नई दिल्ली,17 अक्टूबर (युआईटीवी)- सुप्रीम कोर्ट ने राज्यसभा से निलंबन के खिलाफ दायर आम आदमी पार्टी (आप) के सांसद राघव चड्ढा के याचिका पर विचार करने के लिए सहमत हो गया है ।
उच्च सदन सचिवालय को भारत के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने नोटिस जारी किया है और इस मामले में 30 अक्टूबर तक जवाब माँगा गया है। न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ में न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा और न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला भी सम्मिलित हैं।
इस मामले में कानूनी मुद्दों के महत्व को देखते हुए पीठ ने अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी की सहयोग भी माँगी है ।
आम आदमी पार्टी (आप) के सांसद राघव चड्ढा की ओर से पेश वरिष्ठ वकील राकेश द्विवेदी ने सुनवाई के दौरान कहा कि इस मामले में राष्ट्रीय महत्व का मुद्दा शामिल है और जाँच लंबित रहने तक राज्यसभा के सभापति सदन के किसी सदस्य को निलंबित करने का आदेश नहीं दे सकते हैं। पहले से ही जब विशेषाधिकार समिति जाँच प्रक्रिया में जुटी हुई है,तब तो राज्यसभा के सभापति ऐसे आदेश तो बिलकुल भी नहीं दे सकते हैं।

वरिष्ठ वकील राकेश द्विवेदी ने कहा कि अतीत में उन सदस्यों के नाम सूची से हटा भर दिए गए थे,जो प्रस्तावित सेलेक्ट कमेटी की सूची में हस्ताक्षरकर्ता नहीं थे।
आम आदमी पार्टी (आप) के सांसद राघव चड्ढा को अगस्त में राजयसभा से निलंबित कर दिया गया था। उन पर आरोप है कि उन्होंने पाँच सांसदों के दिल्ली सेवा विधेयक से संबंधित एक प्रस्ताव में फर्जी हस्ताक्षर किए थे। वे पाँच सांसदों ने राघव के खिलाफ विशेषाधिकार के उल्लंघन को लेकर शिकायत दर्ज कराई थी। जिसके बाद राज्यसभा से उन्हें निलंबित कर दिया गया था। पिछले सप्ताह इस मामले को लेकर चड्ढा ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।
विशेषाधिकार समिति जब तक अपनी अंतिम रिपोर्ट नहीं सौंप देती है,तब तक के लिए राघव चड्ढा को राज्यसभा से निलंबित कर दिया गया है।
सदन के नेता पीयूष गोयल ने निलंबन का प्रस्ताव पेश किया था। पीयूष गोयल ने चड्ढा द्वारा की गई कार्रवाई को अनैतिक बताया।