नई दिल्ली,11 दिसंबर (युआईटीवी)- सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के निर्णय को वैध बताया। अनुच्छेद 370 पर आज (11 दिसंबर) सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने सुनवाई की और ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए कहा कि अनुच्छेद 370 को बेअसर कर जम्मू-कश्मीर को नई व्यवस्था से बाकी भारत के साथ जोड़ने की प्रक्रिया मजबूत हुई है। अनुच्छेद 370 को हटाना संवैधानिक रूप से वैध है। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के चीफ़ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि, “हमें सॉलिसीटर जनरल ने बताया कि जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा वापस दिया जाएगा। लद्दाख केंद्र शासित क्षेत्र रहेगा। हम निर्देश देते हैं कि 30 सितंबर 2024 तक नए परिसीमन के आधार पर चुनाव आयोग जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव करवाए और जितना जल्दी हो सके जम्मू-कश्मीर में राज्य का दर्जा बहाल किया जाए।
इससे पूर्व 16 दिनों की बहस चली थी। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस पर अपना फैसला 5 सितंबर को सुरक्षित रख लिया था। आज यह फैसला पाँच न्यायाधीशों भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़,न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और बीआर गवई की संविधान पीठ ने यह सुनाया है।

जिन मुख्य सवालों पर विचार किया गया,उस पर सुप्रीम कोर्ट के चीफ़ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि हमने उस दौरान राज्य में लगे राष्ट्रपति शासन पर फैसला नहीं लिया है। राष्ट्रपति को अनुच्छेद 356 में शक्तियाँ प्राप्त हैं। इसलिए राष्ट्रपति शासन स्थिति के अनुसार लगाया जा सकता है और उसे चुनौती नहीं दी जा सकती है। जब राष्ट्रपति शासन लागू रहता है ,तो उस दौरान राज्य सरकार की जगह केंद्र फैसले ले सकता है। राज्य विधानसभा की जगह संसद कार्य कर सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि जम्मू-कश्मीर की संप्रभुता उसी समय समाप्त हो गई,जब भारत के साथ विलय समझौते पर राजा हरि सिंह ने हस्ताक्षर किए। वह भारत के तहत हो गया। इन सब से स्पष्ट है कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। जम्मू-कश्मीर के संविधान से कहीं ज्यादा ऊपर भारत का संविधान है।
आगे सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, अनुच्छेद 370 पर राष्ट्रपति को कोई आदेश जारी करने के लिए जम्मू-कश्मीर की संविधान सभा की सिफारिश की आवश्यकता नहीं थी। अनुच्छेद 370 को बेअसर कर जम्मू-कश्मीर को नई व्यवस्था से बाकी भारत के साथ जोड़ने की प्रक्रिया मजबूत हुई है और अनुच्छेद 370 को हटाना संवैधानिक रूप से वैध है।
सुप्रीम कोर्ट में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के केंद्र सरकार के फैसले की पैरवी अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमाणी, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे, राकेश द्विवेदी, वी गिरी और अन्य ने की। जबकि कपिल सिब्बल, गोपाल सुब्रमण्यम, राजीव धवन, जफर शाह, दुष्यंत दवे और अन्य वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने याचिकाकर्ताओं की ओर से अपनी दलीलें पेश कीं।