बीजिंग,20 दिसंबर (युआईटीवी)- बीजिंग में आयोजित एक नियमित प्रेस कॉन्फ्रेंस में चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता क्वो च्याखुन ने कई अहम अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर चीन का पक्ष स्पष्ट किया। इस दौरान ताइवान को अमेरिका द्वारा बड़े पैमाने पर हथियारों की बिक्री,कंबोडिया-थाईलैंड सीमा पर बढ़ते तनाव और जापान में परमाणु हथियारों को लेकर सामने आए बयानों पर चीन ने कड़ा रुख अपनाया। क्वो च्याखुन के बयान न सिर्फ क्षेत्रीय राजनीति की मौजूदा जटिलताओं को दर्शाते हैं,बल्कि यह भी संकेत देते हैं कि चीन इन मसलों पर किसी भी तरह की नरमी बरतने के मूड में नहीं है।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में ताइवान मुद्दे पर बोलते हुए क्वो च्याखुन ने कहा कि अमेरिका द्वारा ताइवान को बड़े पैमाने पर हथियारों की बिक्री चीन के आंतरिक मामलों में घोर हस्तक्षेप है। उन्होंने दो टूक कहा कि यह कदम चीन की संप्रभुता,सुरक्षा और क्षेत्रीय अखंडता को गंभीर रूप से कमजोर करता है। क्वो के अनुसार,इस तरह की हथियार बिक्री ताइवान जलडमरूमध्य में शांति और स्थिरता को भी गंभीर नुकसान पहँचाती है और ‘ताइवान स्वतंत्रता’ के अलगाववादी तत्वों के साथ-साथ बाहरी शक्तियों को एक बेहद गलत संदेश देती है। उन्होंने यह भी कहा कि चीन इस पूरे मामले पर अपनी कड़ी असंतुष्टि और सख्त विरोध दर्ज कराता है और इस संबंध में अमेरिका के समक्ष औपचारिक विरोध भी जताया जा चुका है।
चीनी प्रवक्ता ने दोहराया कि ताइवान चीन का अभिन्न हिस्सा है और इस मुद्दे पर किसी भी देश को हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है। उन्होंने अमेरिका से आग्रह किया कि वह ‘वन चाइना’ सिद्धांत और चीन-अमेरिका के बीच हुए तीन संयुक्त बयानों का सम्मान करे। क्वो च्याखुन के अनुसार,यदि अमेरिका इस तरह के कदम उठाता रहा,तो इससे न केवल चीन-अमेरिका संबंधों को नुकसान पहुँचेगा,बल्कि पूरे एशिया-प्रशांत क्षेत्र में अस्थिरता बढ़ेगी।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में कंबोडिया-थाईलैंड सीमा की स्थिति पर भी चीन की चिंता सामने आई। क्वो च्याखुन ने कहा कि कंबोडिया और थाईलैंड के मित्र पड़ोसी और सहयोगी के रूप में चीन मौजूदा हालात को लेकर बेहद चिंतित है। उन्होंने साफ कहा कि चीन दोनों देशों के बीच किसी भी तरह का सैन्य संघर्ष नहीं देखना चाहता। सीमा पर हुई झड़पों में नागरिकों की मौत पर चीन ने गहरा दुख व्यक्त किया और कहा कि आम लोगों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ा है।
क्वो ने जानकारी दी कि चीन इस पूरे मामले में सक्रिय भूमिका निभा रहा है और कंबोडिया तथा थाईलैंड के बीच मध्यस्थता के प्रयास कर रहा है। उन्होंने कहा कि बीजिंग दोनों देशों के साथ संवाद बनाए हुए है और बातचीत के जरिए समाधान निकालने पर जोर दे रहा है। चीन न सिर्फ संवाद को बढ़ावा दे रहा है,बल्कि इसके लिए आवश्यक परिस्थितियाँ और मंच भी उपलब्ध करा रहा है,ताकि तनाव को कम किया जा सके और सीमा क्षेत्र में शांति बहाल हो सके। चीनी प्रवक्ता के मुताबिक,क्षेत्रीय स्थिरता और शांति सभी देशों के हित में है और इसे किसी भी हाल में खतरे में नहीं डालना चाहिए।
जापान से जुड़ा मुद्दा भी इस प्रेस कॉन्फ्रेंस का अहम हिस्सा रहा। जापान के एक वरिष्ठ अधिकारी द्वारा परमाणु हथियार रखने की संभावना पर दिए गए बयान की खबरों पर प्रतिक्रिया देते हुए क्वो च्याखुन ने कड़ा रुख अपनाया। उन्होंने कहा कि जापान लंबे समय से सैन्य सुरक्षा के मामलों में गलत बयानबाजी और गलत कदम उठाता रहा है। क्वो के अनुसार,अब जापान में कुछ ताकतों द्वारा खुले तौर पर परमाणु हथियार रखने का सुझाव देना बेहद चिंताजनक है।
चीनी प्रवक्ता ने आरोप लगाया कि इस तरह के बयान जापान की दक्षिणपंथी रूढ़िवादी ताकतों की सैन्यवाद को फिर से जीवित करने की कोशिशों को उजागर करते हैं। उन्होंने कहा कि यह प्रवृत्ति अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों से मुक्त होने और ‘पुनः सैन्यीकरण’ की दिशा में तेजी से आगे बढ़ने की बढ़ती महत्वाकांक्षाओं को दर्शाती है। क्वो च्याखुन ने यह भी कहा कि इतिहास को देखते हुए जापान को सैन्य मामलों में बेहद सतर्क और जिम्मेदार रवैया अपनाना चाहिए।
इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में चीन ने यह साफ कर दिया कि वह अपनी संप्रभुता और सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर किसी भी तरह का समझौता नहीं करेगा। चाहे बात ताइवान की हो,दक्षिण-पूर्व एशिया में सीमा विवादों की या फिर जापान के सैन्य रुख की,बीजिंग ने हर मोर्चे पर सख्त और स्पष्ट संदेश दिया है। चीन का यह रुख आने वाले समय में क्षेत्रीय राजनीति और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों पर गहरा असर डाल सकता है,खासकर ऐसे दौर में जब एशिया-प्रशांत क्षेत्र पहले से ही कई रणनीतिक चुनौतियों का सामना कर रहा है।
