न्यूयॉर्क की गवर्नर कैथी होचुल (तस्वीर क्रेडिट@GovKathyHochul)

अमेरिका में शटडाउन से मचा हाहाकार: न्यूयॉर्क में बंद हुई खाद्य सहायता,25 राज्यों ने ट्रंप सरकार के खिलाफ दायर किया मुकदमा

न्यूयॉर्क,31 अक्टूबर (युआईटीवी)- अमेरिका में जारी संघीय सरकार का शटडाउन अब देश की अर्थव्यवस्था के साथ-साथ आम जनता के जीवन पर भी गहरा असर डाल रहा है। स्थिति इतनी गंभीर हो चुकी है कि अब न्यूयॉर्क जैसे बड़े राज्य में भी संघीय खाद्य सहायता कार्यक्रम पूरी तरह बंद हो जाएगा। इससे करोड़ों अमेरिकी नागरिक,विशेष रूप से निम्न-आय वर्ग के परिवार,गंभीर खाद्य संकट का सामना कर रहे हैं। शटडाउन की वजह से न केवल संघीय दफ्तरों का कामकाज ठप पड़ा है,बल्कि देश की सामाजिक सुरक्षा व्यवस्था पर भी इसका सीधा असर दिखाई देने लगा है।

न्यूज एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार,न्यूयॉर्क की गवर्नर कैथी होचुल ने इस संकट से निपटने के लिए आपातकालीन कदम उठाने की घोषणा की है। उन्होंने 65 मिलियन डॉलर के नए राज्य कोष की घोषणा की,जिसके तहत न्यूयॉर्क के निवासियों को लगभग 40 मिलियन भोजन उपलब्ध कराने का वादा किया गया है। हालाँकि,उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि संघीय सहायता बंद होने से राज्य पर भारी दबाव पड़ेगा।

गवर्नर होचुल ने कहा, “रिपब्लिकन पार्टी की संघीय सरकार के शटडाउन के चलते ट्रंप प्रशासन ने देशभर के राज्यों में संकट से निपटने के लिए वैधानिक रूप से स्वीकृत संघीय इमरजेंसी फंड जारी करने से इनकार कर दिया है। यह निर्णय न केवल गैरजिम्मेदाराना है,बल्कि करोड़ों अमेरिकियों की रोजमर्रा की जरूरतों के साथ खिलवाड़ है।”

यह शटडाउन लंबे समय से चल रही राजनीतिक खींचतान का नतीजा है। ट्रंप प्रशासन और डेमोक्रेटिक पार्टी के बीच संघीय बजट को लेकर मतभेद गहराते जा रहे हैं,जिसके चलते कई सरकारी एजेंसियों की फंडिंग रोक दी गई है। अब इसका सीधा असर पूरक पोषण सहायता कार्यक्रम (एसएनएपी)पर पड़ा है,जो अमेरिका का सबसे बड़ा एंटी-हंगर कार्यक्रम है।

एसएनएपी के तहत देशभर में लगभग 42 मिलियन लोग खाद्य सहायता प्राप्त करते हैं। इनमें से अधिकांश ऐसे परिवार हैं,जो संघीय गरीबी रेखा के आसपास या उससे नीचे जीवन यापन करते हैं। इस कार्यक्रम के माध्यम से जरूरतमंद परिवारों को हर महीने फूड स्टैम्प या इलेक्ट्रॉनिक बेनिफिट ट्रांसफर (ईबीटी) कार्ड के जरिये खाद्य सामग्री खरीदने में सहायता दी जाती है।

अमेरिकी कृषि विभाग (यूएसडीए) ने इस महीने की शुरुआत में राज्य एजेंसियों को निर्देश दिया था कि अपर्याप्त धनराशि के कारण नवंबर के लिए वितरण फिलहाल रोक दिया जाए। इस निर्णय ने करोड़ों नागरिकों को असमंजस की स्थिति में डाल दिया है,क्योंकि वे अब यह नहीं जानते कि आने वाले हफ्तों में उनके पास भोजन के लिए संसाधन कहाँ से आएँगे।

न्यूयॉर्क के अलावा,कई अन्य राज्यों ने भी इस संकट से निपटने के लिए अपने स्तर पर कदम उठाए हैं। लुइसियाना के गवर्नर जेफ लैंड्री ने हाल ही में एक आपातकालीन घोषणा पर हस्ताक्षर किए हैं,जिससे राज्य में एसएनएपी लाभों का वित्तपोषण जारी रखा जा सके। वहीं,वर्मोंट के सांसदों ने बुधवार को यह सुनिश्चित करने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया कि 15 नवंबर तक निवासियों को फूड स्टैम्प मिलते रहें।

न्यू मैक्सिको में भी स्थिति गंभीर बनी हुई है। वहाँ,की गवर्नर मिशेल लुजान ग्रिशम ने घोषणा की है कि राज्य सरकार अपने नागरिकों को 30 मिलियन डॉलर की आपातकालीन खाद्य सहायता प्रदान करेगी। यह सहायता ईबीटी कार्ड के माध्यम से दी जाएगी,ताकि लोगों को एसएनएपी लाभों की अस्थायी भरपाई मिल सके।

लेकिन इन सब प्रयासों के बावजूद,संघीय स्तर पर समस्या जस की तस बनी हुई है। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के फैसले से असंतुष्ट होकर अब 25 डेमोक्रेटिक राज्यों के गवर्नर और अटॉर्नी जनरल ने संघीय अदालत में उनके खिलाफ मुकदमा दायर किया है। इस शिकायत में यह कहा गया है कि ट्रंप सरकार ने संविधान द्वारा स्वीकृत आपातकालीन निधि का उपयोग करने से इनकार कर,लाखों नागरिकों को भूख के संकट में धकेल दिया है।

इन राज्यों ने अदालत से माँग की है कि वह अमेरिकी कृषि विभाग को यह आदेश दे कि वह कांग्रेस द्वारा आवंटित आकस्मिक निधि का उपयोग करके एसएनएपी कार्यक्रम को जारी रखे। उनका कहना है कि यह केवल एक राजनीतिक मुद्दा नहीं है,बल्कि मानवीय संकट बन चुका है। अगर आने वाले दिनों में स्थिति नहीं सुधरी,तो देश के कई हिस्सों में भूख और कुपोषण की दर तेजी से बढ़ सकती है।

गौरतलब है कि शटडाउन के कारण न केवल खाद्य सहायता,बल्कि कई अन्य सामाजिक कल्याण योजनाओं पर भी संकट मंडरा रहा है। लाखों सरकारी कर्मचारी बिना वेतन के काम कर रहे हैं या मजबूरन छुट्टी पर भेजे गए हैं। देश के कई हवाई अड्डों,डाकघरों और सार्वजनिक संस्थानों में कामकाज प्रभावित हुआ है। आर्थिक विश्लेषकों का कहना है कि अगर यह स्थिति अगले कुछ हफ्तों तक जारी रहती है,तो अमेरिकी अर्थव्यवस्था को अरबों डॉलर का नुकसान झेलना पड़ेगा।

न्यूयॉर्क की गवर्नर कैथी होचुल ने चेतावनी दी कि यदि संघीय स्तर पर तत्काल कोई समाधान नहीं निकाला गया,तो राज्य सरकारें भी लंबे समय तक इस संकट का बोझ नहीं उठा पाएँगी। उन्होंने कहा, “हम अपने नागरिकों को भूखा नहीं रहने देंगे,लेकिन जब तक वाशिंगटन में राजनीतिक गतिरोध खत्म नहीं होता,तब तक राज्य सरकारों पर दबाव बढ़ता जाएगा।”

विशेषज्ञों का कहना है कि यह शटडाउन केवल एक राजनीतिक लड़ाई नहीं,बल्कि अमेरिका की सामाजिक सुरक्षा प्रणाली के भविष्य की परीक्षा भी है। एसएनएपी जैसे कार्यक्रम उन करोड़ों नागरिकों के जीवन से जुड़े हैं,जो पहले से ही गरीबी और बेरोजगारी से जूझ रहे हैं। यदि शटडाउन जल्द समाप्त नहीं हुआ,तो यह संकट अमेरिकी समाज में असमानता को और गहरा कर सकता है।

इस बीच,व्हाइट हाउस ने यह संकेत दिया है कि यदि कांग्रेस में बजट को लेकर सहमति नहीं बनती,तो प्रशासन अन्य आपातकालीन उपायों पर विचार कर सकता है,लेकिन जब तक राजनीतिक टकराव जारी रहेगा,तब तक आम नागरिकों के लिए राहत की उम्मीदें बहुत सीमित हैं।

अमेरिका के इतिहास में यह शटडाउन उन सबसे लंबे और जटिल संकटों में से एक बनता जा रहा है,जिसने दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था को झकझोर कर रख दिया है। अब सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या ट्रंप प्रशासन और विपक्ष के बीच समझौता होता है या फिर यह राजनीतिक गतिरोध आने वाले महीनों में और गहराता जाएगा,जिससे भूख,बेरोजगारी और सामाजिक अस्थिरता जैसी समस्याएँ और गंभीर रूप ले सकती हैं।