नई दिल्ली,19 दिसंबर (युआईटीवी)- विकेटकीपर बल्लेबाज ईशान किशन ने घरेलू क्रिकेट में एक यादगार अध्याय जोड़ते हुए अपनी कप्तानी में झारखंड को पहली बार सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी का खिताब दिला दिया है। पूरे टूर्नामेंट में कप्तान और खिलाड़ी—दोनों भूमिकाओं में उनका प्रदर्शन असाधारण रहा। गुरुवार को हरियाणा के खिलाफ खेले गए फाइनल में ईशान ने शतक जड़कर न सिर्फ टीम को जीत दिलाई,बल्कि प्लेयर ऑफ द मैच भी बने। इस ऐतिहासिक जीत के बाद ईशान किशन ने लंबे समय से भारतीय टीम से बाहर रहने को लेकर पहली बार खुलकर अपनी बात रखी और यह स्पष्ट किया कि निराशा के बजाय उन्होंने मेहनत और आत्मविश्वास को अपना हथियार बनाया।
फाइनल मुकाबले में ईशान किशन की पारी झारखंड की जीत की रीढ़ साबित हुई। दबाव के क्षणों में उन्होंने संयम और आक्रामकता का संतुलन बनाए रखा। उनकी शतकीय पारी ने विपक्षी गेंदबाजों की रणनीति को ध्वस्त कर दिया और झारखंड को वह आत्मविश्वास दिया,जो किसी भी फाइनल में निर्णायक होता है। कप्तान के तौर पर ईशान की मैदान पर मौजूदगी,फैसलों में स्पष्टता और खिलाड़ियों पर भरोसा साफ नजर आया। यही वजह रही कि झारखंड की टीम पूरे टूर्नामेंट में एकजुट और आत्मविश्वासी दिखी।
खिताब जीतने के बाद ईशान किशन ने भारतीय टीम में चयन न होने को लेकर अपनी भावनाएँ साझा कीं। उन्होंने कहा कि जब वह अच्छा प्रदर्शन कर रहे थे और इसके बावजूद राष्ट्रीय टीम में जगह नहीं मिली,तो उन्हें काफी बुरा लगा। हालाँकि,उन्होंने इसे हताशा का कारण नहीं बनने दिया। ईशान के मुताबिक,उन्होंने सोचा कि शायद उन्हें और मेहनत करनी होगी,अपनी टीम को जीत दिलानी होगी और एक टीम के रूप में बेहतर प्रदर्शन करना होगा। उनका मानना है कि निराशा पीछे ले जाती है,इसलिए लगातार कड़ी मेहनत करना और खुद पर भरोसा बनाए रखना ही आगे बढ़ने का रास्ता है। उन्होंने यह भी कहा कि उनका काम बस अच्छा प्रदर्शन करते रहना है और बाकी चीजें अपने आप सही दिशा में जाएँगी।
ईशान किशन का यह आत्मविश्वास उनके आँकड़ों में भी झलकता है। इस सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी में उन्होंने बल्लेबाज के रूप में रिकॉर्डतोड़ प्रदर्शन किया। 10 मैचों की 10 पारियों में उन्होंने 2 शतक और 2 अर्धशतक लगाए और 197.32 की शानदार स्ट्राइक रेट से कुल 517 रन बनाए। उनका सर्वोच्च स्कोर नाबाद 113 रन रहा। इस प्रदर्शन के साथ ईशान न केवल झारखंड को चैंपियन बनाने में सफल रहे,बल्कि पूरे टूर्नामेंट के शीर्ष स्कोरर भी बने। टी20 प्रारूप में इतनी निरंतरता और आक्रामकता किसी भी बल्लेबाज को खास बनाती है और ईशान ने इसे बार-बार साबित किया।
कप्तानी के मोर्चे पर भी ईशान किशन की समझ और परिपक्वता की तारीफ हुई। युवा खिलाड़ियों को सही समय पर मौके देना,गेंदबाजों का प्रभावी इस्तेमाल और मुश्किल परिस्थितियों में शांत रहना—ये सभी गुण उनके नेतृत्व में दिखे। झारखंड जैसी टीम के लिए,जहाँ संसाधन और स्टार पावर सीमित मानी जाती है,वहाँ इस तरह का नेतृत्व टीम को नई पहचान देता है। यह खिताब सिर्फ एक ट्रॉफी नहीं,बल्कि झारखंड क्रिकेट के आत्मविश्वास और भविष्य की दिशा का प्रतीक भी है।
अंतर्राष्ट्रीय करियर की बात करें तो ईशान किशन भारत के लिए 2 टेस्ट, 27 वनडे और 32 टी20 अंतर्राष्ट्रीय मैच खेल चुके हैं। वह एशिया कप 2023 जीतने वाली टीम इंडिया का हिस्सा रहे और वनडे विश्व कप 2023 में फाइनल खेलने वाली भारतीय टीम में भी शामिल थे। नवंबर 2023 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उन्होंने अपना आखिरी अंतर्राष्ट्रीय मैच खेला था,जो टी20 प्रारूप में था। इसके बाद से उन्हें राष्ट्रीय टीम से बाहर कर दिया गया और तभी से उनकी वापसी को लेकर चर्चा चल रही है।
पिछले दो वर्षों में ईशान किशन ने घरेलू क्रिकेट में लगातार रन बनाए हैं। चाहे रणजी ट्रॉफी हो या सीमित ओवरों के टूर्नामेंट,उन्होंने अपने बल्ले से जवाब देने की रणनीति अपनाई है। चयन को लेकर उठने वाले सवालों के बीच ईशान का यह रुख कि वह केवल प्रदर्शन पर ध्यान देंगे,उनकी मानसिक मजबूती को दर्शाता है। क्रिकेट विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह का फॉर्म और कप्तानी का अनुभव उन्हें दोबारा भारतीय टीम के दरवाजे तक जरूर पहुँचाएगा।
सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी का यह खिताब ईशान किशन के करियर में मील का पत्थर साबित हो सकता है। यह न केवल उनकी बल्लेबाजी क्षमता का प्रमाण है,बल्कि यह भी दिखाता है कि वह नेतृत्व की जिम्मेदारी निभाने में भी सक्षम हैं। झारखंड के लिए यह जीत ऐतिहासिक है और ईशान के लिए यह संदेश कि मेहनत और आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ते रहने पर रास्ते जरूर खुलते हैं। अब सबकी निगाहें इस बात पर होंगी कि घरेलू क्रिकेट में लगातार चमकता यह सितारा कब और किस अंदाज में भारतीय टीम में वापसी करता है।
