वाशिंगटन,16 दिसंबर (युआईटीवी)- अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस–यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने की दिशा में एक अहम संकेत देते हुए कहा है कि शांति के लिए चल रही बातचीत सही दिशा में आगे बढ़ रही है। उन्होंने उम्मीद जताई कि कई महीनों से जारी इस भीषण संघर्ष को रोका जा सकता है और युद्धविराम की राह खुल सकती है। बर्लिन में यूरोपीय नेताओं और यूक्रेनी अधिकारियों के साथ लंबी और गहन चर्चा के बाद ट्रंप ने यह बयान दिया,जिसे वैश्विक कूटनीति के लिहाज से एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम माना जा रहा है।
बर्लिन में पत्रकारों से बातचीत करते हुए राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि यूरोप के कई बड़े नेताओं के साथ उनकी “बहुत लंबी और अच्छी चर्चा” हुई है। इन बैठकों में रूस–यूक्रेन युद्ध ही मुख्य एजेंडा रहा। ट्रंप ने कहा कि हालात अब पहले की तुलना में अधिक सकारात्मक दिख रहे हैं और बातचीत में शामिल सभी पक्ष युद्ध को समाप्त करने की दिशा में गंभीरता से विचार कर रहे हैं। उन्होंने संकेत दिया कि कूटनीतिक प्रयास अब उस मुकाम पर पहुँच रहे हैं,जहाँ ठोस नतीजे सामने आ सकते हैं।
ट्रंप ने यह भी स्पष्ट किया कि उन्होंने सीधे यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की से बातचीत की है। इसके अलावा जर्मनी,इटली,फ्रांस,यूनाइटेड किंगडम,पोलैंड, फिनलैंड,नॉर्वे,डेनमार्क,नीदरलैंड और नाटो के शीर्ष नेताओं से भी संवाद हुआ। राष्ट्रपति के अनुसार,ये सभी बातचीत गंभीर,व्यावहारिक और आपसी तालमेल से भरी थीं। उन्होंने कहा कि यूरोपीय नेता युद्ध की भयावहता से भली-भांति परिचित हैं और इसे जल्द-से-जल्द समाप्त करने के पक्ष में हैं।
युद्ध में हो रही भारी जनहानि पर गहरी चिंता जताते हुए ट्रंप ने कहा कि यह संघर्ष कभी शुरू ही नहीं होना चाहिए था। उनके मुताबिक,हर महीने हजारों सैनिक और आम नागरिक अपनी जान गंवा रहे हैं,शहर तबाह हो रहे हैं और लाखों लोग विस्थापन का दर्द झेल रहे हैं। ट्रंप ने कहा कि युद्ध का यह सिलसिला न केवल यूक्रेन और रूस के लिए,बल्कि पूरे यूरोप और दुनिया के लिए विनाशकारी साबित हुआ है।
राष्ट्रपति ट्रंप ने यह भी बताया कि उनकी रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से कई बार बातचीत हो चुकी है और अब शांति समझौते के और करीब पहुँचा जा रहा है। ट्रंप के शब्दों में, “हमने राष्ट्रपति पुतिन के साथ कई बातचीत की हैं और मुझे लगता है कि अब हम पहले से कहीं ज्यादा करीब हैं।” उन्होंने कहा कि पुतिन भी अधिक से अधिक लोगों की जान बचाने की इच्छा रखते हैं और युद्ध को समाप्त करने के विकल्पों पर विचार कर रहे हैं। हालाँकि,ट्रंप ने यह भी स्वीकार किया कि सबसे बड़ी चुनौती दोनों पक्षों को एक ही मंच और एक ही सोच पर लाना है,लेकिन उन्हें लगता है कि यह प्रक्रिया काम कर रही है।
ट्रंप ने युद्ध में हुई तबाही को दूसरे विश्व युद्ध के बाद यूरोप में देखी गई सबसे भीषण क्षति बताया। उन्होंने कहा कि पूरे शहर मलबे में तब्दील हो चुके हैं,बुनियादी ढाँचा नष्ट हो गया है और एक पूरी पीढ़ी युद्ध के साये में जीने को मजबूर है। उन्होंने यह भी कहा कि यूरोपीय नेता नहीं चाहते कि यह संघर्ष और लंबा चले,क्योंकि इसका असर केवल सैन्य मोर्चे तक सीमित नहीं है,बल्कि ऊर्जा आपूर्ति,खाद्य सुरक्षा और वैश्विक आर्थिक स्थिरता पर भी पड़ा है।
नाटो के संदर्भ में ट्रंप ने कहा कि गठबंधन के भीतर सहयोग बना हुआ है और यूरोपीय देश भी अपनी भूमिका को लेकर गंभीर हैं। उन्होंने यह संकेत दिया कि भविष्य में ऐसी सुरक्षा व्यवस्था पर चर्चा हो रही है,जिससे दोबारा इस तरह का युद्ध न हो। इसमें यूरोप की भूमिका को अहम बताया जा रहा है,ताकि क्षेत्रीय स्थिरता सुनिश्चित की जा सके और किसी भी संभावित टकराव को समय रहते रोका जा सके।
पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए ट्रंप ने यह भी माना कि रूस के राष्ट्रपति पुतिन अब युद्ध समाप्त करना चाहते हैं और सामान्य जीवन की ओर लौटना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि शांति केवल हथियारों से नहीं,बल्कि भरोसे और सुरक्षा गारंटी से आएगी। इसी वजह से बातचीत में भविष्य की सुरक्षा व्यवस्था,सीमाओं की स्थिरता और राजनीतिक समाधान जैसे मुद्दों पर भी चर्चा हो रही है।
यूक्रेन में युद्ध अब चौथे साल में प्रवेश कर चुका है और इसे दूसरे विश्व युद्ध के बाद यूरोप का सबसे बड़ा सैन्य संघर्ष माना जा रहा है। इस युद्ध ने वैश्विक स्तर पर गहरे प्रभाव छोड़े हैं। ऊर्जा संकट,खाद्य आपूर्ति में बाधा और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में बढ़ता तनाव इसकी सबसे बड़ी मिसाल हैं। अमेरिका और नाटो देशों ने यूक्रेन को लगातार सैन्य,आर्थिक और मानवीय सहायता दी है,वहीं दूसरी ओर युद्ध रोकने के लिए कूटनीतिक प्रयास भी तेज किए गए हैं।
इस पूरे घटनाक्रम में भारत की भूमिका भी उल्लेखनीय रही है। भारत ने शुरू से ही संवाद और कूटनीति के जरिए समाधान पर जोर दिया है। भारत ने रूस और यूक्रेन दोनों के साथ अपने संबंध बनाए रखे हैं और कई अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर युद्ध तुरंत रोकने,बातचीत के जरिए समाधान निकालने और सभी देशों की संप्रभुता तथा क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने की बात कही है। भारत का मानना रहा है कि यह समय युद्ध का नहीं,बल्कि शांति का है।
डोनाल्ड ट्रंप के हालिया बयान ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में एक नई उम्मीद जगाई है। हालाँकि,यह अभी स्पष्ट नहीं है कि शांति वार्ता कब और किस रूप में अंतिम नतीजे तक पहुँचेगी,लेकिन इतना जरूर है कि लंबे समय बाद युद्ध के अंत की संभावना पर खुलकर बात हो रही है। आने वाले दिनों में यह देखना अहम होगा कि क्या यह कूटनीतिक प्रयास वास्तव में बंदूकों की आवाज को खामोशी में बदल पाएँगे और यूरोप को एक बार फिर शांति की राह पर ले जा सकेंगे।
