किसान आंदोलन (तस्वीर क्रेडिट@BajrangPunia)

शंभू और खनौरी बॉर्डर से किसानों को ‘जबरन’ हटाया गया था,आज देशभर में विरोध प्रदर्शन का ऐलान

अमृतसर,28 मार्च (युआईटीवी)- पंजाब पुलिस ने 19 मार्च को शंभू और खनौरी बॉर्डर से प्रदर्शनकारी किसानों को जबरन हटा दिया था। इस पुलिस कार्रवाई के खिलाफ अब किसान पूरे देश में विरोध प्रदर्शन करने की तैयारी कर रहे हैं। किसान नेताओं ने शुक्रवार को जिला स्तर पर डीसी दफ्तरों पर प्रदर्शन करने का ऐलान किया है। इसके बाद,31 मार्च को पंजाब सरकार के मंत्रियों के घरों पर भी प्रदर्शन की घोषणा की गई है। किसानों का यह कदम इस बात को लेकर है कि पुलिस की कार्रवाई और किसानों के खिलाफ किए गए इन अत्याचारों के खिलाफ उनकी आवाज उठाई जाए।

किसान मजदूर संघर्ष कमेटी और किसान मजदूर संघर्ष मोर्चा पंजाब ने गुरुवार को अमृतसर स्थित प्रेस क्लब में एक प्रेस कांफ्रेंस का आयोजन किया,जिसमें इस मुद्दे पर अपना विरोध दर्ज कराया और आगामी आंदोलन की रूपरेखा साझा की। इस प्रेस कांफ्रेंस में किसान नेताओं ने 19 मार्च की घटना का विरोध किया और आगामी कदमों के बारे में विस्तार से जानकारी दी।

किसान नेताओं ने बताया कि 19 मार्च को पंजाब सरकार के आदेश पर पुलिस ने शंभू और खनौरी बॉर्डर से किसानों को खदेड़ा और कई प्रमुख किसान नेताओं को हिरासत में लिया। इस कार्रवाई को किसान नेताओं ने बेहद दुर्भाग्यपूर्ण बताया और कहा कि इससे पूरे पंजाब में किसान आंदोलन और तेज हो गया। किसान नेताओं ने स्पष्ट रूप से कहा कि सरकार की इस कार्रवाई से किसानों में गहरी नाराजगी बढ़ी है और आगामी 28 मार्च को जिला स्तर पर डीसी दफ्तरों पर बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन होगा। इसके बाद,31 मार्च को पंजाब सरकार के मंत्रियों के घरों पर प्रदर्शन किए जाएँगे।

किसान नेताओं का यह भी आरोप है कि जब किसानों को शंभू और खनौरी बॉर्डर से हटाया गया,तो वहाँ किसानों का करोड़ों रुपये का सामान मौजूद था,जिसमें कीमती ट्रालियाँ और अन्य जरूरी सामान शामिल थे,जो अब तक गायब हैं। इस नुकसान के लिए पंजाब सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए उन्होंने सरकार से किसानों को हुए नुकसान की भरपाई की माँग की है। साथ ही,बड़ी संख्या में हिरासत में लिए गए किसानों की रिहाई की माँग भी की है।

किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के अध्यक्ष रणजीत सिंह कलेरबाला ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि जब से पुलिस ने पंजाब सरकार के आदेश पर किसानों पर कार्रवाई की है,संघर्ष और तेज हो गया है। उन्होंने कहा कि जब तक उनकी माँगें पूरी नहीं होतीं,उनका आंदोलन ऐसे ही जारी रहेगा। कलेरबाला ने कहा, “हम 28 मार्च को डीसी हेडक्वार्टर पर बड़ी संख्या में एकत्र होंगे और 31 मार्च को पंजाब सरकार के मंत्रियों के घरों पर हम एक साथ प्रदर्शन करेंगे। हमारी माँगों को नजरअंदाज करना पंजाब सरकार के लिए भारी पड़ेगा।” उन्होंने यह भी कहा कि बीते 19 मार्च को जिन किसानों को हिरासत में लिया गया था,उनमें से कुछ किसानों को रिहा कर दिया गया है,जबकि कई अन्य अभी भी विभिन्न जेलों में बंद हैं। कलेरबाला ने यह भी स्पष्ट किया कि जब तक सभी किसान नेताओं को रिहा नहीं किया जाता,आंदोलन जारी रहेगा।

कलेरबाला ने बताया कि किसान आंदोलन पूरी तरह से संवैधानिक था और सरकार की ओर से इस तरह की कार्रवाई उचित नहीं थी। उन्होंने कहा, “यदि हमारा आंदोलन गैर-संवैधानिक होता,तो पंजाब सरकार ने हमें मुआवजा क्यों दिया?” उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि जब आंदोलनों में किसान घायल हुए थे,तो उन्हें सरकार ने मुआवजा दिया था। कलेरबाला ने यह भी कहा कि अब यह आंदोलन घर-घर का आंदोलन बन चुका है और जब तक उनकी 12 प्रमुख माँगें पूरी नहीं होतीं,उनका संघर्ष जारी रहेगा। इन माँगों में मजदूरों को बेहतर दिहाड़ी,कानूनी-व्यवस्था जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे शामिल हैं।

किसान नेताओं ने अपनी बात रखते हुए सभी नागरिकों से अपील की है कि वे इस आंदोलन में समर्थन दें और पंजाब सरकार पर दबाव डालें कि वह किसानों की माँगों को जल्द-से-जल्द पूरा करे। उनका मानना है कि सरकार यदि किसानों की माँगों को नजरअंदाज करती है,तो इसका परिणाम पंजाब सरकार के लिए कठिन होगा।

किसान आंदोलन के इस उग्र रूप में केवल पंजाब के किसान ही नहीं,बल्कि अन्य राज्य भी इस आंदोलन में शामिल हो सकते हैं। इस आंदोलन में विभिन्न क्षेत्रों के किसान और श्रमिक अपनी आवाज उठा रहे हैं। किसान नेताओं का कहना है कि जब तक उनकी माँगें पूरी नहीं होतीं,वे सरकार के खिलाफ प्रदर्शन जारी रखेंगे। उनके मुताबिक,यह केवल एक राज्य का आंदोलन नहीं है,बल्कि यह एक राष्ट्रीय मुद्दा बन चुका है,जिसे समग्र देश में समर्थन मिल सकता है।

किसानों की इन माँगों में सुधार की आवश्यकता है,खासकर उनके आर्थिक और कानूनी अधिकारों को लेकर। उनके लिए बेहतर दिहाड़ी,सही कानूनी व्यवस्था और सरकारी सहायता की आवश्यकता है,जिससे उनकी जीवन स्थिति में सुधार हो सके। यह आंदोलन केवल किसानों के हित में नहीं है,बल्कि यह उन मजदूरों के लिए भी है,जो आज भी सही मेहनताना नहीं प्राप्त कर पा रहे हैं।

किसान नेताओं का यह आंदोलन सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती साबित हो सकता है,क्योंकि यह न केवल पंजाब बल्कि पूरे देश में किसानों की स्थिति पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता को दर्शाता है।