वाशिंगटन,3 अक्टूबर (युआईटीवी)- अमेरिका और रूस के बीच जारी टैरिफ विवाद और यूक्रेन युद्ध की पृष्ठभूमि में अंतर्राष्ट्रीय राजनीति एक बार फिर तेज हो गई है। इसी क्रम में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भारत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर एक अहम बयान दिया है,जिसने भू-राजनीतिक समीकरणों में नई हलचल पैदा कर दी है। मास्को और नई दिल्ली के बीच ऊर्जा व्यापार को लेकर पुतिन ने भारत का खुलकर समर्थन किया और यह स्पष्ट कर दिया कि रूस अपने पुराने साझेदार के साथ किसी भी दबाव के आगे झुकने वाला नहीं है।
पुतिन ने यह बयान सोची के वल्दाई डिस्कशन क्लब में दिया,जहाँ उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों,यूक्रेन युद्ध और वैश्विक कूटनीति पर विस्तृत चर्चा की। इस दौरान उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा करते हुए उन्हें “संतुलित और बुद्धिमान नेता” बताया। उन्होंने यह भी कहा कि भारत का रूस से तेल खरीदने का निर्णय किसी भी राजनीतिक मंशा से प्रेरित नहीं है,बल्कि यह पूरी तरह से आर्थिक कारणों पर आधारित है।
रूसी राष्ट्रपति ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि अगर भारत रूसी ऊर्जा आपूर्ति से इनकार करता है,तो उसे भारी नुकसान उठाना पड़ेगा। उन्होंने अनुमान देते हुए कहा कि यह नुकसान लगभग 9 से 10 अरब डॉलर तक का हो सकता है। पुतिन ने सवाल उठाया कि जब इनकार करने से आर्थिक और राजनीतिक दोनों तरह का नुकसान होगा,तो फिर भारत ऐसा कदम क्यों उठाए। उनके अनुसार,भारत का यह फैसला तर्कसंगत और व्यावहारिक है और यह किसी भी बाहरी दबाव से प्रभावित नहीं है।
पुतिन का यह बयान ऐसे समय में आया है,जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) में भारत और चीन पर तीखा हमला बोला था। ट्रंप ने आरोप लगाया था कि रूस से तेल खरीदकर ये दोनों देश यूक्रेन युद्ध को वित्तीय समर्थन दे रहे हैं। इसके बाद से ही अमेरिका और भारत के बीच टैरिफ विवाद ने नया मोड़ ले लिया। अमेरिका ने अगस्त में भारतीय वस्तुओं पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क लगा दिया,जिससे कुल शुल्क बढ़कर 50 प्रतिशत हो गया। इस कदम ने दोनों देशों के बीच व्यापारिक तनाव को और बढ़ा दिया है।
वहीं पुतिन ने इस विवाद पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अमेरिका को यह समझना होगा कि औपनिवेशिक युग अब समाप्त हो चुका है। उन्होंने अमेरिका को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि कोई भी देश अब अपमानजनक भाषा या दबाव की राजनीति को बर्दाश्त नहीं करेगा। पुतिन ने कहा कि भारत जैसे देश के लोग अपने राजनीतिक नेतृत्व के फैसलों पर बारीकी से नजर रखते हैं और प्रधानमंत्री मोदी जैसे नेता किसी भी प्रकार के बाहरी दबाव या अपमान को स्वीकार नहीं करेंगे।
इस दौरान पुतिन ने रूस और भारत के ऐतिहासिक संबंधों पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारत और रूस के बीच मित्रता का इतिहास काफी पुराना है,जो भारत के स्वतंत्रता संग्राम के दिनों से चला आ रहा है। उन्होंने गर्व से कहा कि भारत और रूस के बीच कभी कोई समस्या या अंतर्राष्ट्रीय तनाव नहीं रहा। इस रिश्ते की सबसे बड़ी खूबी यह है कि दोनों देशों ने हमेशा एक-दूसरे का सम्मान किया है और एक-दूसरे के हितों का ख्याल रखा है।
जब पुतिन से उनके आगामी भारत दौरे के बारे में सवाल पूछा गया,तो उन्होंने कहा कि वह दिसंबर की शुरुआत में भारत यात्रा पर आएँगे और अपने प्रिय मित्र और विश्वसनीय साझेदार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करेंगे। उन्होंने कहा कि भारत के साथ रूस का रिश्ता “बहुत खास” है और दोनों देश व्यापार और रणनीतिक संबंधों को और गहराई देना चाहते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि उनकी प्राथमिकता दोनों देशों को लाभ पहुँचाने वाले व्यापारिक और रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करना है।
रूस के राष्ट्रपति ने इस अवसर पर भारतीय फिल्मों का भी जिक्र किया। उन्होंने बताया कि रूस में भारतीय फिल्मों की लोकप्रियता आज भी बरकरार है। वहाँ के छात्र और आम लोग भारतीय फिल्मों को बहुत पसंद करते हैं। पुतिन ने यह भी कहा कि रूस के पास एक अलग चैनल है,जिस पर भारतीय फिल्में प्रसारित की जाती हैं। उन्होंने इस सांस्कृतिक संबंध को दोनों देशों की मित्रता का मजबूत स्तंभ बताया। वहीं,उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा भारतीय फिल्मों पर 100 प्रतिशत टैरिफ लगाने के निर्णय की भी आलोचना की।
व्यापार के क्षेत्र में पुतिन ने कहा कि रूस भारत से आयात में विविधता लाना चाहता है। उन्होंने कहा कि कृषि उत्पादों और औषधीय उत्पादों के क्षेत्र में भारत से अधिक आयात किया जा सकता है। फार्मास्यूटिकल्स सेक्टर में भी भारत के साथ सहयोग की बड़ी संभावना है। उन्होंने जोर देकर कहा कि हमें इन अवसरों को वास्तविकता में बदलने के लिए कई कदम उठाने होंगे,जिससे दोनों देशों को समान रूप से लाभ मिल सके।
रूस और भारत की रणनीतिक साझेदारी पर बात करते हुए पुतिन ने कहा कि दोनों देशों के बीच विशेष रणनीतिक साझेदारी अब अपनी 15वीं वर्षगांठ की ओर बढ़ रही है। यह दर्शाता है कि दोनों देश एक-दूसरे के साथ गहरे समन्वय और विश्वास से जुड़े हुए हैं। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में यह साझेदारी और मजबूत होगी और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर दोनों देश एक-दूसरे का समर्थन करते रहेंगे।
पुतिन ने अमेरिका पर निशाना साधते हुए कहा कि “वे अपने सहयोगियों से जिस भाषा में बात कर रहे हैं,वह स्वीकार्य नहीं है।” उन्होंने कहा कि यह सोचना गलत है कि दबाव और धमकियों से कोई देश अपनी नीतियाँ बदल देगा। उन्होंने इस संदर्भ में अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा रूस को “कागजी शेर” कहे जाने पर भी प्रतिक्रिया दी। पुतिन ने व्यंग्य करते हुए कहा, “अगर मैं कागजी शेर हूँ,तो नाटो क्या है? हम पूरे नाटो ब्लॉक से लड़ रहे हैं और आगे बढ़ रहे हैं।”
दरअसल,अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सितंबर में यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लादिमीर जेलेंस्की से मुलाकात के बाद अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर रूस को “कागजी शेर” कहा था। ट्रंप ने दावा किया था कि रूस तीन साल से ज्यादा समय में भी यूक्रेन को हराने में नाकाम रहा है। इस पर पुतिन ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अमेरिका और उसके सहयोगियों को जमीनी हकीकत समझनी चाहिए और यह मान लेना चाहिए कि रूस पर दबाव डालना आसान नहीं है।
पुतिन के इन बयानों ने साफ कर दिया है कि रूस और भारत का रिश्ता सिर्फ ऊर्जा व्यापार तक सीमित नहीं है,बल्कि यह सांस्कृतिक,रणनीतिक और ऐतिहासिक रिश्तों की गहरी जड़ों पर आधारित है। दूसरी ओर,अमेरिका के साथ बढ़ते टैरिफ विवाद और राजनीतिक तनाव ने भारत को एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि वह अपनी विदेश नीति और व्यापारिक संबंधों में कितनी स्वतंत्रता बनाए रख सकता है।
वर्तमान परिदृश्य में भारत जिस तरह से रूस से तेल खरीदना जारी रखे हुए है,वह न केवल उसकी आर्थिक जरूरतों का परिणाम है,बल्कि यह उसकी स्वतंत्र विदेश नीति का भी प्रतीक है। पुतिन का बयान इस बात की पुष्टि करता है कि रूस इस स्वतंत्रता का सम्मान करता है और भारत को हर संभव सहयोग देने के लिए तैयार है। वहीं,अमेरिका का लगातार दबाव इस बात को दर्शाता है कि वैश्विक राजनीति में ऊर्जा और व्यापार कितने बड़े हथियार बन चुके हैं।
आगामी महीनों में पुतिन की भारत यात्रा और मोदी के साथ उनकी मुलाकात यह तय करेगी कि दोनों देशों के बीच ऊर्जा,व्यापार और रणनीतिक साझेदारी किस स्तर पर आगे बढ़ती है,लेकिन इतना तय है कि टैरिफ विवाद और यूक्रेन युद्ध की पृष्ठभूमि में पुतिन का भारत समर्थक बयान भारत की वैश्विक स्थिति को और मजबूत करेगा और यह संदेश देगा कि नई दिल्ली किसी भी बाहरी दबाव में झुकने को तैयार नहीं है।
इस पूरे घटनाक्रम ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में भारत अब केवल एक संतुलन साधने वाला देश नहीं है,बल्कि वह एक ऐसा वैश्विक खिलाड़ी है,जो अपनी स्वतंत्र विदेश नीति और आर्थिक हितों को सर्वोच्च प्राथमिकता देता है। रूस और भारत की साझेदारी इसी नए वैश्विक परिदृश्य का प्रतीक है,जहाँ दबाव और धमकियाँ नहीं,बल्कि विश्वास और सहयोग ही रिश्तों की असली बुनियाद हैं।