नई दिल्ली,15 दिसंबर (युआईटीवी)- चेन्नई में आयोजित एसडीएटी स्क्वैश वर्ल्ड कप 2025 का फाइनल भारतीय खेल इतिहास में एक यादगार अध्याय के रूप में दर्ज हो गया,जब भारतीय स्क्वैश टीम ने टॉप सीड हांगकांग,चीन को 3-0 से करारी शिकस्त देकर पहली बार वर्ल्ड कप ट्रॉफी अपने नाम की। घरेलू दर्शकों के सामने मिली इस ऐतिहासिक जीत ने न सिर्फ भारतीय खिलाड़ियों की मेहनत और प्रतिभा को दुनिया के सामने रखा,बल्कि भारत को स्क्वैश वर्ल्ड कप जीतने वाला पहला एशियाई देश भी बना दिया।
इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी भारतीय टीम को बधाई दी। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर पोस्ट करते हुए इसे देश के लिए गर्व का क्षण बताया। प्रधानमंत्री ने लिखा कि एसडीएटी स्क्वैश वर्ल्ड कप 2025 में इतिहास रचने और पहला वर्ल्ड कप खिताब जीतने के लिए भारतीय स्क्वैश टीम को हार्दिक शुभकामनाएँ। उन्होंने जोशना चिनप्पा,अभय सिंह,वेलवन सेंथिल कुमार और अनाहत सिंह की सराहना करते हुए कहा कि इन खिलाड़ियों ने जबरदस्त लगन, अनुशासन और पक्का इरादा दिखाया है। पीएम मोदी ने यह भी कहा कि इस जीत से देश के युवाओं के बीच स्क्वैश की लोकप्रियता को नई ऊँचाई मिलेगी।
फाइनल मुकाबला चेन्नई के एक्सप्रेस एवेन्यू मॉल में खेला गया,जहाँ दर्शकों का उत्साह चरम पर था। घरेलू माहौल और भीड़ के समर्थन ने भारतीय खिलाड़ियों का हौसला बढ़ाया। फाइनल की शुरुआत भारत की सबसे अनुभवी खिलाड़ी जोशना चिनप्पा ने की। 39 वर्षीय जोशना ने अपने अनुभव और बेहतरीन कोर्टक्राफ्ट का शानदार प्रदर्शन करते हुए हांगकांग की का यी ली को 3-1 से हराया। मुकाबले के स्कोर 7-3, 2-7, 7-5 और 7-1 रहे। दूसरे गेम में पिछड़ने के बावजूद जोशना ने धैर्य नहीं खोया और अगले दो गेम में आक्रामक और संतुलित खेल दिखाकर भारत को 1-0 की महत्वपूर्ण बढ़त दिलाई।
इसके बाद कोर्ट पर उतरे भारत के नंबर-1 पुरुष खिलाड़ी अभय सिंह,जिन्होंने अपने खेल से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। अभय ने हांगकांग के एलेक्स लाउ के खिलाफ शुरू से ही दबदबा बनाए रखा और उन्हें सीधे सेटों में 3-0 से मात दी। स्कोर 7-1, 7-4 और 7-4 रहा। अभय की इस जीत ने भारत को 2-0 की अजेय बढ़त दिला दी और खिताब से महज एक कदम दूर पहुँचा दिया। उनकी तेज रफ्तार,सटीक शॉट चयन और मानसिक मजबूती ने यह साबित कर दिया कि वह बड़े मुकाबलों के खिलाड़ी हैं।
निर्णायक मुकाबले में सभी की निगाहें भारत की युवा सनसनी अनाहत सिंह पर टिकी थीं। महज 17 साल की उम्र में वर्ल्ड कप फाइनल खेलना और दबाव में उतरना किसी भी खिलाड़ी के लिए बड़ी चुनौती होती है,लेकिन अनाहत ने अपने खेल से उम्र से कहीं अधिक परिपक्वता दिखाई। उन्होंने हांगकांग की टोमाटो हो को 3-0 से हराकर भारत की जीत पर मुहर लगा दी। इस मुकाबले में स्कोर 7-2, 7-2 और 7-5 रहा। अनाहत पूरे टूर्नामेंट की सबसे कम उम्र की खिलाड़ी थीं और फाइनल में उनका आत्मविश्वास,फुर्ती और आक्रामकता काबिल-ए-तारीफ रही।
टीम इंडिया का हिस्सा रहे वेलवन सेंथिल कुमार को फाइनल में खेलने का मौका नहीं मिला,लेकिन पूरे टूर्नामेंट में उनकी भूमिका और योगदान अहम रहा। भारतीय टीम की यह जीत सिर्फ फाइनल तक सीमित नहीं थी,बल्कि पूरे टूर्नामेंट में टीम का प्रदर्शन एकतरफा और प्रभावशाली रहा। ग्रुप स्टेज में भारत ने स्विट्जरलैंड और ब्राजील को 4-0 से हराकर अपने इरादे साफ कर दिए थे। इसके बाद क्वार्टर फाइनल में दक्षिण अफ्रीका को 3-0 से शिकस्त दी गई।
सेमीफाइनल में भारत का सामना दो बार के डिफेंडिंग चैंपियन मिस्र से हुआ,जिसे स्क्वैश की सबसे मजबूत टीमों में गिना जाता है। इस मुकाबले में भी भारतीय खिलाड़ियों ने बेखौफ खेल दिखाते हुए मिस्र को 3-0 से हराकर सभी को चौंका दिया। यह जीत भारत के आत्मविश्वास के लिए टर्निंग पॉइंट साबित हुई और फाइनल में टीम पूरी तैयारी और विश्वास के साथ उतरी।
भारत के लिए यह खिताब इसलिए भी खास है क्योंकि इससे पहले 2023 में टीम को कांस्य पदक से संतोष करना पड़ा था। उस अनुभव से सीख लेते हुए भारतीय खिलाड़ियों ने इस बार कोई गलती नहीं की और पूरे टूर्नामेंट में एक भी मैच नहीं गंवाया। हर मुकाबले में टीमवर्क,रणनीति और मानसिक मजबूती साफ नजर आई।
इस ऐतिहासिक जीत ने भारतीय स्क्वैश को वैश्विक मानचित्र पर नई पहचान दिलाई है। यह सफलता आने वाले वर्षों में न केवल युवा खिलाड़ियों को प्रेरित करेगी,बल्कि भारत में स्क्वैश को एक लोकप्रिय और प्रतिस्पर्धी खेल के रूप में स्थापित करने में भी अहम भूमिका निभाएगी। चेन्नई में लहराया तिरंगा और खिलाड़ियों की आँखों में खुशी के आँसू इस बात के गवाह थे कि यह जीत सिर्फ एक ट्रॉफी नहीं,बल्कि भारतीय खेलों के उज्ज्वल भविष्य का संकेत है।
