रूसी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया जखारोवा (तस्वीर क्रेडिट@SilentlySirs)

रूस-अमेरिका शांति प्रयासों पर ब्रिटेन की बयानबाजी से नाराज मॉस्को,हस्तक्षेप न करने की दी हिदायत

मास्को,18 अगस्त (युआईटीवी)- यूक्रेन संघर्ष को समाप्त करने के लिए रूस और अमेरिका के बीच हाल के दिनों में तेज़ी से कूटनीतिक प्रयास सामने आ रहे हैं,लेकिन इस बीच ब्रिटेन की ओर से आ रही टिप्पणियों पर रूस ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। मॉस्को का कहना है कि लंदन अनावश्यक रूप से ऐसे बयान दे रहा है,जिनसे शांति वार्ता की दिशा कमजोर हो सकती है। रूसी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया जखारोवा ने सोमवार को स्पष्ट शब्दों में कहा कि ब्रिटेन को यूक्रेन संकट के समाधान की दिशा में चल रही रूस-अमेरिका की पहल को बाधित करने से बचना चाहिए।

जखारोवा ने कहा कि अलास्का के एंकोरेज में हाल ही में रूस और अमेरिका के नेतृत्व स्तर पर हुई बैठक में दोनों देशों ने वास्तविक इच्छा के साथ एक व्यापक,निष्पक्ष और स्थायी समाधान की दिशा में कदम बढ़ाया है। यह समाधान केवल युद्धविराम तक सीमित नहीं है,बल्कि इसमें संघर्ष के मूल कारणों को समाप्त करने का प्रयास भी शामिल है। ऐसे में लंदन से आ रही बयानबाजी इन सकारात्मक कोशिशों को न केवल कमजोर करती है,बल्कि शांति बहाल करने की दिशा में चल रहे अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों को भी प्रभावित करती है। उन्होंने कहा, “हम ब्रिटेन से आग्रह करते हैं कि वह जोखिम भरे और बिना सोचे-समझे भू-राजनीतिक दांव-पेंच से बचे और रूसी तथा अमेरिकी वार्ताकारों के कार्यों में दखल न दे।”

रूसी विदेश मंत्रालय की यह प्रतिक्रिया उस समय आई है,जब हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की मुलाकात के बाद दोनों देशों के बीच कूटनीतिक चैनल और अधिक सक्रिय हो गए हैं। क्रेमलिन के सहयोगी यूरी उशाकोव ने जानकारी दी कि पुतिन और ट्रंप के बीच हाल में फोन पर बातचीत हुई थी और दोनों नेताओं ने इस बात पर सहमति जताई कि वे महत्वपूर्ण मुद्दों पर लगातार संपर्क बनाए रखेंगे। उशाकोव के अनुसार,पुतिन ने अलास्का शिखर सम्मेलन के दौरान ट्रंप द्वारा दिखाए गए आतिथ्य और हुई प्रगति के लिए आभार भी व्यक्त किया।

ट्रंप ने भी सोमवार को अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ पर कहा कि रूस और यूक्रेन के बीच सीधे संवाद की तैयारी शुरू हो गई है। उनके अनुसार,पुतिन और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की के बीच मुलाकात की जमीन तैयार की जा रही है। ट्रंप ने आगे यह भी कहा कि यदि यह बैठक सफल रहती है,तो उसके बाद एक त्रिपक्षीय शिखर बैठक की दिशा में भी कदम बढ़ाए जाएँगे,जिसमें अमेरिका मध्यस्थ की भूमिका निभाएगा।

यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने भी संकेत दिए हैं कि वह किसी भी प्रारूप की बैठक के लिए तैयार हैं। कीव में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में जेलेंस्की ने कहा कि वह रूस के राष्ट्रपति के साथ सीधी वार्ता को लेकर सकारात्मक हैं और यदि अमेरिका इस प्रक्रिया का हिस्सा बनता है,तो इससे परिणामों की संभावनाएँ और बेहतर हो जाएँगी। उन्होंने बताया कि सोमवार को अमेरिकी नेतृत्व के साथ हुई चर्चा में यूक्रेन द्वारा 90 अरब डॉलर के हथियार अमेरिकी फंडिंग के जरिए खरीदने की योजना पर भी विचार हुआ। जेलेंस्की के अनुसार,यह कदम यूक्रेन की दीर्घकालिक सुरक्षा गारंटी का हिस्सा होगा।

इसके अलावा,उन्होंने खुलासा किया कि यूक्रेन द्वारा निर्मित ड्रोन को लेकर अमेरिका और कीव के बीच बातचीत चल रही है। हालाँकि,इस समझौते पर अभी औपचारिक सहमति नहीं बनी है,लेकिन अगले एक सप्ताह से दस दिनों में इस पर निर्णायक प्रगति की संभावना जताई जा रही है। इस ड्रोन डील को न केवल सैन्य सहयोग बल्कि तकनीकी साझेदारी की दिशा में भी अहम कदम माना जा रहा है।

जेलेंस्की ने यह भी उल्लेख किया कि हाल ही में ट्रंप के साथ उनकी लंबी बातचीत ओवल ऑफिस में प्रदर्शित एक मानचित्र पर केंद्रित रही। इस मानचित्र में यूक्रेन के वे क्षेत्र दिखाए गए थे,जिन पर रूस ने कब्जा किया हुआ है। उन्होंने कहा कि इस मानचित्र के जरिए उन्होंने संघर्ष की वास्तविक स्थिति और भूगोल को विस्तार से समझाया।

हालाँकि,इस चर्चा के बीच नाटो के महासचिव मार्क रूट ने स्पष्ट किया कि यूक्रेन की क्षेत्रीय सीमाओं के पुनर्निर्धारण पर किसी तरह की चर्चा नाटो के स्तर पर नहीं हुई है। उनका कहना था कि यह ऐसा संवेदनशील मामला है,जिस पर फैसला केवल कीव और मॉस्को के बीच सीधे संवाद से निकल सकता है। वहीं यूरोपीय नेताओं ने इस बात पर सहमति जताई कि यदि भविष्य में कोई त्रिपक्षीय बैठक होती है,तो उसमें जेलेंस्की रूस के साथ इस मुद्दे पर चर्चा कर सकते हैं।

इन घटनाक्रमों से यह स्पष्ट होता है कि अमेरिका और रूस यूक्रेन संघर्ष को समाप्त करने की दिशा में धीरे-धीरे पहल को आगे बढ़ा रहे हैं। हालाँकि,ब्रिटेन और कुछ यूरोपीय देशों की ओर से आ रही आपत्तियाँ इस प्रक्रिया को प्रभावित कर सकती हैं,लेकिन ट्रंप और पुतिन दोनों ही इस बात पर सहमत हैं कि सीधा संवाद ही किसी स्थायी समाधान का मार्ग खोल सकता है।

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर यह भी देखा जा रहा है कि इस बार कूटनीतिक वार्ता में पहले की तरह केवल युद्धविराम पर जोर नहीं है,बल्कि स्थायी समाधान के लिए संरचनात्मक मुद्दों जैसे सुरक्षा गारंटी,हथियारों की आपूर्ति और आर्थिक सहायता पर भी चर्चा हो रही है। ऐसे में यदि आने वाले हफ्तों में पुतिन और जेलेंस्की के बीच मुलाकात हो जाती है,तो इसे यूक्रेन संघर्ष की दिशा बदलने वाली घटना के रूप में देखा जा सकता है।

फिलहाल सारी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या रूस और यूक्रेन की यह संभावित बैठक वास्तव में शांति की दिशा में निर्णायक साबित होगी या फिर यह भी पिछले प्रयासों की तरह अधूरी रह जाएगी,लेकिन इतना तय है कि अमेरिका के सक्रिय हस्तक्षेप और रूस की सहमति ने वैश्विक स्तर पर उम्मीद की एक नई किरण जरूर जगाई है।