सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट: केंद्र और राज्यों को पराली जलाने रोका जाए

नई दिल्ली,8 नवंबर (युआईटीवी)- सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश, पंजाब,हरियाणा और राजस्थान सहित दिल्ली-एनसीआर की सीमा से लगे राज्यों को पराली जलाने से रोकने के निर्देश दिए गए हैं। इन दिनों वायु प्रदूषण की समस्या बहुत अधिक बढ़ गई है और इसे कम करने के लिए तत्काल कदम उठाने का निर्देश दिया गया है। दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते वायु प्रदूषण की समस्या पर अंकुश लगाने के लिए कई निर्देश भी जारी किए। केंद्र और राज्य सरकारों को शीर्ष अदालत ने आड़े हाथ लिया है और कई महत्वपूर्ण सवाल भी उठाए हैं।

न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की खंडपीठ ने चेतावनी देते हुए कहा है कि दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते वायु प्रदूषण की समस्या एक गंभीर मुद्दा है। जो दिल्ली में रहने वाले लोगों के स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा कर रहा है।इसलिए इसका राजनीतिकरण न किया जाए।

आदेश पारित करते हुए खंडपीठ ने कहा कि पड़ोसी राज्‍यों से आते पराली के धुएं के कारण दिल्ली के निवासी दमघोंटू हवा से पीड़ित हैं। इसका कोई भी समाधान केंद्र और दिल्ली, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पंजाब और हरियाणा की राज्य सरकारें नहीं ढूँढ पा रहे हैं। आगे आदेश में कहा गया कि, ” यह स्थिति पिछले पाँच सालों से चल रहा है। इस मामले में अदालत की निगरानी की आवश्यकता तो है ही साथ ही तत्काल कार्रवाई करने की भी जरूरत है।”

पंजाब में धान की कृषि करने पर सवाल उठाते हुए शीर्ष अदालत ने पूछा कि, “जब पंजाब में पहले से ही पानी का स्तर निम्न है,तो वहाँ धान क्यों उगाया जा रहा है और धान उपजाने की अनुमति क्यों दिया जा रहा है ? खेतों में आग लगाया जा रहा,इससे पंजाब की हरित भूमि बंजर भूमि में बदल जाएगी। क्या आप ऐसा चाहते हैं ?”

पंजाब सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल गुरमिंदर सिंह कई सुझाव के साथ पेश हुए और कहा कि पंजाब में धान की खेती करने की अनुमति वहाँ धान की फसल पर लागू न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) है। अगर केंद्र यह न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को हटा देती है,तो पंजाब के किसान स्वत: ही धान की खेती करना छोड़ देंगे और वैसे फसलों को उगाएँगे जिसमें कम पानी की खपत होती है। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए खंडपीठ ने कहा कि केंद्र पहले से ही बाजरा पर स्विच करने के लिए काम कर रहा है,तो धान की खेती करने के बजाय वैसे फसल के साथ स्विच करना चाहिए,जिसके लिए कम पानी की आवश्यकता हो।

आगे अपने आदेश में शीर्ष अदालत ने कहा कि इन समस्याओं के निपटारा के लिए पंजाब को उपमृदा जल संरक्षण अधिनियम, 2009 के पालन पर पुनर्विचार करने की जरूरत है और इस पर सरकार को भी गौर करना चाहिए।

अटॉर्नी जनरल गुरमिंदर सिंह ने कहा कि यह समस्या 15 साल पूर्व नहीं थी क्योंकि पहले ऐसी फसल नहीं होती थी। पंजाब के एजी द्वारा दिए गए सुझाव पर ध्यान देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले पर गंभीरता से विचार करने की जरूरत है।

पंजाब के एजी ने पराली जलाने के वैकल्पिक समाधान पर सुझाव देते हुए कहा कि मशीन के माध्यम से पराली की समस्या से निपटारा पाया जा सकता है। लेकिन पंजाब के किसान गरीब हैं,जिसके वजह से वे मशीन खरीदने में सक्षम नहीं है और उन्हें पराली जलाना पड़ता है। मशीन खरीदने के लिए पंजाब सरकार 25 प्रतिशत का सहयोग देने के लिए तैयार है। अगर 25 प्रतिशत का सहयोग दिल्ली सरकार और 50 प्रतिशत का सहयोग केंद्र सरकार वहन करने के लिए तैयार हो जाए तो इस समस्या का समाधान हो सकता है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर केंद्र सब्सिडी पर इतना खर्च कर सकता है तो किसान भी थोड़ी लागत वहन कर सकते हैं।

स्मॉग टावर के बारे में शीर्ष अदालत ने कहा कि दिल्ली में स्मॉग टावर स्थापित किया गया, जो अब काम नहीं कर रहा है। इसलिए स्मॉग टावर की मरम्मत करवाया जाए ।

बेंच ने कहा कि इस तरह के मुद्दे से निपटने के लिए जो ‘ऑड-ईवन’ जैसी योजनाएँ चलाई जा रही रही है,वह सिर्फ ‘ऑप्टिक्स’ है। शहर में राज्य सरकारों को नारंगी-टैग वाले वाहनों के प्रवेश को नियंत्रण करना चाहिए।

दिल्ली राज्य सरकार को अदालत ने निर्देश देते हुए कहा कि राज्य सरकार को यह ध्यान देना होगा कि नगर निगम के ठोस कचरे को शहर में या खुले में न जलाया जाए।

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