नई दिल्ली,26 मई (युआईटीवी)- भारत ने हाल ही में पाकिस्तान में स्थित आतंकी ठिकानों पर “ऑपरेशन सिंदूर” को अंजाम देकर दुनिया को यह स्पष्ट संदेश दे दिया है कि अब भारत आतंकवाद के खिलाफ ‘नई सामान्य स्थिति’ की ओर बढ़ चुका है। इस संदेश को और प्रभावी तरीके से वैश्विक समुदाय तक पहुँचाने के लिए भारत सरकार ने 7 प्रतिनिधिमंडल 32 देशों में भेजे हैं। इनका उद्देश्य न केवल ऑपरेशन सिंदूर की सफलता को दुनिया के सामने रखना है,बल्कि यह भी स्पष्ट करना है कि भारत अब आतंकवाद के खिलाफ सख्त नीति अपना चुका है। इन प्रतिनिधिमंडलों में एक का नेतृत्व कांग्रेस सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. शशि थरूर कर रहे हैं।
यह सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल अमेरिका की यात्रा के बाद अब गुयाना पहुँच चुका है। गुयाना की राजधानी जॉर्जटाउन में संवाददाता सम्मेलन के दौरान थरूर ने आतंकवाद पर पाकिस्तान को कड़ा संदेश देते हुए कहा, “भारत अब सिर्फ आतंकवादियों को मारने या पकड़ने तक सीमित नहीं रहेगा,बल्कि जो लोग उन्हें फंडिंग कर रहे हैं,ट्रेनिंग दे रहे हैं,हथियार दे रहे हैं और उनके पीछे बैठकर साजिश रच रहे हैं, उन्हें भी भारत अब खुले तौर पर चुनौती देगा।”
थरूर ने कहा कि भारत पिछले चार दशकों से आतंकवाद से पीड़ित रहा है,लेकिन अब हम एक नए मोड़ पर पहुँच चुके हैं,जहाँ देश आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक रवैया अपनाए हुए है। उन्होंने कहा, “हम किसी को यह नहीं मानने देंगे कि वे हमारे नागरिकों को मार सकते हैं और फिर बचकर निकल सकते हैं। अब उन्हें इसकी कीमत चुकानी होगी।”
यह स्पष्ट संकेत है कि भारत अब ‘हिट एंड रन’ वाली रणनीति को सहन नहीं करेगा। आतंकवादी हमलों का जवाब केवल सीमित सैन्य कार्रवाई से नहीं, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर राजनीतिक,कूटनीतिक और आर्थिक दबाव बनाकर भी दिया जाएगा।
गुयाना सरकार के नेताओं ने भी भारत के इस कदम को समर्थन दिया है। उपराष्ट्रपति भरत जगदेव ने शशि थरूर के प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात के बाद कहा कि, “गुयाना आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत के साथ खड़ा है। हम मानते हैं कि आतंकियों को सजा मिलनी चाहिए।” प्रधानमंत्री मार्क एंथनी फिलिप्स ने भी भारत की आतंकवाद के खिलाफ ‘शून्य सहनशीलता’ नीति और ऑपरेशन सिंदूर के प्रति समर्थन जताया।
यह अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत की बढ़ती साख और कूटनीतिक पकड़ को दर्शाता है,जहाँ एक ओर पाकिस्तान को दुनिया के मंच पर अलग-थलग किया जा रहा है,वहीं भारत अपनी सशक्त विदेश नीति के जरिए आतंकवाद पर अंतर्राष्ट्रीय जनमत तैयार कर रहा है।
शशि थरूर ने यह भी कहा कि भारत अब आतंकवादियों के साथ-साथ उनकी मदद करने वालों को भी निशाना बनाएगा। यह बयान उस नीति में बदलाव को दर्शाता है,जो पहले अक्सर केवल आतंकी संगठनों तक सीमित रहती थी। अब भारत उनकी फंडिंग, ट्रेनिंग और शरण देने वाले देशों और संगठनों को भी जवाबदेह ठहराना चाहता है।
थरूर ने कहा, “हमने यह सुनिश्चित कर लिया है कि अब आतंकवाद के खिलाफ हमारी नीति एक नई सामान्य स्थिति बन गई है। हम दोहराते हैं कि हम इस तरह के कृत्यों को किसी भी सूरत में माफ नहीं करेंगे और उनका जवाब अवश्य देंगे।”
शशि थरूर के नेतृत्व में जो प्रतिनिधिमंडल इस अंतर्राष्ट्रीय यात्रा पर है,उसमें सभी प्रमुख दलों के सांसद शामिल हैं। इसमें भाजपा से तेजस्वी सूर्या,शशांक मणि त्रिपाठी, भुवनेश्वर के लता जैसे युवा नेता हैं तो शिवसेना से मिलिंद देवड़ा और झारखंड मुक्ति मोर्चा,लोजपा और टीडीपी के सांसद भी शामिल हैं। अमेरिका में भारत के पूर्व राजदूत तरनजीत सिंह संधू भी इस दल का हिस्सा हैं,जो विदेश नीति के विशेषज्ञ माने जाते हैं।
यह प्रतिनिधिमंडल न केवल ऑपरेशन सिंदूर की जानकारी साझा कर रहा है,बल्कि विभिन्न देशों की सरकारों,संसदों और मीडिया समूहों से संवाद करके भारत की सुरक्षा चिंताओं को गंभीरता से रखने का प्रयास कर रहा है।
भारत का यह रुख वैश्विक मंच पर एक मजबूत राजनीतिक और कूटनीतिक संदेश देता है। पहले जहाँ भारत आतंकवादी हमलों के बाद संयम दिखाता था,वहीं अब भारत हमलों के जवाब में सिर्फ कार्रवाई नहीं कर रहा,बल्कि उन कार्रवाइयों को दुनिया के सामने बड़ी योजना के तहत रख रहा है।
भारत यह बताना चाहता है कि अब कोई भी देश या संगठन आतंकवादियों को पनाह देकर खुद को बचा नहीं सकता। भारत अब प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से जुड़े सभी तत्वों को निशाने पर लेगा।
शशि थरूर के नेतृत्व में यह प्रतिनिधिमंडल भारत के आतंकवाद विरोधी अभियान का वैश्विक चेहरा बनकर उभरा है। पाकिस्तान को स्पष्ट संदेश दिया जा चुका है कि भारत अपने नागरिकों की हत्या को किसी कीमत पर सहन नहीं करेगा। अब आतंकवाद केवल एक सुरक्षा मुद्दा नहीं,बल्कि भारत की वैश्विक रणनीति का केंद्र बन चुका है। भारत अपनी विदेश नीति,रक्षा नीति और कूटनीतिक शक्ति के ज़रिए आतंकवाद को वैश्विक मुद्दा बनाकर एक नई दिशा में आगे बढ़ रहा है।