सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर (तस्वीर क्रेडिट@yadav_sunil01)

सुनीता विलियम्स ने अंतरिक्ष से भारत को देखने के अपने अद्भुत अनुभवों को किया साझा,कहा-‘अद्भुत, बस अद्भुत’

नई दिल्ली,1 अप्रैल (युआईटीवी)- भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स ने अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) पर अपने विस्तारित मिशन के बाद पृथ्वी पर लौटने के कुछ दिनों बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में अंतरिक्ष से भारत को देखने के अपने अद्भुत अनुभवों को साझा किया। विलियम्स ने इस दौरान अपने अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि अंतरिक्ष से भारत का दृश्य अत्यंत अद्वितीय और अविस्मरणीय था। उन्होंने इस बात को विस्तार से बताते हुए कहा, “286 दिन अंतरिक्ष में बिताने के बाद जब उनसे पूछा गया कि ऊपर से भारत कैसा दिखता है,तो उन्होंने गंभीर शब्दों में उत्तर दिया,’अद्भुत, बिल्कुल अद्भुत।’”

सुनीता विलियम्स को उनकी भारतीय विरासत से गहरा लगाव है और वह अक्सर इस बात को साझा करती हैं। अंतरिक्ष से भारत के दृश्य ने उन्हें अपनी जड़ें और संस्कृति से जुड़ा हुआ महसूस कराया। उन्होंने विशेष रूप से हिमालय की पर्वत श्रृंखलाओं का उल्लेख किया,जो उन्हें बहुत आकर्षक लगीं। विलियम्स ने बताया कि जब भी आईएसएस हिमालय के ऊपर से गुजरता था,उनके साथी अंतरिक्ष यात्री बुच विल्मोर इस दृश्य की अविश्वसनीय तस्वीरें खींचते थे। विलियम्स ने इस बारे में कहा कि, “जब भी हम हिमालय के ऊपर से गुजरे,बुच को हमेशा बहुत शानदार तस्वीरें मिलती थीं। यह दृश्य सचमुच अद्भुत था।” अंतरिक्ष से भारत की ओर देखते हुए वह हमेशा भावुक हो जाती थीं और यह दृश्य उन्हें अपनी भारतीय विरासत से जुड़े रहने का अहसास कराता था।

इसके अलावा, विलियम्स ने यह भी साझा किया कि रात के समय जब आईएसएस से भारत के बड़े शहरों और छोटे गाँवों की रोशनी को देखा जाता था,तो यह एक बिल्कुल अलग तरह का अनुभव था। अंतरिक्ष से भारत की झिलमिलाती रोशनी और शहरों का दृश्य उनके लिए एक विशेष दृष्टिकोण था। उन्होंने इसे “अविश्वसनीय” बताते हुए कहा कि यह अनुभव शब्दों में नहीं पाया जा सकता। वह यह अनुभव कभी नहीं भूल सकतीं और यह उन्हें हमेशा याद रहेगा।

सुनीता विलियम्स ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में आगे कहा कि उनका उद्देश्य न केवल अपनी यात्रा के अनुभवों को साझा करना है,बल्कि वह भारत के बढ़ते अंतरिक्ष कार्यक्रम का समर्थन करने की इच्छा भी रखती हैं। उन्होंने इस बात को भी स्पष्ट किया कि वह अपने अनुभवों के माध्यम से भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम को बढ़ावा देना चाहती हैं। भारतीय वायु सेना के परीक्षण पायलट और इसरो के अंतरिक्ष यात्री सुभांशु शुक्ला के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि यह बहुत ही अच्छा है कि वह नासा के आगामी एक्सिओम मिशन का हिस्सा बनेंगे। एक्सिओम मिशन में चार अंतरिक्ष यात्री शामिल होंगे,जिनमें सुभांशु शुक्ला भी शामिल हैं। विलियम्स ने शुक्ला को “होमटाउन के हीरो” के रूप में सराहा और उनके इस मिशन में सफलता की कामना की।

सुनीता विलियम्स ने इस मौके पर अपनी इच्छा भी जताई कि वह भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम में भी योगदान देना चाहती हैं। उन्होंने कहा, “मैं इसका हिस्सा बनना चाहूँगी और इस कार्यक्रम की मदद करना चाहूँगी। मुझे अपने अनुभव साझा करने का अवसर मिलना और भारत की बढ़ती अंतरिक्ष महत्वाकांक्षाओं को समर्थन देना बहुत अच्छा लगेगा।” यह बयान उनकी भारत के प्रति गहरी निष्ठा और देश के लिए उनकी प्रेरणा को दर्शाता है।

इसके बाद,सुनीता विलियम्स ने एक दिलचस्प बातचीत के दौरान अपने पिता के देश भारत आने की इच्छा भी जताई। उन्होंने विल्मोर से बात करते हुए मजाक करते हुए कहा, “मैं जल्द ही भारत जाना चाहती हूँ। मुझे भारत में घूमने का बहुत मन है।” यह बयान उनकी भारत के प्रति प्रेम और भारत की सांस्कृतिक धरोहर के प्रति उनके आकर्षण को और स्पष्ट करता है।

विलियम्स और विल्मोर ने बातचीत के दौरान इस बारे में मजाक किया कि वह अपने अंतरिक्ष यात्री साथियों को भारत घुमाने ले जाएँगे। विलियम्स हँसते हुए कहती हैं, “आप थोड़े अलग दिख सकते हैं,लेकिन कोई बात नहीं,हम आपको भारत के मसालेदार भोजन का स्वाद जरूर कराएँगे।” यह हल्की-फुल्की बातचीत इस बात का संकेत देती है कि सुनीता विलियम्स भारत के प्रति अपने भावनात्मक जुड़ाव और वहाँ की संस्कृति को लेकर कितनी उत्साहित हैं।

इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में सुनीता विलियम्स के अनुभव और विचारों से यह स्पष्ट हो गया कि अंतरिक्ष में बिताए गए समय ने उनके दृष्टिकोण को और भी व्यापक और गहरा बना दिया है। उनके लिए,अंतरिक्ष से पृथ्वी को देखना केवल एक भौतिक अनुभव नहीं था, बल्कि यह एक गहरी भावनात्मक और सांस्कृतिक यात्रा भी थी,जिसने उन्हें अपनी जड़ों से जुड़े रहने का अहसास कराया।

सुनीता विलियम्स का यह अनुभव न केवल उनके लिए,बल्कि भारत और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के लिए भी प्रेरणादायक है। वह अपने अद्वितीय दृष्टिकोण और अंतरिक्ष यात्रा के अनुभवों के माध्यम से भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम का समर्थन करने के लिए प्रेरित करती हैं। यह उनकी भारतीय विरासत से जुड़ी गर्व की भावना और अंतरिक्ष विज्ञान के प्रति उनकी गहरी निष्ठा को दर्शाता है।