भारतीय रुपया

डॉलर के मुकाबले रुपया हुआ मजबूत,सात महीने के बाद उच्चतम स्तर पर पहुँचा

नई दिल्ली,2 मई (युआईटीवी)- भारतीय रुपये ने डॉलर के मुकाबले अपनी मजबूती का सिलसिला जारी रखते हुए शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण स्तर को पार कर लिया। रुपया 40 पैसे की तेजी के साथ 84 के नीचे आ गया,जो पिछले सात महीनों में पहली बार देखा गया स्तर है। विदेशी निवेश,सकारात्मक व्यापार वार्ता और वैश्विक डॉलर इंडेक्स में कमजोरी ने भारतीय मुद्रा को बल दिया है।

शुक्रवार को विदेशी मुद्रा बाजार में रुपया 84.09 के स्तर पर खुला और शुरुआती कारोबार में ही तेजी दिखाते हुए 83.90 तक पहुँच गया। इससे पहले के सत्र में यह 84.49 पर बंद हुआ था। रुपये में यह उछाल निवेशकों और बाजार विश्लेषकों के लिए एक सकारात्मक संकेत के रूप में देखा जा रहा है।

बाजार विश्लेषकों के अनुसार,भारतीय शेयर बाजार में डेट और इक्विटी सेगमेंट में विदेशी निवेशकों की वापसी से रुपये को मजबूत समर्थन मिला है। बीते 11 कारोबारी सत्रों में विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने 37,375 करोड़ रुपये का निवेश किया है। यह निवेश वैश्विक बाजारों में अस्थिरता के बाद भारत को एक स्थिर और आकर्षक निवेश गंतव्य के रूप में दर्शाता है।

रुपये की मजबूती की एक और अहम वजह भारत और अमेरिका के बीच चल रही व्यापार वार्ता को लेकर सकारात्मक संकेत हैं। अमेरिकी मीडिया से बातचीत में अमेरिकी व्यापार वार्ताकार जेमिसन ग्रीर ने कहा कि भारत और अमेरिका व्यापार समझौते के बेहद करीब हैं। उन्होंने बताया कि उनकी टीम हाल ही में भारत में बातचीत के लिए गई थी और उन्होंने भारत के मुख्य वार्ताकार से भी मुलाकात की।

ग्रीर के अनुसार, “हम भारत के वाणिज्य मंत्री के साथ निरंतर संवाद में हैं। मेरी टीम भारत में एक सप्ताह रही और दोनों देशों के बीच व्यापारिक तालमेल को लेकर अच्छी प्रगति हुई है।” यह बयान दोनों देशों के बीच आर्थिक सहयोग की संभावनाओं को मजबूती देता है,जिससे रुपये को बल मिल रहा है।

रुपये की मजबूती के पीछे एक और अंतर्राष्ट्रीय कारक डॉलर इंडेक्स में गिरावट को माना जा रहा है। डॉलर इंडेक्स,जो अमेरिकी डॉलर की छह प्रमुख वैश्विक मुद्राओं के मुकाबले स्थिति को दर्शाता है,हाल ही में 100 के नीचे फिसल गया और अब यह 99 के करीब बना हुआ है। डॉलर की वैश्विक कमजोरी से अन्य मुद्राएँ,विशेषकर उभरती अर्थव्यवस्थाओं की मुद्राएँ,मजबूत हुई हैं,जिसमें भारतीय रुपया भी शामिल है।

1 अक्टूबर 2024 को रुपया आखिरी बार 84 के नीचे पहुँचा था,उस समय यह 83.82 के स्तर पर कारोबार कर रहा था। उस समय भी रुपये को वैश्विक बाजारों से मिल रही राहत और घरेलू स्तर पर बेहतर आर्थिक संकेतकों से सहारा मिला था।

रुपये की यह मजबूती केवल तकनीकी नहीं बल्कि आर्थिक विश्वास का प्रतीक भी है। विदेशी निवेशकों की वापसी,भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों में प्रगति और डॉलर की कमजोरी जैसी कई सकारात्मक घटनाओं ने मिलकर रुपये को स्थिरता की दिशा में अग्रसर किया है।

अगर ये रुझान बने रहते हैं,तो आने वाले समय में रुपया और मजबूती की ओर बढ़ सकता है,जिससे आयात सस्ता हो सकता है और महँगाई पर नियंत्रण रखने में मदद मिल सकती है।