मुंबई,4 जून (युआईटीवी)- कांग्रेस नेता राहुल गांधी के एक हालिया विवादास्पद बयान ने भारतीय राजनीति में फिर एक बार उबाल ला दिया है। उन्होंने मध्यप्रदेश के भोपाल में एक चुनावी रैली के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि 10 मई को भारत-पाकिस्तान के संघर्षविराम समझौते के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के फोन कॉल पर आत्मसमर्पण कर दिया था। राहुल के इस बयान के बाद सियासी हलकों में बवाल मच गया है।
इस बयान पर सबसे तीखी प्रतिक्रिया दी है राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी ) के प्रमुख नेता मलूक नागर ने। उन्होंने राहुल गांधी पर भारत के गौरव और प्रधानमंत्री की गरिमा को ठेस पहुँचाने का गंभीर आरोप लगाया है और कहा है कि ऐसे बयान केवल राजनीतिक विद्वेष फैलाने के लिए दिए जाते हैं,जिनका सच्चाई से कोई लेना-देना नहीं होता।
मलूक नागर ने समाचार एजेंसी आईएएनएस से बातचीत में कहा कि राहुल गांधी का यह बयान पूरी तरह झूठा,गैरजिम्मेदाराना और देशविरोधी मानसिकता को दर्शाता है। उन्होंने कहा, “जब भारत ने दुश्मन के इलाके में घुसकर हमला किया,जब पाकिस्तान को घुटनों पर आने के लिए मजबूर किया गया,तब कैसे कोई कह सकता है कि हमारे प्रधानमंत्री ने आत्मसमर्पण कर दिया?”
नागर ने आगे कहा कि भारत की सैन्य ताकत,रणनीतिक आक्रामकता और कूटनीतिक दृढ़ता पूरी दुनिया के सामने है। पाकिस्तान को मजबूर होकर युद्धविराम की भीख माँगनी पड़ी थी। उस दौरान भारत ने अमेरिका सहित दुनिया को यह स्पष्ट संदेश दिया था कि उसकी राष्ट्रीय सुरक्षा में किसी तीसरे पक्ष की कोई भूमिका नहीं हो सकती।
मलूक नागर ने आरोप लगाया कि कांग्रेस लगातार राष्ट्र की एकता,सुरक्षा और अंतर्राष्ट्रीय छवि को कमजोर करने का काम कर रही है। उन्होंने कहा,“अगर विपक्षी नेता इस तरह की गैरजिम्मेदाराना टिप्पणी करेंगे,तो दुनिया हम पर हँसेगी। यह केवल नरेंद्र मोदी की बात नहीं है,यह भारत की वैश्विक प्रतिष्ठा की बात है।”
उन्होंने राहुल गांधी के बयान को “राष्ट्रीय गरिमा का अपमान” बताया और कहा कि भारत अब वैश्विक अर्थव्यवस्था में चौथे स्थान पर पहुँच चुका है और ऐसे समय में देश की छवि को नुकसान पहुँचाना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।
राहुल गांधी ने अपने बयान में यह आरोप लगाया था कि डोनाल्ड ट्रंप के फोन के बाद ही पीएम मोदी ने संघर्षविराम समझौते पर हस्ताक्षर किए और इसे आत्मसमर्पण बताया। इस पर मलूक नागर ने पलटवार करते हुए कहा कि भारत ने हमेशा अपनी विदेश नीति और सुरक्षा नीति स्वतंत्र रूप से और दृढ़तापूर्वक लागू की है।
“हम किसी मध्यस्थता की आवश्यकता नहीं समझते। हमारे सशस्त्र बल,हमारी एजेंसियाँ और हमारी राजनीतिक इच्छाशक्ति पूरी तरह स्पष्ट हैं। हमने पहले ही किसी भी बाहरी हस्तक्षेप को खारिज किया है।”
नागर ने राहुल गांधी के उस बयान पर भी निशाना साधा जिसमें उन्होंने कहा था कि यदि वह सत्ता में होते तो पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) वापस ले लेते। इस पर नागर ने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा, “क्या इसका मतलब यह है कि पंडित नेहरू और इंदिरा गांधी जैसे प्रधानमंत्री असक्षम थे? क्या राहुल गांधी उनसे अधिक राष्ट्रवादी और योग्य हैं? कांग्रेस अब अपनी ही विरासत का मखौल बना रही है।”
उन्होंने कहा कि इतिहास को तोड़-मरोड़ कर राहुल गांधी केवल अपनी छवि सुधारने की कोशिश कर रहे हैं,लेकिन इससे कांग्रेस पार्टी की विश्वसनीयता और गहराई दोनों पर प्रश्नचिह्न लगते हैं।
मलूक नागर ने अंत में कांग्रेस से अपील की कि वह अपने नेताओं को ऐसे गैर-जिम्मेदाराना बयानों से रोके। उन्होंने कहा, “देश को कमजोर करने वाले बयान अब बर्दाश्त नहीं किए जाएँगे। लोकतंत्र में विपक्ष की भूमिका अहम है,लेकिन यह जिम्मेदारी के साथ निभानी चाहिए,न कि भावनाओं को भड़काकर।”
राहुल गांधी के इस बयान और उस पर मलूक नागर की तीखी प्रतिक्रिया से स्पष्ट है कि भारतीय राजनीति में विदेशी मामलों और सुरक्षा विषयों को लेकर गंभीरता का अभाव दिखाई दे रहा है। जहाँ एक ओर सत्ता पक्ष राष्ट्र की छवि की बात कर रहा है, वहीं विपक्ष राजनीतिक लाभ के लिए बेहद संवेदनशील विषयों का प्रयोग कर रहा है।
इस पूरे विवाद ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या राजनीतिक बयानबाज़ी की सीमा होनी चाहिए? क्या देश की विदेश नीति,सुरक्षा और कूटनीतिक मामलों को चुनावी मंच पर आरोप-प्रत्यारोप का साधन बनाया जाना उचित है?
यदि भारत को विश्व मंच पर एक मजबूत राष्ट्र के रूप में बने रहना है,तो यह आवश्यक है कि सभी दल राष्ट्रीय मुद्दों पर एकजुट हों और राजनैतिक लाभ से ऊपर उठकर सोचें। राष्ट्र की गरिमा,सेना का सम्मान और विदेश नीति की दृढ़ता किसी भी राजनीतिक रेखा से बड़ी होनी चाहिए।