दिल्ली प्रदूषण

एनसीआर में दमघोंटू हवा और घना कोहरा,500 के पार पहुँचा एक्यूआई,आम जनजीवन पर गहराया संकट

नई दिल्ली,15 दिसंबर (युआईटीवी)- राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र यानी एनसीआर में वायु प्रदूषण का संकट दिन-ब-दिन और भयावह होता जा रहा है। दिल्ली,नोएडा,ग्रेटर नोएडा और गाजियाबाद के अधिकांश इलाकों में हवा की गुणवत्ता बेहद खराब से लेकर गंभीर श्रेणी में पहुँच चुकी है। हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि लोगों को सांस लेने में दिक्कत हो रही है और आँखों में जलन,गले में खराश तथा सिरदर्द जैसी समस्याएँ आम हो गई हैं। इसके साथ ही घने कोहरे ने स्थिति को और जटिल बना दिया है,जिससे विजिबिलिटी बेहद कम हो गई है और सड़क,रेल व हवाई यातायात पर भी असर पड़ रहा है।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मॉनिटरिंग स्टेशनों से मिले आँकड़ें बताते हैं कि दिल्ली के कई इलाकों में एयर क्वालिटी इंडेक्स यानी एक्यूआई खतरनाक स्तर पर पहुँच गया है। राजधानी के रोहिणी और वजीरपुर जैसे इलाकों में एक्यूआई सीधे 500 दर्ज किया गया,जो अधिकतम और बेहद खतरनाक स्तर माना जाता है। आनंद विहार में एक्यूआई 493,अशोक विहार में 499,विवेक विहार में 493 और आर.के. पुरम में 477 दर्ज किया गया। सीरीफोर्ट में 484,सोनिया विहार में 463 और श्री अरबिंदो मार्ग पर 417 का एक्यूआई रिकॉर्ड किया गया, जो यह दर्शाता है कि दक्षिण,उत्तर, पूर्व और पश्चिम दिल्ली—चारों दिशाओं में हालात लगभग एक जैसे गंभीर बने हुए हैं।

इसके अलावा औद्योगिक और रिहायशी इलाकों की स्थिति भी चिंताजनक है। बवाना में एक्यूआई 466,बुराड़ी क्रॉसिंग पर 456,चांदनी चौक में 437,सीआरआरआई मथुरा रोड पर 434 और डीटीयू क्षेत्र में 479 दर्ज किया गया। इन आँकड़ों से साफ है कि राजधानी में शायद ही कोई इलाका ऐसा बचा हो,जहाँ हवा को सुरक्षित या संतोषजनक कहा जा सके। विशेषज्ञों का कहना है कि लगातार कई दिनों तक इस स्तर का प्रदूषण बने रहना बेहद खतरनाक है और इसका असर लंबे समय तक लोगों की सेहत पर पड़ सकता है।

दिल्ली से सटे गाजियाबाद में भी स्थिति कम गंभीर नहीं है। यहाँ इंदिरापुरम में एक्यूआई 477,संजय नगर में 426 और वसुंधरा में 490 दर्ज किया गया है। ये सभी आँकड़ें ‘गंभीर’ श्रेणी में आते हैं। गाजियाबाद के रिहायशी इलाकों में रहने वाले लोग सुबह और शाम के समय घर से बाहर निकलने से बचने लगे हैं। कई स्कूलों में बच्चों की आउटडोर गतिविधियों पर रोक लगा दी गई है और अभिभावकों में भी चिंता बढ़ गई है।

नोएडा और ग्रेटर नोएडा भी इस प्रदूषण संकट की चपेट में हैं। नोएडा के सेक्टर-125 में एक्यूआई 461,सेक्टर-62 में 420 और सेक्टर-116 में 484 रिकॉर्ड किया गया। ग्रेटर नोएडा के नॉलेज पार्क-5 क्षेत्र में एक्यूआई 452 दर्ज हुआ,जो गंभीर स्तर को दर्शाता है। आईटी हब और शिक्षण संस्थानों के लिए मशहूर इन इलाकों में कामकाजी लोग और छात्र बड़ी संख्या में रहते हैं,जिन पर प्रदूषण का सीधा असर पड़ रहा है।

मौसम विभाग के अनुसार,प्रदूषण के साथ-साथ घना कोहरा भी एनसीआर के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है। भारतीय मौसम विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक 15 दिसंबर को सुबह और दोपहर दोनों समय घना कोहरा छाए रहने की चेतावनी दी गई थी। अधिकतम तापमान 23 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 8 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया। ठंडी हवाओं की कमी और वातावरण में नमी की अधिकता के कारण प्रदूषक तत्व हवा में ही फँसे हुए हैं,जिससे हालात और बिगड़ गए हैं।

मौसम विभाग ने 16 और 17 दिसंबर को भी ‘शैलो फॉग’ यानी हल्के से मध्यम कोहरे की संभावना जताई है। हालाँकि,हल्का कोहरा सुनने में कम खतरनाक लगता है,लेकिन प्रदूषण के साथ मिलकर यह विजिबिलिटी को काफी हद तक कम कर देता है। सुबह के समय कई इलाकों में विजिबिलिटी 50 मीटर से भी कम दर्ज की गई,जिससे वाहन चालकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। सड़कों पर धीमी रफ्तार से वाहन चलते नजर आए और कई जगह ट्रैफिक जाम की स्थिति बन गई।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि इस स्तर का प्रदूषण अब केवल अस्थमा या सांस की बीमारी से पीड़ित लोगों तक सीमित नहीं रहा है,बल्कि पूरी तरह स्वस्थ लोगों को भी प्रभावित कर रहा है। लंबे समय तक इस तरह की जहरीली हवा में सांस लेने से फेफड़ों की कार्यक्षमता कम हो सकती है,हृदय रोग का खतरा बढ़ सकता है और बच्चों के शारीरिक विकास पर भी नकारात्मक असर पड़ सकता है। बुजुर्गों और गर्भवती महिलाओं के लिए यह स्थिति और भी अधिक जोखिम भरी मानी जा रही है।

डॉक्टरों ने बच्चों और बुजुर्गों को विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी है। उन्हें सुबह और शाम के समय बाहर निकलने से बचने,मास्क का इस्तेमाल करने और घर के अंदर रहने की हिदायत दी जा रही है। इसके अलावा लोगों को एयर प्यूरीफायर का उपयोग करने,पर्याप्त पानी पीने और किसी भी तरह की सांस संबंधी समस्या होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करने की सलाह दी गई है।

एनसीआर में प्रदूषण और कोहरे का यह दोहरा संकट आम जनजीवन पर भारी पड़ रहा है। दफ्तर जाने वाले कर्मचारियों से लेकर स्कूल जाने वाले बच्चों तक,हर वर्ग प्रभावित है। विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक मौसम में कोई बड़ा बदलाव नहीं होता या हवा की गति नहीं बढ़ती,तब तक प्रदूषण से राहत मिलने की उम्मीद कम है। साथ ही,ठोस और प्रभावी प्रदूषण नियंत्रण उपायों की जरूरत पहले से कहीं ज्यादा महसूस की जा रही है। फिलहाल,एनसीआर के लोगों को साफ हवा के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है और यह संकट आने वाले दिनों में और गंभीर रूप ले सकता है।