शेख हसीना

ढाका में तनाव के बीच आज शेख हसीना पर फैसला सुनाएगा इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्यूनल

नई दिल्ली,17 नवंबर (युआईटीवी)- बांग्लादेश की राजनीति आज एक बेहद संवेदनशील और निर्णायक मोड़ पर खड़ी है। देश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्यूनल बांग्लादेश (आईसीटीबीडी) आज अपना ऐतिहासिक फैसला सुनाने जा रहा है। इस फैसले का इंतजार न सिर्फ बांग्लादेश की राजनीतिक व्यवस्था कर रही है,बल्कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की निगाहें भी इस पर टिकी हुई हैं। अदालत ने सुबह 11 बजे कार्यवाही शुरू करने का समय तय किया है,जबकि फैसले से पहले पूरे ढाका में अभूतपूर्व सुरक्षा व्यवस्था लागू कर दी गई है।

शेख हसीना पर हत्या,मानवता के खिलाफ अपराध,छात्रों पर अत्याचार,एक्स्ट्रा ज्यूडिशियल किलिंग,फायरिंग के आदेश देने और कानून-व्यवस्था के दुरुपयोग सहित कई गंभीर आरोप लगाए गए हैं। प्रॉसिक्यूशन ने उनकी गैरहाजिरी में ही उनके खिलाफ मृत्युदंड की माँग की है। हसीना फिलहाल भारत में हैं,जहाँ वे 2024 में बांग्लादेश में हुए राजनीतिक उथल-पुथल के बाद शरण लेने को मजबूर हो गई थीं। अदालत ने इसी साल 10 जुलाई को उनके खिलाफ आरोप तय किए थे,जिसके बाद से इस दिन का इंतजार लगातार बढ़ता चला गया।

फैसले से पहले राजधानी ढाका में स्थिति काफी तनावपूर्ण हो गई है। पिछले कुछ दिनों से कॉकटेल विस्फोट,आगजनी और हिंसा के मामले लगातार सामने आते रहे हैं। अवामी लीग द्वारा 16–17 नवंबर को आयोजित देशव्यापी हड़ताल के दौरान हिंसा में तेजी देखी गई। इसी पृष्ठभूमि में ढाका मेट्रोपॉलिटन पुलिस (डीएमपी) आयुक्त शेख मोहम्मद सज्जात अली ने रविवार शाम को ‘शूट एट साइट’ का आदेश जारी कर दिया। आदेश के अनुसार,कोई भी व्यक्ति आगजनी,कॉकटेल बम विस्फोट या पुलिस तथा नागरिकों पर हमले की कोशिश करता पाया जाता है,तो सुरक्षा बल उसे देखते ही गोली मार सकते हैं।

ढाका में सुरक्षा की दृष्टि से हाईकोर्ट गेट से लेकर डोयल छत्तर तक सभी वाहनों की आवाजाही को पूर्ण रूप से प्रतिबंधित कर दिया गया है। कानून प्रवर्तन एजेंसियाँ—पुलिस और रैपिड एक्शन बटालियन (आरएबी) पूरे शहर में गश्त कर रही हैं। हाई कोर्ट और ट्रिब्यूनल परिसर के पास आने-जाने वालों की गहन जाँच की जा रही है। हर संदिग्ध गतिविधि पर पैनी नजर रखी जा रही है और मीडिया को किसी भी तरह की अफवाह फैलाने से बचने की सलाह दी गई है। ढाका में ऐसा माहौल वर्षों बाद देखने को मिल रहा है,जब किसी एक फैसले ने पूरे राष्ट्र की सांसें थाम दी हों।

शेख हसीना के खिलाफ मौजूदा घटनाक्रम को समझने के लिए जुलाई 2024 की घटनाओं को देखना जरूरी है,जब बांग्लादेश में छात्र आंदोलन अचानक भड़क उठा था। यह आंदोलन शुरू तो शिक्षा सुधारों और सरकारी नीतियों के विरोध से हुआ,लेकिन कुछ ही दिनों में यह हिंसक रूप ले बैठा। आंदोलन के दौरान सरकारी दफ्तरों,पुलिस चौकियों और कई निजी प्रतिष्ठानों पर हमले हुए। स्थिति इतनी बिगड़ गई कि सेना को भी हस्तक्षेप करना पड़ा। इसी अराजकता के बीच हसीना सरकार पर कठोर कार्रवाई करने और मानवाधिकारों के उल्लंघन के आरोप लगाए गए।

हिंसा इतनी व्यापक थी कि संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार,जुलाई 2024 में करीब 1,400 लोगों की मौत हुई। विपक्षी दलों और मानवाधिकार संगठनों ने आरोप लगाया कि हसीना सरकार ने आंदोलन को दबाने के लिए अत्यधिक बल प्रयोग किया,जिसमें छात्रों की गिरफ्तारी,यातना और बिना न्यायिक प्रक्रिया के हत्याएँ शामिल थीं। इसी दौरान,हसीना सरकार को ‘गैर-लोकतांत्रिक तरीके’ से गिरा दिया गया,जैसा कि कई बांग्लादेशी विश्लेषकों और अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं ने दावा किया। सरकार के गिरते ही,अगस्त 2024 में शेख हसीना देश छोड़कर भारत चली गईं।

इसके बाद बांग्लादेश में नोबेल शांति पुरस्कार विजेता प्रोफेसर मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार का गठन किया गया। यूनुस लंबे समय से हसीना सरकार के आलोचक रहे हैं और हसीना के सत्ता से हटने के बाद उनका राजनीतिक प्रभाव तेजी से बढ़ा। उनके नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने देश की कानून-व्यवस्था को पुनर्गठित करने का प्रयास शुरू किया और उन सभी मामलों को फिर से खोला जिन पर हसीना के शासनकाल में सवाल खड़े हुए थे।

शेख हसीना के खिलाफ आईसीटीबीडी की कार्रवाई इसी व्यापक जाँच का हिस्सा है। हालाँकि,हसीना की अवामी लीग पार्टी का कहना है कि यह मुकदमा राजनीतिक प्रतिशोध है और असंतोष को कुचलने के लिए रचा गया एक षड्यंत्र है। वहीं अंतरिम सरकार का दावा है कि यह न्याय की प्रक्रिया है और किसी भी नेता को कानून से ऊपर नहीं माना जा सकता।

फैसले के दिन पूरे बांग्लादेश में दहशत,चिंता और उम्मीद का मिश्रण देखा जा रहा है। हसीना के समर्थक इस पूरे मामले को ‘राजनीतिक नाटक’ बताते हुए इसे खारिज करते हैं,जबकि उनके विरोधियों को लगता है कि यह उनके शासनकाल में हुए कथित अत्याचारों का न्यायिक अंत है। ढाका के कई इलाकों में इंटरनेट सेवाएँ प्रभावित हैं,सोशल मीडिया पर निगरानी बढ़ा दी गई है और फेक न्यूज फैलाने वालों पर तत्काल कार्रवाई की चेतावनी दी गई है।

आज का फैसला बांग्लादेश की राजनीति,समाज और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को निर्णायक रूप से प्रभावित कर सकता है। यदि अदालत हसीना को दोषी करार देती है,तो यह देश के राजनीतिक भविष्य को नया मोड़ देगा। वहीं यदि उन्हें किसी आरोप में दोषमुक्त घोषित किया जाता है,तो न सिर्फ बांग्लादेश में बल्कि भारत सहित पड़ोसी देशों में भी नई राजनीतिक बहस छिड़ सकती है।

ढाका की सड़कों पर पसरा तनाव बताता है कि यह फैसला सिर्फ एक नेता का नहीं, बल्कि पूरे राष्ट्र की दिशा को तय करेगा। अब सबकी नजरें आईसीटीबीडी के फैसले पर टिकी हैं,जो आने वाले समय में बांग्लादेश की राजनीतिक स्थिरता और सामाजिक सामंजस्य की असली परीक्षा साबित हो सकता है।