रूस का झंडा

मॉस्को पर हुए आतंकी हमले के बाद रूसी सांसद मौत की सजा पर लगी रोक को हटाने पर कर रहे विचार

मॉस्को,27 मार्च (युआईटीवी)- रूस की राजधानी मॉस्को के एक कॉन्सर्ट हॉल में हाल ही में हुए आतंकी हमले के बाद रूसी सांसद देश में मौत की सजा पर लगी रोक को हटाने पर विचार कर रहे हैं। लोगों का मानना है कि आतंकवाद के खिलाफ और विरोधी नीतियों के प्रति इस घटना ने सामाजिक चिंता को बढ़ा दिया है। कई लोगों ने मौत की सजा पर लगी रोक को हटाने वाले कानून पर चिंता जाहिर की है। उनका मानना है कि यदि ऐसा हो जाएगा तो सरकार द्वारा इसका दुरूपयोग किया जाएगा। ये कानून यूक्रेन के समर्थकों और क्रेमलिन के विरोधी को निशाना बनाने के लिए लाया जा रहा है।

स्टेट ड्यूमा या संसद के निचले सदन के पूर्ण सत्र में रूस की लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी के प्रमुख लियोनिद स्लटस्की ने आतंकवादी हमले के संदिग्धों का जिक्र करते हुए कहा, यदि इन दरिंदों को कोई सजा दिया जा सकता है तो वह फांसी की सजा ही है,इसके अलावा इन आतकवादियों के लिए कोई और सजा नहीं है।

समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के मुताबिक,संसद के स्पीकर व्याचेस्लाव वोलोडिन ने एक अंतर-गुटीय कार्य समूह बनाने का प्रस्ताव रखा,ताकि यह समूह मौत की सजा और प्रवासन नीति के उपयोग के संबंध में कानून का विश्लेषण कर सके।

इस संबंध में राज्य ड्यूमा समिति के अध्यक्ष पावेल क्रशेनिनिकोव ने कहा कि समिति उन विभिन्न प्रस्तावों और विधेयकों पर चर्चा करने के लिए तैयार है,जो मौत की सजा पर रोक लगाने से जुड़े हुए हैं। लेकिन ऐसे फैसले धैर्यपूर्वक लेने होंगे।

रूस की वर्तमान कानून मृत्युदंड (मौत की सजा) की सजा को वैध बताती है। वर्ष 1996 में रूस यूरोप परिषद में शामिल हो गया था और उसके बाद से देश में मृत्युदंड पर रोक लगा दी गई थी। मृत्युदंड पर 1999 में रूस की संवैधानिक अदालत ने प्रतिबंध लगा दिया था।

बता दें कि बीते शुक्रवार को मॉस्को के एक कॉन्सर्ट हॉल में आतंकियों ने गोलीबारी की थी। जिसमें 130 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी। रूस की संसद और अधिकारियों ने इस आतंकी हमले के बाद सुरक्षा के मामले पर गंभीरता से विचार किया है।

 

 

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