

कानूनी विशेषज्ञ मानते हैं कि सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला एक मजबूत संदेश देता है कि कानून के सामने सभी बराबर हैं,चाहे वे कितने भी प्रभावशाली या लोकप्रिय क्यों न हों। इससे ऐसे मामलों में पीड़ित पक्ष को भी न्याय की उम्मीद बढ़ती है।

अब इस केस में अगला चरण पुलिस की गहन जाँच और अदालत में सुनवाई का होगा। चूँकि सुप्रीम कोर्ट ने जमानत रद्द करते हुए गिरफ्तारी का आदेश दिया है,इसलिए पुलिस को अब अपने सबूत और गवाहों को मजबूत करने का अवसर मिलेगा। यदि आरोप साबित होते हैं,तो आरोपी को लंबी सजा का सामना करना पड़ सकता है।

दर्शन के लिए यह फैसला एक बड़ा झटका है,क्योंकि अब वे न केवल अपनी आज़ादी खो सकते हैं बल्कि उनके फिल्मी करियर पर भी गंभीर असर पड़ सकता है। कई प्रोडक्शन हाउस पहले ही इस मामले के चलते उनके साथ चल रहे प्रोजेक्ट्स को लेकर सतर्क हो गए हैं। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि यह मामला किस दिशा में आगे बढ़ता है और अदालत में पेश होने वाले सबूत किस तरह तस्वीर साफ करते हैं।

रेणुकास्वामी मर्डर केस ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि आपराधिक मामलों में कानून का शिकंजा कितना भी बड़े नाम पर कस सकता है। सुप्रीम कोर्ट के इस सख्त रुख ने साफ कर दिया है कि न्यायिक प्रक्रिया में अपराध की गंभीरता और पीड़ित को न्याय दिलाना सर्वोपरि है और कोई भी व्यक्ति कानून से ऊपर नहीं है।