दक्षिण कोरिया की संसद (तस्वीर क्रेडिट @riskyyadav41)

दक्षिण कोरिया में राष्ट्रपति के मार्शल लॉ के फैसले को सांसदों ने बहुमत से पलटा

सियोल,4 दिसंबर (युआईटीवी)- दक्षिण कोरिया में पिछले कुछ घंटों में एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम हुआ, जिसने न केवल देश के भीतर,बल्कि वैश्विक स्तर पर भी खलबली मचा दी। इस घटनाक्रम की शुरुआत दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून सुक-योल द्वारा अचानक मार्शल लॉ (सैन्य शासन) लागू करने की घोषणा से हुई। इसके बाद विपक्ष ने इस कदम का कड़ा विरोध किया और इसके खिलाफ संसद में जोरदार बहस शुरू हो गई। परिणामस्वरूप,नेशनल असेंबली ने बहुमत से मार्शल लॉ को अस्वीकार कर दिया,जिसके बाद राष्ट्रपति यून सुक-योल को अपना निर्णय बदलना पड़ा और उन्होंने मार्शल लॉ हटाने की घोषणा की।

योनहाप समाचार एजेंसी के मुताबिक, दक्षिण कोरिया की नेशनल असेंबली में सांसदों ने मतदान करके मार्शल लॉ को समाप्त करने का निर्णय लिया। इसमें संसद के अधिकांश सदस्य इस कदम के खिलाफ थे और उन्होंने सर्वसम्मति से मार्शल लॉ को अस्वीकार कर दिया। इसके तुरंत बाद, राष्ट्रपति यून सुक-योल ने सार्वजनिक रूप से घोषणा की कि वह अब मार्शल लॉ को हटाते हैं,जिससे स्थिति सामान्य हो गई।

राष्ट्रपति यून सुक-योल ने मार्शल लॉ लागू करने के अपने फैसले के पक्ष में यह तर्क दिया था कि इसे सरकार और देश को बचाने के लिए लागू किया गया था। उनके अनुसार,सरकार की कार्यप्रणाली और विपक्षी दलों के रवैये के कारण देश ‘पंगु’ हो गया था और यह कदम उत्तर कोरिया की कम्युनिस्ट ताकतों से बचाव के लिए लिया गया। राष्ट्रपति ने कहा कि यह कदम उन ‘घिनौने तत्वों’ को समाप्त करने के लिए उठाया गया था,जो देश की कार्यप्रणाली और संवैधानिक व्यवस्था को नुकसान पहुँचाने का प्रयास कर रहे थे।

मार्शल लॉ की घोषणा के बाद,दक्षिण कोरिया में एक आपातकालीन स्थिति जैसी स्थिति बन गई थी,जिससे घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर गंभीर चिंताएँ उत्पन्न हुईं। इस बीच,दक्षिण कोरिया के संयुक्त चीफ ऑफ स्टाफ ने पुष्टि की कि मार्शल लॉ लागू करने के लिए तैनात सैनिक अब अपने ठिकानों पर वापस लौट आए हैं,जो सामान्य स्थिति की ओर लौटने का संकेत था।

राष्ट्रपति यून ने अपने बयान में यह भी कहा कि मार्शल लॉ देश को उन राज्य विरोधी ताकतों से बचाने के लिए लागू किया गया था,जो देश की संवैधानिक व्यवस्था को बाधित करने और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को पंगु बनाने का प्रयास कर रहे थे। हालाँकि, नेशनल असेंबली द्वारा मार्शल लॉ को समाप्त करने की माँग के बाद राष्ट्रपति ने अपना निर्णय बदला और सैनिकों को वापस बुला लिया। उन्होंने कहा, “मैंने देश को बचाने के लिए मार्शल लॉ की घोषणा की,लेकिन अब नेशनल असेंबली के फैसले का सम्मान करते हुए, मैं इसे हटा रहा हूँ।”

इस अचानक घटनाक्रम के बाद दक्षिण कोरिया के राजनीतिक क्षेत्र में हलचल मच गई। विपक्षी दलों ने इस फैसले का तीखा विरोध किया और राष्ट्रपति यून सुक-योल के खिलाफ अपना आक्रोश व्यक्त किया। हालाँकि,मार्शल लॉ के हटने के बाद विपक्षी दलों ने थोड़ा नरम रुख अपनाया,लेकिन उन्होंने राष्ट्रपति की आलोचना जारी रखी। कुछ विपक्षी नेताओं ने तो राष्ट्रपति के खिलाफ महाभियोग की कार्यवाही शुरू करने की धमकी भी दी। रीबिल्डिंग कोरिया पार्टी के नेता ह्वांग अन-हा ने इस सैन्य लामबंदी की निंदा करते हुए महाभियोग प्रस्ताव लाने का इरादा व्यक्त किया।

इस घटनाक्रम का प्रभाव अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी देखा गया। खासकर अमेरिका ने इसे लेकर अपनी चिंता व्यक्त की। व्हाइट हाउस ने बयान जारी करते हुए कहा कि उसे राहत मिली है कि राष्ट्रपति यून ने मार्शल लॉ की अपनी घोषणा को पलट लिया है। अमेरिका ने यह भी कहा कि दक्षिण कोरिया और अमेरिका के बीच लोकतंत्र पर आधारित गठबंधन को इस घटनाक्रम से कोई खतरा नहीं होना चाहिए। राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के प्रवक्ता ने कहा, “हम राहत महसूस कर रहे हैं कि राष्ट्रपति यून ने मार्शल लॉ को वापस लिया है। हम स्थिति पर लगातार नजर बनाए रखेंगे।”

मार्शल लॉ के निर्णय ने दक्षिण कोरिया में एक गंभीर राजनीतिक संकट उत्पन्न कर दिया था और इस घटना ने यह दिखा दिया कि दक्षिण कोरिया में सत्ता के बीच संतुलन और लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर गहरी नजर रखी जाती है। विपक्षी दलों का यह तर्क था कि राष्ट्रपति ने अपनी ताकत का दुरुपयोग किया है और एक संवैधानिक संकट उत्पन्न किया है। हालाँकि,राष्ट्रपति यून ने अपने कदम को देश के लिए आवश्यक बताया था और उनका कहना था कि यह कदम उत्तर कोरिया जैसी धमकियों से सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए था।

इस पूरे घटनाक्रम ने दक्षिण कोरिया में लोकतंत्र,सत्ता के संतुलन और संवैधानिक प्रावधानों के महत्व को पुनः रेखांकित किया है। यह घटनाएँ यह भी दिखाती हैं कि कैसे एक सत्ताधारी पार्टी और विपक्ष के बीच संघर्ष,राष्ट्रीय सुरक्षा और राजनीतिक स्थिरता पर गंभीर असर डाल सकता है।

अंततः, राष्ट्रपति यून सुक-योल ने अपनी घोषणा को पलटकर संसद के निर्णय का सम्मान किया,लेकिन इस घटना से दक्षिण कोरिया की राजनीति में एक नई दिशा की ओर इशारा किया है, जिसमें विपक्ष और सत्ताधारी पक्ष के बीच संघर्ष अभी खत्म नहीं हुआ है।