चेन्नई, 10 नवंबर (युआईटीवी)- तमिल फिल्म उद्योग से एक दुखद खबर सामने आई है। साउथ सिनेमा के प्रतिभाशाली अभिनेता अभिनय किंगर का सोमवार सुबह निधन हो गया। महज 44 वर्ष की उम्र में उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया। बताया जा रहा है कि वह लंबे समय से लिवर की गंभीर बीमारी से जूझ रहे थे। उनकी हालत पिछले कुछ महीनों से लगातार बिगड़ती जा रही थी। आखिरकार,तमिलनाडु के एक निजी अस्पताल में इलाज के दौरान उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके निधन की खबर ने पूरे साउथ फिल्म इंडस्ट्री को शोक में डुबो दिया है। तमिल,तेलुगु और कन्नड़ फिल्मों में सक्रिय रहने वाले इस कलाकार के चले जाने से फिल्म जगत में एक गहरा खालीपन पैदा हो गया है।
अभिनय किंगर ने अपने अभिनय करियर की शुरुआत वर्ष 2002 में प्रसिद्ध निर्देशक कस्तूरी राजा की फिल्म थुल्लुवथो इलमई से की थी। यह फिल्म युवाओं के संघर्ष और उनकी भावनाओं पर आधारित थी। फिल्म में उस समय के उभरते सितारे धनुष ने मुख्य भूमिका निभाई थी,जबकि अभिनय ने एक अहम किरदार के जरिए दर्शकों का ध्यान अपनी ओर खींचा था। फिल्म की सफलता ने अभिनय को रातों-रात पहचान दिला दी और उन्हें तमिल फिल्म जगत में स्थापित कर दिया।
पहली ही फिल्म से अपनी अभिनय प्रतिभा का लोहा मनवा चुके अभिनय किंगर ने इसके बाद कई यादगार फिल्मों में काम किया। उन्होंने जंक्शन,सिंगारा चेन्नई,पोनमलाई,सोला सोला इनिक्कुम,पलैवना सोलई,थुप्पाक्की और अंजान जैसी फिल्मों में शानदार प्रदर्शन किया। एक समय ऐसा था,जब वे तमिल फिल्मों के भरोसेमंद कलाकारों में गिने जाते थे। उनका अभिनय सहज,भावनात्मक और दिल से जुड़ा होता था,जो दर्शकों को प्रभावित करता था। अभिनय केवल तमिल सिनेमा तक सीमित नहीं रहे,उन्होंने तेलुगु और कन्नड़ फिल्मों में भी अपने हुनर का परिचय दिया। लगभग 15 से अधिक फिल्मों में अभिनय करने वाले इस कलाकार ने अपने दम पर पहचान बनाई।
अभिनय किंगर सिर्फ एक अभिनेता ही नहीं,बल्कि एक बेहतरीन डबिंग आर्टिस्ट भी थे। उन्होंने कई मशहूर फिल्मों के पात्रों को अपनी आवाज दी। विशेष रूप से उन्होंने थलपति विजय की सुपरहिट फिल्म थुप्पाक्की में विद्युत जामवाल के किरदार को अपनी आवाज दी थी। इसके अलावा,उन्होंने सूर्या की फिल्म अंजान में भी डबिंग की थी। उनकी आवाज में एक खास गहराई और प्रभाव था,जो उनके किरदारों को और जीवंत बना देता था। फिल्मों के अलावा अभिनय विज्ञापनों में भी नजर आए और धीरे-धीरे उन्होंने एक मेहनती और समर्पित कलाकार के रूप में अपनी जगह बना ली थी।
अभिनय का जन्म एक फिल्मी परिवार में हुआ था। उनकी माँ टी.पी. राधामणि मलयालम सिनेमा की जानी-मानी अभिनेत्री थीं। राधामणि ने अपने समय की कई हिट फिल्मों में अभिनय किया और राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता मराठी फिल्म ‘उत्तरायण’ में उनके प्रदर्शन को खूब सराहा गया था। अभिनय ने अपनी माँ के नक्शे-कदम पर चलते हुए अभिनय की दुनिया में कदम रखा और इसे ही अपना करियर बनाया। शुरुआती दिनों में उन्होंने तमिल सिनेमा के कई मशहूर निर्देशकों और अभिनेताओं के साथ काम किया। परंतु समय के साथ उनके पास काम के अवसर कम होते चले गए।
बीते कुछ वर्षों में अभिनय किंगर की स्वास्थ्य स्थिति लगातार बिगड़ती रही। उन्हें लिवर की गंभीर बीमारी ने बहुत कमजोर कर दिया था। बढ़ते इलाज के खर्च और काम की कमी के कारण उनकी आर्थिक स्थिति भी खराब हो गई थी। कुछ महीनों पहले उन्होंने सोशल मीडिया पर एक वीडियो जारी कर अपने इलाज के लिए लोगों से मदद की अपील की थी। उस वीडियो में उन्होंने भावुक होकर कहा था, “मुझे नहीं पता मैं और कितने दिन रहूँगा। डॉक्टरों ने मुझे केवल डेढ़ साल का समय दिया है।” उनके इस संदेश ने तमिल फिल्म इंडस्ट्री को झकझोर दिया था।
अभिनय की इस अपील के बाद कई कलाकार उनकी मदद के लिए आगे आए थे। मशहूर कॉमेडियन के.पी.वाई. बाला ने उन्हें एक लाख रुपये की सहायता दी थी,जबकि अभिनेता धनुष ने अपने पुराने साथी के इलाज के लिए पाँच लाख रुपये की आर्थिक मदद की थी। इसके अलावा,कई अन्य कलाकारों ने भी उनके परिवार की आर्थिक सहायता की थी,लेकिन बीमारी इतनी बढ़ चुकी थी कि तमाम कोशिशों के बावजूद उनकी हालत में सुधार नहीं हो सका। अंततः अस्पताल में इलाज के दौरान उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया।
अभिनय किंगर के निधन से फिल्म जगत में शोक की लहर दौड़ गई है। सोशल मीडिया पर तमिल सिनेमा के कई बड़े कलाकारों,निर्देशकों और प्रशंसकों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी है। अभिनेता धनुष ने पोस्ट कर लिखा, “अभिनय सिर्फ एक शानदार को-एक्टर नहीं,बल्कि एक सच्चे दोस्त थे। तुम्हारी कमी हमेशा खलेगी।” वहीं निर्देशक कस्तूरी राजा ने कहा, “थुल्लुवथो इलमई में अभिनय ने जो ऊर्जा और जुनून दिखाया था,वह आज भी मेरी यादों में ताजा है।”
अभिनय किंगर का सफर भले ही छोटा रहा हो,लेकिन उन्होंने अपनी मेहनत, ईमानदारी और जज्बे से तमिल सिनेमा में अपनी अमिट छाप छोड़ी। एक अभिनेता, एक आवाज़ और एक जिंदादिल इंसान के रूप में उनकी यादें हमेशा उनके प्रशंसकों और सहयोगियों के दिलों में जिंदा रहेंगी। उनका निधन न केवल तमिल फिल्म जगत,बल्कि पूरे भारतीय सिनेमा के लिए एक अपूरणीय क्षति है।

