एशिया कप ट्रॉफी विवाद (तस्वीर क्रेडिट@reach2msingh)

टी20 एशिया कप ट्रॉफी विवाद: बीसीसीआई ने आईसीसी बैठक में उठाने की दी चेतावनी,पाकिस्तान से बढ़ा तनाव

नई दिल्ली,1 नवंबर (युआईटीवी)- भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) और एशियन क्रिकेट काउंसिल (एसीसी) के बीच चल रहा टी20 एशिया कप 2025 की ट्रॉफी विवाद अब अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक पहुँच सकता है। बीसीसीआई के सचिव देवजीत सैकिया ने शनिवार को स्पष्ट किया कि अगर आगामी दो-तीन दिनों में एशिया कप ट्रॉफी भारत को नहीं सौंपी गई,तो बोर्ड इस मुद्दे को सीधे आईसीसी की तिमाही बैठक में उठाएगा। यह बैठक 4 से 7 नवंबर तक दुबई में आयोजित होने जा रही है।

देवजीत सैकिया ने बताया कि, “हमने बीसीसीआई की ओर से अपनी स्थिति पूरी तरह स्पष्ट कर दी है। हम अगले दो से तीन दिन और इंतजार करेंगे। अगर ट्रॉफी हमें वापस नहीं मिलती,तो हम 4 नवंबर से शुरू होने वाली आईसीसी की बैठक में यह मुद्दा औपचारिक रूप से उठाएँगे।” उन्होंने आगे कहा, “हमने दस दिन पहले ही एसीसी को इस संबंध में पत्र भेजा था। अगर अब भी ट्रॉफी नहीं मिलती है,तो हम क्रिकेट की सर्वोच्च संस्था आईसीसी के समक्ष यह मामला रखेंगे,ताकि इसे आधिकारिक रूप से सुलझाया जा सके।”

दरअसल,मामला 28 सितंबर को खेले गए टी20 एशिया कप फाइनल से जुड़ा है,जिसमें सूर्यकुमार यादव की अगुवाई में भारतीय टीम ने पाकिस्तान को 5 विकेट से हराकर नौवां एशिया कप खिताब अपने नाम किया था। मुकाबले के बाद हुए पुरस्कार वितरण समारोह में विवाद उस वक्त पैदा हुआ,जब टीम इंडिया ने एसीसी अध्यक्ष और पाकिस्तान के गृह मंत्री मोहसिन नकवी के हाथों ट्रॉफी लेने से इनकार कर दिया।

रिपोर्ट्स के मुताबिक,भारतीय खिलाड़ियों और सपोर्ट स्टाफ का कहना था कि वे राजनीतिक कारणों से मोहसिन नकवी से ट्रॉफी नहीं लेना चाहते। इस स्थिति में कार्यक्रम स्थल पर कुछ देर के लिए अफरा-तफरी मच गई। इसके बाद ट्रॉफी को अधिकारियों ने अपने साथ ले लिया और भारतीय टीम ने ट्रॉफी के बिना ही जीत का जश्न मनाया। इस अभूतपूर्व घटना ने क्रिकेट जगत में हलचल मचा दी और एसीसी पर कई सवाल खड़े हुए।

बीसीसीआई ने इस मामले को सुलझाने के लिए एसीसी को औपचारिक रूप से पत्र लिखा था,जिसमें ट्रॉफी और विजेता खिलाड़ियों को दिए जाने वाले पदकों को भारत को सौंपने का अनुरोध किया गया था,लेकिन अब तक इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। बीसीसीआई सचिव देवजीत सैकिया ने कहा कि बोर्ड ने धैर्यपूर्वक इस मुद्दे को सुलझाने की कोशिश की,लेकिन अब मामला अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उठाना पड़ेगा।

इस बीच,पाकिस्तानी मीडिया की रिपोर्टों में दावा किया गया है कि मोहसिन नकवी ने एसीसी मुख्यालय में रखी गई ट्रॉफी को किसी “अज्ञात स्थान” पर स्थानांतरित कर दिया है। बताया जा रहा है कि नकवी ने प्रस्ताव रखा था कि 10 नवंबर को दुबई में एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा,जहाँ भारतीय पुरुष क्रिकेट टीम को एशिया कप की ट्रॉफी सौंपी जाएगी। हालाँकि,बीसीसीआई ने इस प्रस्ताव पर अभी कोई औपचारिक सहमति नहीं दी है।

क्रिकेट विश्लेषकों का मानना है कि यह विवाद सिर्फ ट्रॉफी तक सीमित नहीं है,बल्कि यह भारत-पाकिस्तान क्रिकेट संबंधों में गहराते अविश्वास का प्रतीक भी बन गया है। बीसीसीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर कहा,“भारत ने कभी भी एसीसी के किसी निर्णय का अनादर नहीं किया,लेकिन इस बार मामला बेहद असामान्य है। जब एक टीम खिताब जीत चुकी है,तो उसे उसकी ट्रॉफी और सम्मान से वंचित रखना खेल भावना के खिलाफ है।”

गौरतलब है कि पाकिस्तान के गृह मंत्री मोहसिन नकवी इस समय एसीसी के अध्यक्ष हैं। नकवी ने एशिया कप के आयोजन के दौरान कई बार भारत की आलोचना की थी और मैचों के आयोजन स्थल को लेकर भी विवाद खड़ा किया था। भारत ने सुरक्षा कारणों से पाकिस्तान में खेलने से इनकार किया था,जिसके चलते एशिया कप के कई मुकाबले श्रीलंका में शिफ्ट किए गए थे। तब भी दोनों देशों के बोर्डों के बीच तनातनी देखी गई थी।

बीसीसीआई का यह कदम अब एसीसी की भूमिका और पारदर्शिता पर सवाल खड़े करता है। अगर आईसीसी बैठक में भारत यह मुद्दा उठाता है,तो संभव है कि क्रिकेट की सर्वोच्च संस्था को इस मामले में मध्यस्थता करनी पड़े। आईसीसी के सूत्रों के अनुसार, “अगर कोई सदस्य बोर्ड किसी टूर्नामेंट की आधिकारिक संपत्ति से संबंधित शिकायत दर्ज कराता है,तो उसे प्राथमिकता के आधार पर सुलझाया जाता है,क्योंकि यह खेल की प्रतिष्ठा का प्रश्न होता है।”

दूसरी ओर,पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी) से जुड़े कुछ अधिकारियों ने अनौपचारिक रूप से दावा किया है कि भारत की प्रतिक्रिया “राजनीतिक दबाव में की गई कार्रवाई” है। उनका कहना है कि नकवी ने किसी तरह की गलती नहीं की और समारोह के दौरान भारतीय टीम ने “अनुचित रवैया” अपनाया।

हालाँकि,भारतीय क्रिकेट प्रेमियों में इस मुद्दे को लेकर नाराजगी बढ़ रही है। सोशल मीडिया पर प्रशंसक लगातार एसीसी और पीसीबी पर निशाना साध रहे हैं,यह पूछते हुए कि आखिर इतने दिनों बाद भी ट्रॉफी भारत को क्यों नहीं सौंपी गई।

अब सभी की निगाहें 4 नवंबर से शुरू होने वाली आईसीसी बैठक पर टिकी हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि बीसीसीआई किस तरह से अपना पक्ष रखता है और क्या अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद इस विवाद को शांतिपूर्वक सुलझा पाती है या नहीं।

एक बात तो तय है कि यह ट्रॉफी विवाद भारत-पाकिस्तान क्रिकेट संबंधों में एक नया अध्याय जोड़ चुका है,जिसने एशियाई क्रिकेट जगत में असहजता पैदा कर दी है। बीसीसीआई के लिए अब यह सिर्फ सम्मान का सवाल नहीं,बल्कि एसीसी की पारदर्शिता और निष्पक्षता की परीक्षा बन चुका है।