मॉस्को,14 अगस्त (युआईटीवी)- रूस और यूक्रेन के बीच जारी संघर्ष के बीच कूटनीतिक मोर्चे पर एक नया विवाद खड़ा हो गया है। रूसी रक्षा मंत्रालय ने बुधवार को यूक्रेन की सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि कीव 15 अगस्त को अलास्का में होने वाली अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की ऐतिहासिक मुलाकात को विफल करने की योजना बना रहा है। यह बैठक रूस-यूक्रेन युद्ध के दीर्घकालिक शांतिपूर्ण समाधान पर केंद्रित होने वाली है,लेकिन रूस का दावा है कि यूक्रेन जानबूझकर इसमें बाधा डालना चाहता है।
रूसी रक्षा मंत्रालय ने टेलीग्राम पर जारी एक बयान में कहा कि उन्हें कई माध्यमों से जानकारी मिली है,जिसके अनुसार कीव प्रशासन ने शिखर सम्मेलन से ठीक पहले उकसावे की कार्रवाई करने की योजना बनाई है। मंत्रालय का आरोप है कि यूक्रेन की सुरक्षा सेवा ने विदेशी पत्रकारों के एक समूह को खारकीव के चुगुएव क्षेत्र भेजा है। यह क्षेत्र फिलहाल यूक्रेन के कब्जे में है और पत्रकारों को सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले लोगों पर रिपोर्ट तैयार करने के बहाने वहाँ ले जाया गया है।
रूस का दावा है कि इस योजना के तहत यूक्रेनी सेना चुगुएव या किसी अन्य घनी आबादी वाले क्षेत्र पर हमला करेगी और इसका दोष रूस पर मढ़ेगी। मंत्रालय ने कहा कि इस कथित हमले में यूएवी (ड्रोन) और मिसाइलों का इस्तेमाल किया जाएगा,ताकि बड़े पैमाने पर नागरिक हताहत हों,विशेष रूप से किसी अस्पताल या आवासीय क्षेत्र में। इसके बाद मौके पर मौजूद पश्चिमी मीडिया के पत्रकार इस घटना की तुरंत रिपोर्टिंग करेंगे,जिससे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर रूस की छवि खराब होगी और अलास्का में होने वाली वार्ता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
रूसी रक्षा मंत्रालय के अनुसार,यह कदम जानबूझकर उस माहौल को बिगाड़ने के लिए उठाया जाएगा,जिसमें रूस और अमेरिका के बीच यूक्रेन संघर्ष के समाधान पर सहयोग की संभावना बन सकती है। बयान में यह भी कहा गया है कि ऐसी उकसावे की घटनाएँ केवल चुगुएव तक सीमित नहीं रहेंगी,बल्कि यूक्रेन के नियंत्रण में अन्य बस्तियों में भी हो सकती हैं।
यह आरोप ऐसे समय में सामने आया है,जब दुनिया की निगाहें 15 अगस्त को होने वाले अलास्का शिखर सम्मेलन पर टिकी हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर पोस्ट करते हुए इस मुलाकात की घोषणा की थी। उन्होंने लिखा, “मेरे और पुतिन के बीच बहुप्रतीक्षित बैठक अगले शुक्रवार,15 अगस्त, 2025 को ग्रेट स्टेट ऑफ अलास्का में होगी। आगे की जानकारी जल्द दी जाएगी।”
यह बैठक भू-राजनीतिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है,क्योंकि इसमें रूस-यूक्रेन युद्ध के लंबे समय से चले आ रहे तनाव को समाप्त करने के लिए संभावित समझौतों पर चर्चा होने की संभावना है। ट्रंप और पुतिन की आमने-सामने मुलाकात,विशेष रूप से अमेरिकी धरती पर,एक दुर्लभ घटना है और इसे अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में बड़े बदलाव की संभावना के रूप में देखा जा रहा है।
रूसी राष्ट्रपति के वरिष्ठ सहयोगी यूरी उशाकोव ने भी इस बैठक के महत्व पर जोर दिया है। उन्होंने शनिवार को कहा था कि मास्को को उम्मीद है कि अलास्का शिखर सम्मेलन के बाद पुतिन और ट्रंप की अगली मुलाकात रूस में होगी। रूसी सरकारी समाचार एजेंसी तास से बातचीत में उशाकोव ने कहा, “अगर हम आगे की सोचें,तो स्वाभाविक रूप से हमें राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और डोनाल्ड ट्रंप के बीच अगली मुलाकात रूसी जमीन पर कराने का लक्ष्य रखना चाहिए। अमेरिकी राष्ट्रपति को पहले ही एक निमंत्रण भेजा जा चुका है।”
रूस के इन आरोपों पर यूक्रेन की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है,लेकिन अंतर्राष्ट्रीय राजनीतिक विश्लेषक इसे एक बड़े कूटनीतिक दबाव के रूप में देख रहे हैं। उनका मानना है कि अलास्का शिखर सम्मेलन से पहले रूस इस तरह के आरोप लगाकर न केवल यूक्रेन पर दबाव बना रहा है,बल्कि संभावित वार्ता में अपने लिए बेहतर स्थिति हासिल करने की कोशिश भी कर रहा है।
इस बीच,अमेरिका की स्थिति भी दिलचस्प है। ट्रंप प्रशासन के तहत यह बैठक ऐसे समय हो रही है,जब अमेरिका में विदेश नीति के प्रति दृष्टिकोण में बदलाव के संकेत मिल रहे हैं। ट्रंप पहले भी कह चुके हैं कि वह यूक्रेन युद्ध को “तेजी से समाप्त” करना चाहते हैं,लेकिन इसके लिए किस प्रकार का समझौता होगा,यह अभी स्पष्ट नहीं है। अलास्का में पुतिन के साथ उनकी मुलाकात इस दिशा में पहला बड़ा कदम मानी जा रही है।
पिछले कुछ महीनों में रूस और अमेरिका के बीच संपर्क बढ़ा है,हालाँकि यूक्रेन युद्ध को लेकर दोनों देशों के रुख में अब भी गहरी खाई है। अमेरिका यूक्रेन को सैन्य और आर्थिक सहायता देता रहा है,जबकि रूस इसे अपने खिलाफ प्रत्यक्ष हस्तक्षेप मानता है। ऐसे में अगर अलास्का शिखर सम्मेलन में कोई ठोस प्रगति होती है,तो यह न केवल दोनों देशों के संबंधों में बदलाव ला सकता है,बल्कि यूरोप और एशिया की भू-राजनीतिक स्थिति पर भी गहरा असर डाल सकता है।
फिलहाल,रूसी आरोपों के बाद शिखर सम्मेलन से पहले का माहौल और अधिक तनावपूर्ण हो गया है। अगर रूस के दावे सच साबित होते हैं,तो यह न केवल वार्ता की सफलता पर सवाल खड़ा करेगा,बल्कि अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में एक नया विवाद भी खड़ा कर देगा। दूसरी ओर,अगर यह आरोप बेबुनियाद निकलते हैं,तो इसे रूस की ओर से वार्ता से पहले की एक राजनीतिक चाल के रूप में देखा जाएगा।
अगले कुछ दिन इस पूरी कहानी के लिए निर्णायक साबित हो सकते हैं। 15 अगस्त को ट्रंप और पुतिन की ऐतिहासिक मुलाकात के साथ यह स्पष्ट हो जाएगा कि क्या दोनों नेता वास्तव में युद्ध समाप्त करने के लिए तैयार हैं या यह भी अंतर्राष्ट्रीय राजनीति के उन कई प्रयासों में से एक बनकर रह जाएगा,जो सिर्फ बयानों और आरोप-प्रत्यारोप में सिमट जाते हैं।