नई दिल्ली,4 दिसंबर (युआईटीवी)- रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन आज दो दिवसीय आधिकारिक दौरे पर भारत पहुँच रहे हैं। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली इस विशेष यात्रा को लेकर पूरी तरह सज चुकी है और सुरक्षा व्यवस्था को अभूतपूर्व स्तर पर मजबूत किया गया है। पुतिन की इस यात्रा को कई कारणों से महत्वपूर्ण माना जा रहा है,क्योंकि रूस और भारत दशकों से सामरिक,रक्षा और आर्थिक साझेदारी में मजबूत सहयोगी रहे हैं। यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद पुतिन का यह पहला भारत दौरा है,जो वैश्विक राजनीतिक परिवर्तनों के बीच दोनों देशों की दोस्ती की मजबूती का संकेत देता है।
भारत और रूस के बीच संबंध समय की कसौटी पर हमेशा खरे उतरे हैं। शीत युद्ध के समय से ही दोनों देशों ने एक-दूसरे पर भरोसे की नींव रखी,जो आज भी कायम है। रक्षा क्षेत्र में यह साझेदारी सबसे मजबूत दिखाई देती है,जहाँ रूस लंबे समय से भारत का सबसे विश्वसनीय सहयोगी रहा है। भारत की वायु सेना और थल सेना में आज भी कई आधुनिक और शक्तिशाली हथियार प्रणालियाँ रूसी तकनीक पर आधारित हैं। एसयू-30एमकेआई,एमआईजी-29, टी-90 टैंक और एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम जैसे उपकरण दोनों देशों की रक्षा साझेदारी की मजबूती का प्रमाण हैं।
रूस से भारत का सैन्य सहयोग केवल उपकरणों की खरीद तक सीमित नहीं रहा है। दोनों देश मिलकर भी कई रक्षा परियोजनाओं पर काम कर रहे हैं,जिनमें सबसे प्रमुख है सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस। भारत और रूस की संयुक्त तकनीक से निर्मित यह मिसाइल आज विश्व की सबसे घातक और तेज रफ्तार वाली क्रूज मिसाइलों में गिनी जाती है।
पुतिन की इस यात्रा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ विभिन्न रणनीतिक मुद्दों पर चर्चा होने की संभावना है। रक्षा संबंधों का और विस्तार,वैश्विक सुरक्षा चुनौतियाँ,आतंकवाद के खिलाफ सहयोग और हथियारों की नई खरीद जैसे प्रमुख विषय दोनों नेताओं की वार्ता के केंद्र में रह सकते हैं। यूक्रेन युद्ध के बाद रूस और पश्चिमी देशों के संबंधों में तनाव बढ़ा है,ऐसे में भारत का महत्व रूस के लिए और बढ़ गया है।
एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम की नई खेप को लेकर भी बातचीत की उम्मीद है। भारत और रूस के बीच 2018 में 5 अरब डॉलर की ऐतिहासिक डील हुई थी,जिसके तहत भारत को एस-400 के पाँच यूनिट मिलने थे। इनमें से तीन यूनिट पहले ही भारतीय सेना को मिल चुके हैं और शेष यूनिट की डिलीवरी पर निर्णय अभी लंबित है। इस यात्रा के दौरान इस पर निर्णायक बातचीत हो सकती है।
इसके साथ ही भारत नई पीढ़ी के एयर डिफेंस सिस्टम एस-500 को खरीदने पर भी विचार कर रहा है। एस-500 को रूसी रक्षा तकनीक का भविष्य माना जाता है,जो हाइपरसोनिक मिसाइलों को भी मार गिराने में सक्षम है। यदि भारत इस प्रणाली को हासिल करता है,तो उसकी वायु सुरक्षा क्षमता कई गुना बढ़ जाएगी।
सुखोई-57 लड़ाकू विमान भी इस यात्रा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हो सकता है। रूस पहले ही यह संकेत दे चुका है कि वह इस विमान की 70 प्रतिशत तकनीक भारत के साथ साझा करने को तैयार है। यदि दोनों देशों के बीच यह समझौता होता है,तो भारत न केवल अत्याधुनिक लड़ाकू विमान प्राप्त कर सकेगा,बल्कि भविष्य में इसे अपने ही देश में बनाने की दिशा में भी आगे बढ़ेगा। यह भारत की “मेक इन इंडिया” और आत्मनिर्भरता की नीति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण कदम होगा।
भारत और रूस केवल रक्षा साझेदार ही नहीं हैं,बल्कि व्यापारिक क्षेत्र में भी उनकी साझेदारी बढ़ती जा रही है। रूस का प्रयास है कि दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों को मजबूत किया जाए और व्यापार को 5 अरब डॉलर के नए लक्ष्य तक पहुँचाया जाए। वैश्विक मंच पर बदलती आर्थिक परिस्थितियों और भू-राजनीतिक तनावों के बीच रूस,भारत जैसे स्थिर और उभरते बाज़ारों पर अधिक भरोसा कर रहा है।
डॉलर पर निर्भरता कम करने के लिए भारत और रूस अपनी स्थानीय मुद्राओं में व्यापार करने की दिशा में भी आगे बढ़ सकते हैं। यह कदम दोनों देशों को पश्चिमी आर्थिक प्रतिबंधों और डॉलर आधारित लेनदेन की जटिलताओं से राहत देगा।
भारत से रूस को खाद्य पदार्थों,समुद्री उत्पादों,औषधियों और डिजिटल सेवाओं के निर्यात में बढ़ोतरी की संभावना है। रूस,भारत की फार्मा इंडस्ट्री और आईटी सेवाओं को विशेष रूप से उच्च गुणवत्ता और विश्वसनीयता के लिए महत्वपूर्ण मानता है।
ऊर्जा,जलवायु परिवर्तन,आपदा प्रबंधन और शिक्षा के क्षेत्र भी इस यात्रा के महत्वपूर्ण हिस्से होंगे। भारत और रूस पहले भी ऊर्जा सेक्टर में गहरे सहयोग करते रहे हैं। रूस,भारत का एक प्रमुख तेल और गैस आपूर्तिकर्ता है और दोनों देशों के बीच ऊर्जा साझेदारी को और मजबूत करने की दिशा में समझौते हो सकते हैं।
मोबिलिटी समझौता भी इस यात्रा का अहम विषय हो सकता है,जिसके तहत दोनों देशों के नागरिकों की यात्रा और रोजगार से संबंधित प्रक्रियाओं को आसान बनाया जा सकता है।
पुतिन की भारत यात्रा केवल एक औपचारिक राज्याभिषेक नहीं है,बल्कि यह भारत और रूस के बीच दशकों की दोस्ती को एक नए युग में प्रवेश कराने वाली रणनीतिक बैठक मानी जा रही है। वैश्विक परिस्थितियों में हो रहे बदलावों के बीच यह यात्रा दोनों देशों को एक बार फिर यह संदेश देने का अवसर देगी कि उनकी दोस्ती केवल इतिहास तक सीमित नहीं,बल्कि भविष्य के निर्माण में भी उतनी ही महत्वपूर्ण है।

