मॉस्को,8 अगस्त (युआईटीवी)- भारत और रूस के बीच रणनीतिक साझेदारी को और अधिक मजबूत बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठते हुए रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन इस महीने के अंत में भारत की यात्रा पर आ सकते हैं। यह जानकारी रूसी मीडिया की ओर से दी गई है,जिसमें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल के हालिया रूस दौरे के दौरान दिए गए बयान का हवाला दिया गया है। अजीत डोभाल ने मॉस्को में रूसी सुरक्षा परिषद के नए सचिव और पूर्व रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगु से मुलाकात की थी,जहाँ दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को लेकर गंभीर चर्चा हुई। इस दौरान डोभाल ने पुतिन की भारत यात्रा को लेकर संकेत दिया कि यह दौरा इसी महीने के अंत में हो सकता है।
एनएसए डोभाल ने अपनी बातचीत में कहा कि भारत और रूस के बीच अब बहुत अच्छे संबंध स्थापित हो चुके हैं,जिन्हें नई दिल्ली बहुत महत्व देती है। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह एक मजबूत रणनीतिक साझेदारी है,जो वर्षों से चली आ रही है और आज भी इसकी प्रासंगिकता उतनी ही मजबूत है। डोभाल ने कहा कि भारत-रूस संवाद अब उच्च स्तर पर हो रहा है और दोनों देशों के शीर्ष नेतृत्व एक-दूसरे के साथ नियमित रूप से संपर्क में रहते हैं। पुतिन की भारत यात्रा की खबर को लेकर डोभाल ने कहा कि हमें यह जानकर खुशी हुई कि राष्ट्रपति पुतिन का दौरा इसी महीने के अंत में प्रस्तावित है।
इससे पहले भी क्रेमलिन के सहायक यूरी उशाकोव ने पुष्टि की थी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निमंत्रण पर राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भारत यात्रा पर आने वाले हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह यात्रा दोनों देशों के बीच वार्षिक द्विपक्षीय शिखर बैठक की परंपरा के तहत होगी,जिसे लगातार निभाया जाता रहा है। उशाकोव ने कहा कि भारत और रूस के नेताओं के बीच हर वर्ष भेंटवार्ता होती है और इस बार उस परंपरा को निभाने की जिम्मेदारी रूस की है, इसलिए पुतिन भारत आ रहे हैं।
गौरतलब है कि राष्ट्रपति पुतिन ने आखिरी बार 6 दिसंबर 2021 को भारत का दौरा किया था। उस समय नई दिल्ली में 21वां भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन आयोजित किया गया था। उस यात्रा के दौरान रक्षा,ऊर्जा,विज्ञान और तकनीकी जैसे कई क्षेत्रों में महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए थे। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2024 में दो बार रूस की यात्रा की थी। पहली बार जुलाई में जब उन्होंने 22वें भारत-रूस शिखर सम्मेलन में भाग लिया और दूसरी बार अक्टूबर में जब वे रूस के कजान शहर में आयोजित ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में पहुँचे। इन यात्राओं के दौरान भी दोनों देशों ने द्विपक्षीय सहयोग को और अधिक व्यापक रूप देने की दिशा में कई कदम उठाए थे।
रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने भी इस वर्ष मार्च में एक सम्मेलन के दौरान इस दौरे की पुष्टि की थी। सम्मेलन का आयोजन “रूस और भारत: द्विपक्षीय संबंधों के लिए नया एजेंडा” विषय पर हुआ था। लावरोव ने कहा था कि भारत और रूस के बीच राजनीतिक संवाद लगातार आगे बढ़ रहा है और इसमें सबसे बड़ी भूमिका दोनों देशों के नेताओं की है। उन्होंने बताया था कि राष्ट्रपति पुतिन की भारत यात्रा की तैयारियाँ जोर-शोर से चल रही हैं और जल्द ही इसकी औपचारिक घोषणा की जाएगी।
लावरोव ने इस दौरान यह भी कहा कि भारत और रूस के बीच के संबंध समय की कसौटी पर खरे उतरे हैं। इन संबंधों की सबसे बड़ी खूबी यह है कि वे आपसी सम्मान,एक-दूसरे के हितों की समझ और समानता की भावना पर आधारित हैं। उन्होंने जोर दिया कि आज भी यह संबंध सभी क्षेत्रों में सक्रिय रूप से विकसित हो रहे हैं,फिर चाहे वह रक्षा हो,अंतरिक्ष हो,ऊर्जा हो या व्यापार और निवेश का क्षेत्र।
क्रेमलिन की ओर से भी जारी एक आधिकारिक बयान में कहा गया था कि भारत और रूस के रिश्ते पूरी तरह से रणनीतिक प्रकृति के हैं और यह किसी भी बाहरी प्रभाव या दबाव से प्रभावित नहीं होते। यह संबंध आत्मनिर्भर हैं और वैश्विक परिस्थितियों से इतर अपने मूल्यों और परंपराओं के आधार पर आगे बढ़ते हैं।
प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति पुतिन के बीच व्यक्तिगत स्तर पर भी अच्छी समझ मानी जाती है। पुतिन ने हाल ही में एक साक्षात्कार में मोदी को “एक बुद्धिमान और निर्णायक नेता” बताया था,जबकि प्रधानमंत्री मोदी भी रूस के साथ भारत के संबंधों को “गहराई और विश्वास” पर आधारित मानते हैं।
हालाँकि,इस बात का उल्लेख करना जरूरी है कि राष्ट्रपति पुतिन के आमंत्रण के बावजूद प्रधानमंत्री मोदी रूस में आयोजित 9 मई के विक्ट्री डे समारोह में भाग नहीं ले सके थे। उस समय भारत की व्यस्त राजनीतिक परिस्थितियों को इसका कारण बताया गया था।
अब जब राष्ट्रपति पुतिन भारत यात्रा की तैयारी में हैं,तो यह देखना दिलचस्प होगा कि इस दौरे में दोनों देशों के बीच कौन-कौन से नए समझौते होते हैं और किन क्षेत्रों में रणनीतिक सहयोग को और मजबूती दी जाती है। विशेष रूप से वैश्विक भू-राजनीतिक परिदृश्य में तेजी से हो रहे बदलावों के बीच यह यात्रा भारत और रूस दोनों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जा रही है।