वर्जीनिया गिफ्रे (तस्वीर क्रेडिट@josuealeexis)

यौन अपराधी जेफरी एपस्टीन के खिलाफ आवाज उठाने वाली वर्जीनिया गिफ्रे ने 41 वर्ष की आयु में की आत्महत्या

कैनबरा,26 अप्रैल (युआईटीवी)- वर्जीनिया गिफ्रे,जिन्होंने कुख्यात यौन अपराधी जेफरी एपस्टीन और उसके शक्तिशाली सहयोगियों के खिलाफ खुलकर आवाज उठाई थी,अब इस दुनिया में नहीं रहीं। 41 वर्षीय गिफ्रे ने ऑस्ट्रेलिया के नीर्गैबी में आत्महत्या कर ली। शुक्रवार को उनके परिवार ने उनके निधन की पुष्टि की और उन्हें “एक निडर योद्धा” बताया,जिन्होंने यौन शोषण और मानव तस्करी के खिलाफ न सिर्फ लड़ाई लड़ी,बल्कि कई पीड़ितों की आवाज भी बनीं।

गिफ्रे का जीवन संघर्षों से भरा रहा। फ्लोरिडा में जन्मीं वर्जीनिया को बचपन में ही पारिवारिक जान-पहचान वालों से यौन शोषण का सामना करना पड़ा। ये घटनाएँ उनके मानसिक स्वास्थ्य और आत्मसम्मान पर गहरा असर डाल गईं। किशोरावस्था में वह बेघर हो गईं और उसी दौरान उनकी मुलाकात घिसलीन मैक्सवेल से हुई,जो एपस्टीन की करीबी सहयोगी थीं।

यही वह मोड़ था,जहाँ से उनका जीवन और भी कठिन हो गया। गिफ्रे ने आरोप लगाया कि 1999 से 2002 के बीच उन्हें एपस्टीन द्वारा यौन शोषण और मानव तस्करी के लिए मजबूर किया गया। वह न सिर्फ खुद पीड़िता रहीं,बल्कि उन्होंने यह भी दावा किया कि उन्हें प्रभावशाली लोगों के पास भेजा गया,जिनमें ब्रिटेन के प्रिंस एंड्रयू और फ्रांस के मॉडलिंग एजेंट जीन-ल्यूक ब्रुनेल जैसे नाम शामिल हैं। हालाँकि, इन दोनों ने गिफ्रे के आरोपों से साफ इनकार किया था।

वर्जीनिया गिफ्रे की गवाही और लगातार प्रयासों की बदौलत ही एपस्टीन और मैक्सवेल जैसे रसूखदार लोगों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही संभव हो पाई। उन्होंने न सिर्फ अपनी आवाज बुलंद की,बल्कि अन्य पीड़ितों को भी आगे आने का हौसला दिया।

उनकी गवाही के आधार पर ही 2021 में घिसलीन मैक्सवेल को यौन तस्करी और नाबालिग लड़कियों को फँसाने के जुर्म में दोषी करार दिया गया। मैक्सवेल इस समय अमेरिका में जेल की सजा काट रही हैं। वर्जीनिया की भूमिका इस कानूनी प्रक्रिया में बेहद अहम मानी जाती है। उनकी बातों ने कई दरवाजे खोले और ऐसे नेटवर्क का पर्दाफाश किया,जो वर्षों से शक्तिशाली लोगों की छत्रछाया में फल-फूल रहा था।

दूसरी ओर,जेफरी एपस्टीन को 2019 में जेल में मृत पाया गया था। आधिकारिक तौर पर इसे आत्महत्या बताया गया,लेकिन उसकी मौत पर आज भी संदेह बना हुआ है।

गिफ्रे के परिवार ने एक बयान जारी कर बताया कि उन्होंने एक लंबा संघर्ष लड़ा। यह संघर्ष न्याय के साथ-साथ मानसिक और भावनात्मक संतुलन के लिए था। उन्होंने कहा कि वर्जीनिया ने हजारों पीड़ितों को हिम्मत दी,लेकिन खुद अपने अंदर के दर्द और बोझ को पूरी तरह से कभी नहीं छोड़ पाईं।

उनकी आत्महत्या यह दिखाती है कि यौन उत्पीड़न के खिलाफ लड़ाई सिर्फ अदालतों में नहीं,बल्कि मन और दिल के भीतर भी लड़ी जाती है। वर्जीनिया के लिए यह जंग अंततः बहुत भारी पड़ गई।

वर्जीनिया गिफ्रे की कहानी हमें कई चीजें सिखाती है,जिसमें सत्ता व पैसे के पीछे छुपे अत्याचारियों को उजागर करने के लिए असाधारण साहस की आवश्यकता,यौन शोषण और तस्करी जैसी घटनाएँ पीड़ितों को जीवनभर प्रभावित करती हैं आदि इसमें शामिल है।

उनकी मौत यह भी याद दिलाती है कि यौन शोषण के पीड़ितों को केवल न्याय नहीं, बल्कि निरंतर मानसिक और सामाजिक समर्थन की भी जरूरत होती है। पीड़ितों के लिए परामर्श,देखभाल और समाज की संवेदनशीलता उतनी ही जरूरी है जितनी कानूनी प्रक्रिया।

वर्जीनिया गिफ्रे की मौत एक साहसी आवाज का मौन हो जाना है,लेकिन उनका संघर्ष,उनकी सच्चाई और उनकी लड़ाई हमेशा एक प्रेरणा के रूप में याद की जाएगी। उन्होंने दिखाया कि कितनी भी बड़ी ताकत हो,अगर कोई सच बोलने का साहस कर ले,तो दुनिया हिल सकती है।