सऊदी क्राउन प्रिंस एमबीएस का ऐतिहासिक अमेरिकी दौरा(तस्वीर क्रेडिट@Mylovanov)

सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मुलाकात: परमाणु ऊर्जा,रक्षा सौदे और खाशोज्जी विवाद पर गरमाया माहौल

वाशिंगटन,20 नवंबर (युआईटीवी)- सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान (एमबीएस) ने अपनी ऐतिहासिक अमेरिका यात्रा के दौरान व्हाइट हाउस में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात की। यह दौरा कई मायनों में खास रहा,क्योंकि 2018 में पत्रकार जमाल खाशोज्जी की हत्या के बाद यह एमबीएस का पहला आधिकारिक अमेरिकी दौरा था। इस मुलाकात में जहाँ दोनों देशों के बीच रक्षा,ऊर्जा और खनन क्षेत्र से जुड़े कई महत्वपूर्ण समझौतों पर मुहर लगी,वहीं खाशोज्जी हत्याकांड को लेकर पूछे गए सवालों ने माहौल को गर्म भी कर दिया।

व्हाइट हाउस में आयोजित बैठक के दौरान राष्ट्रपति ट्रंप और एमबीएस ने कई रणनीतिक साझेदारी कार्यक्रमों को आगे बढ़ाने पर चर्चा की। इसमें सबसे अहम असैन्य परमाणु ऊर्जा से जुड़े जॉइंट डिक्लेरेशन पर हस्ताक्षर था। यह समझौता मध्य पूर्व में ऊर्जा सहयोग को नए आयाम देने वाला कदम माना जा रहा है,क्योंकि इसके जरिये सऊदी अरब अपनी ऊर्जा क्षमता को आधुनिक तकनीक के साथ आगे बढ़ाने की तैयारी कर रहा है। इसी के साथ दोनों देशों ने महत्वपूर्ण खनिज ढाँचे और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर भी एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए,जिससे आने वाले वर्षों में तकनीकी और आर्थिक सहयोग को नई मजबूती मिलने की उम्मीद है।

इसके अलावा,दोनों देशों के बीच रक्षा समझौतों पर भी बड़ी प्रगति हुई। राष्ट्रपति ट्रंप ने मुलाकात से पहले ही घोषणा कर दी थी कि अमेरिका,सऊदी अरब को 48 एफ-35एस स्टेल्थ फाइटर जेट उपलब्ध कराएगा। यह कदम न केवल सऊदी अरब की सैन्य क्षमताओं को बढ़ाएगा,बल्कि मध्य पूर्व की सामरिक राजनीति पर भी इसका गहरा असर पड़ने वाला है। इसके साथ ही लगभग 300 अमेरिकी टैंकों की डिलीवरी को भी मंजूरी दी गई है,जिसे अमेरिका-सऊदी रणनीतिक रक्षा समझौते (एसडीए) का महत्वपूर्ण हिस्सा बताया जा रहा है। व्हाइट हाउस ने इस समझौते को दोनों देशों की रक्षा साझेदारी को और मजबूत करने वाला ऐतिहासिक कदम कहा है।

हालाँकि,बैठक के दौरान पत्रकारों के सवालों ने माहौल को काफी तनावपूर्ण बना दिया,खासकर जब एबीसी न्यूज की एक रिपोर्टर ने खाशोज्जी हत्याकांड को लेकर एमबीएस पर सवाल उठाया। यह वही मामला है,जिसने 2018 में विश्वभर में सऊदी अरब की छवि को झटका दिया था। अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया था कि खाशोज्जी की हत्या क्राउन प्रिंस की मंजूरी से हुई। ऐसे में पत्रकार का सवाल था कि जब अमेरिकी एजेंसियाँ खुद एमबीएस को जिम्मेदार ठहराती हैं,तो अमेरिकी जनता उन पर कैसे भरोसा करे?

इस सवाल पर राष्ट्रपति ट्रंप भड़क गए। उन्होंने पत्रकार को बीच में ही रोकते हुए कहा, “आप फेक न्यूज हैं। आप जिस व्यक्ति का जिक्र कर रही हैं,वह बेहद विवादित रहा है और बहुत से लोग उन्हें पसंद नहीं करते थे। आप उन्हें पसंद करें या न करें,लेकिन चीजें होती रहती हैं। क्राउन प्रिंस को इस बारे में कुछ पता नहीं था और हम इसे यहीं छोड़ सकते हैं। आपको ऐसे सवाल पूछकर हमारे मेहमान को शर्मिंदा करने की जरूरत नहीं है।” ट्रंप की यह प्रतिक्रिया सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गई और एक बार फिर यह सवाल उठा कि क्या व्हाइट हाउस मानवाधिकार मुद्दों पर समझौता कर रहा है।

ट्रंप की इस टिप्पणी को विशेषज्ञ वैश्विक राजनीति में अमेरिका की भूमिका के संदर्भ में भी देख रहे हैं। विश्लेषकों का मानना है कि खाशोज्जी मामले में क्राउन प्रिंस को “क्लीन चिट” देना अमेरिका के भू-राजनीतिक हितों का हिस्सा हो सकता है,क्योंकि सऊदी अरब ऊर्जा,रक्षा और निवेश के मोर्चे पर अमेरिका का एक बेहद महत्वपूर्ण साझेदार है। वहीं,यह कदम ट्रंप प्रशासन को घरेलू राजनीति में नए विवादों में भी घेर सकता है।

हालाँकि,इन कड़वे सवालों के बावजूद,बैठक के सामरिक और आर्थिक परिणाम काफी महत्वपूर्ण रहे। परमाणु ऊर्जा सहयोग से लेकर रक्षा क्षेत्र में बढ़ते तालमेल तक,दोनों देशों ने भविष्य की साझेदारी की दिशा में बड़े कदम उठाए। क्राउन प्रिंस एमबीएस ने भी अमेरिकी नेतृत्व की सराहना की और कहा कि सऊदी अरब अमेरिका के साथ मिलकर मध्य पूर्व में स्थिरता,प्रगति और तकनीकी विकास को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है।

इस तरह,खाशोज्जी विवाद पर तल्ख माहौल के बावजूद,सऊदी अरब और अमेरिका की यह मुलाकात कई बड़े रणनीतिक समझौतों और साझेदारियों के लिए ऐतिहासिक रही। यह देखना दिलचस्प होगा कि इन समझौतों का भविष्य में मध्य पूर्व और वैश्विक राजनीति पर क्या प्रभाव पड़ता है।