नई दिल्ली,15 दिसंबर (युआईटीवी)- दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कथित शराब नीति घोटाला मामले में जमानत से इनकार के खिलाफ समीक्षा याचिका दायर की थी,जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है।
बुधवार को पारित अपने आदेश में न्यायमूर्तियों संजीव खन्ना और एस.वी.एन. भट्टी की पीठ ने कहा कि, ” हमने ध्यानपूर्वक समीक्षा याचिकाओं का अध्ययन किया। साथ ही उसके समर्थन में आधारों का भी हमने ध्यानपूर्वक अध्ययन किया है। अध्ययन करने के पश्चात हम इस निर्णय पर पहुँचे हैं कि 30.10.2023 को जो फैसला लिया गया है,उस पर किसी प्रकार का कोई समीक्षा का मामला नहीं बनता। इसलिए जमानत से इनकार के खिलाफ दायर समीक्षा याचिका खारिज की जाती हैं।”
समीक्षा याचिका पर किसी भी प्रकार की मौखिक सुनवाई करने से पीठ ने मना कर दिया और चैंबर बाई सर्कुलेशन में इस समीक्षा याचिका को खारिज कर दिया।
ऐसे समीक्षा याचिका जो संविधान के अनुच्छेद 137 के तहत दायर की जाती है,उन याचिकाओं का बहुत ही संकीर्ण आधारों जैसे-रिकॉर्ड में स्पष्ट त्रुटि,कानून की गलतियाँ इत्यादि पर परीक्षण किया जाता है।
आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता और दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को भ्रष्टाचार और धनशोधन के आरोप में 30 अक्टूबर को शीर्ष अदालत ने जमानत देने से इनकार कर दिया था। शीर्ष अदालत ने इस मामले में अपना फैसला सुनाते हुए कहा था कि भले ही ऐसे कई सवाल हैं,जिसका जवाब नहीं मिला है। लेकिन 338 करोड़ रुपये के हस्तांतरण के संबंध में एक पहलू अस्थायी रूप से स्थापित है।
सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है कि छह से आठ महीने के भीतर सिसोदिया के मुकदमे को पूरा किया जाए। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि यदि अगले तीन महीनों में मुकदमा धीमी गति से आगे बढ़ता है,तो मनीष सिसोदिया की ओर से जमानत के लिए नए सिरे से आवेदन किया जा सकता है।
मनीष सिसोदिया को सीबीआई ने 26 फरवरी को और ईडी ने 9 मार्च को गिरफ्तार किया था।