अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप

गोल्ड पर टैरिफ से पीछे हटे ट्रंप,रूस यात्रा से पहले लिया बड़ा निर्णय,भारत पर 50% आयात शुल्क से व्यापारिक तनाव बढ़ने के आसार

वाशिंगटन,12 अगस्त (युआईटीवी)- अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक अहम आर्थिक फैसला लेते हुए स्पष्ट कर दिया है कि गोल्ड (सोना) पर कोई टैरिफ नहीं लगाया जाएगा। यह घोषणा ऐसे समय में आई है,जब अमेरिकी सीमा शुल्क विभाग (यूएस कस्टम्स) की ओर से कुछ दिन पहले संकेत दिए गए थे कि 1 किलोग्राम और 100 औंस वज़न वाले गोल्ड बार पर भारी आयात शुल्क लगाया जा सकता है। इस खबर के सामने आते ही अंतर्राष्ट्रीय बाजार में हलचल मच गई थी और सोने की कीमतों में तेज उछाल देखने को मिला था।

ट्रंप की इस नई घोषणा ने निवेशकों और व्यापारियों को बड़ी राहत दी है। उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म “ट्रूथ” पर पोस्ट कर स्पष्ट किया कि अमेरिका गोल्ड पर किसी प्रकार का टैरिफ लगाने की योजना नहीं बना रहा है। उनका कहना था कि गोल्ड पर टैक्स लगाने से अमेरिका के अपने आर्थिक हितों को नुकसान हो सकता है और इससे वैश्विक बाजार में अस्थिरता पैदा होगी।

हाल के दिनों में कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और अमेरिकी कस्टम विभाग की एक चिट्ठी के चलते यह अफवाह तेज हो गई थी कि अमेरिका गोल्ड इंपोर्ट पर टैक्स लगाने जा रहा है। इससे सोने के कारोबार से जुड़े निवेशकों,ज्वेलरी उद्योग और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार जगत में चिंता फैल गई थी। चूँकि,अमेरिका दुनिया के सबसे बड़े गोल्ड उपभोक्ता और आयातक देशों में से एक है,ऐसे में वहाँ के किसी भी फैसले का सीधा असर वैश्विक बाजार पर पड़ता है।

ट्रंप के इस बयान से अब स्थिति साफ हो गई है। जानकारों का मानना है कि यह फैसला वैश्विक गोल्ड मार्केट में स्थिरता बनाए रखने में मदद करेगा। टैक्स की आशंका से जो अनिश्चितता पैदा हुई थी,वह अब समाप्त हो गई है और निवेशकों का भरोसा फिर से कायम हो गया है। इसके साथ ही गोल्ड की कीमतों में अचानक आए उतार-चढ़ाव पर भी अब ब्रेक लगने की उम्मीद है।

हालाँकि,गोल्ड पर राहत की इस खबर के साथ ही ट्रंप ने एक ऐसा कदम उठाया है,जिसने भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों में तनाव की संभावना बढ़ा दी है। राष्ट्रपति ट्रंप ने घोषणा की है कि भारत पर अब 50 प्रतिशत टैरिफ लगाया जाएगा। यह कदम भारत के रूस से तेल खरीदने और उससे बढ़ते आर्थिक संबंधों के कारण उठाया गया है। ट्रंप का आरोप है कि रूस यूक्रेन युद्ध को बढ़ावा दे रहा है और भारत को उससे दूरी बनानी चाहिए।

इससे पहले भारत पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाया गया था,जिसे अब दोगुना कर दिया गया है। यह फैसला न केवल आर्थिक रूप से बल्कि कूटनीतिक स्तर पर भी गंभीर असर डाल सकता है। भारत और अमेरिका के बीच बीते कुछ वर्षों में व्यापारिक संबंध लगातार मजबूत होते दिखे हैं,लेकिन यह नया टैरिफ उन रिश्तों पर दबाव डाल सकता है।

विशेषज्ञों के अनुसार,गोल्ड पर टैरिफ न लगाने का फैसला जहाँ अमेरिका और वैश्विक बाजार के लिए राहत की खबर है,वहीं भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ की घोषणा दोनों देशों के बीच व्यापारिक असंतुलन को बढ़ा सकती है। यह कदम भारतीय निर्यातकों के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकता है,खासकर उन उद्योगों के लिए जो अमेरिकी बाजार पर निर्भर हैं।

भारत पर लगाए गए इस नए टैरिफ का प्रभाव सिर्फ व्यापार तक सीमित नहीं रहेगा,बल्कि यह कूटनीतिक रिश्तों में भी खटास पैदा कर सकता है। भारत,अमेरिका का एक रणनीतिक साझेदार है और दोनों देशों के बीच रक्षा,तकनीकी,ऊर्जा और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में सहयोग लगातार बढ़ रहा है,लेकिन इस तरह के आर्थिक प्रतिबंध इन रिश्तों को कमजोर कर सकते हैं।

ट्रंप के इस फैसले के पीछे रूस-यूक्रेन युद्ध से जुड़ी उनकी सख्त नीति भी झलकती है। वह लगातार इस युद्ध को रोकने के लिए दबाव बनाने की रणनीति अपना रहे हैं और चाहते हैं कि रूस के साथ व्यापारिक संबंध रखने वाले देशों पर प्रतिबंधों के जरिए असर डाला जाए। भारत की रूस से कच्चे तेल की खरीद ने अमेरिका को असहज किया है और इस टैरिफ को उसी असंतोष का परिणाम माना जा रहा है।

अंतर्राष्ट्रीय राजनीति के जानकारों का मानना है कि आने वाले दिनों में भारत की प्रतिक्रिया इस मामले में अहम होगी। अगर भारत इस टैरिफ के खिलाफ कड़ा रुख अपनाता है या अमेरिका के साथ प्रतिशोधी व्यापारिक कदम उठाता है,तो यह विवाद और गहरा सकता है। दूसरी ओर,अगर कूटनीतिक बातचीत के जरिए कोई समाधान निकाला जाता है,तो रिश्तों में आई खटास कम हो सकती है।

जहाँ एक ओर ट्रंप की गोल्ड पर टैरिफ न लगाने की घोषणा ने अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और निवेशकों को राहत दी है,वहीं भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ का फैसला कई सवाल खड़े कर रहा है। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले हफ्तों में इस फैसले का आर्थिक और राजनीतिक असर किस रूप में सामने आता है।

ट्रंप के ये दो अलग-अलग फैसले एक ओर राहत देने वाला है,तो दूसरी ओर दबाव बनाने वाला। यह अमेरिकी प्रशासन की वर्तमान आर्थिक और कूटनीतिक रणनीति की दोहरी तस्वीर पेश करते हैं। गोल्ड पर टैरिफ से पीछे हटना उनकी वैश्विक बाजार में स्थिरता बनाए रखने की सोच को दर्शाता है,जबकि भारत पर कड़े आयात शुल्क का कदम उनकी कठोर विदेश नीति और रूस को अलग-थलग करने के इरादे को स्पष्ट करता है। अब सारी नज़रें इस पर होंगी कि भारत इस चुनौती का सामना कैसे करता है और क्या दोनों देशों के रिश्ते इस नए आर्थिक तनाव से उबर पाते हैं या नहीं।