बैंकॉक,12 दिसंबर (युआईटीवी)- थाईलैंड और कंबोडिया के बीच लंबे समय से चल रहे सीमा विवाद ने एक बार फिर गंभीर रूप ले लिया है। हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति की मध्यस्थता में दक्षिण कोरिया में आयोजित समिट के दौरान दोनों देशों ने सुलह कराते हुए सीजफायर दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर किए थे,लेकिन यह समझौता अधिक समय तक टिक नहीं सका। सीमा पर रविवार दोपहर से शुरू हुई झड़पें गुरुवार तक जारी रहीं,जिसके चलते दोनों देशों के बीच तनाव खतरनाक स्तर पर पहुँच गया है। दोनों पक्ष एक-दूसरे पर संघर्ष की शुरुआत का आरोप लगा रहे हैं और हालात लगातार बिगड़ते दिख रहे हैं।
थाईलैंड रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता सुरसंत कोंगसिरी ने बताया कि सीमा पर हुई ताजा गोलीबारी और बमबारी में थाई सेना के नौ जवान मारे गए हैं,जबकि 120 से अधिक सैनिक और नागरिक घायल हुए हैं। उन्होंने कहा कि कंबोडियाई सेना ने कई बार थाई क्षेत्र में घुसपैठ कर गोलाबारी की,जिससे थाईलैंड के उबोन रत्चथानी और सिसाकेट प्रांतों में कई गाँवों को गंभीर क्षति पहुँची है। झड़पों की तीव्रता को देखते हुए थाई सेना ने भी जवाबी कार्रवाई की है।
संघर्ष के चलते गंभीर मानवीय संकट पैदा हो गया है। थाईलैंड के सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले करीब दो लाख आम नागरिकों को अपने घर छोड़ने पड़े हैं और उन्हें अस्थायी रूप से बनाए गए रिफ्यूजी कैंपों में शरण लेनी पड़ी है। सरकारी आँकड़ों के अनुसार अब तक 849 रिफ्यूजी कैंप बनाए जा चुके हैं। इन कैंपों में भोजन,पानी और चिकित्सा सुविधाओं की कमी को लेकर भी स्थिति चिंताजनक है। प्रवक्ता सुरसंत कोंगसिरी ने यह भी पुष्टि की है कि झड़पों में कम से कम तीन शरणार्थियों की मौत हो गई है।
दूसरी ओर कंबोडिया के रक्षा मंत्रालय ने भी थाईलैंड पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं। कंबोडियन रक्षा मंत्रालय के अवर सचिव और प्रवक्ता लेफ्टिनेंट जनरल माली सोचेता ने प्रेस ब्रीफिंग में बताया कि थाई सेना की ओर से कंबोडियाई क्षेत्र में की गई बमबारी में कम-से-कम 10 आम नागरिक मारे गए हैं,जिनमें एक बच्चा भी शामिल है। इसके अलावा 60 से अधिक नागरिक घायल हुए हैं। कंबोडिया का दावा है कि थाई सेना ने कई गांवों पर भारी तोपखाना दागा,जिसके चलते दर्जनों घर,खेत और स्थानीय बाजार नष्ट हो गए हैं। सोचेता ने कहा कि थाई पक्ष की आक्रामक कार्रवाई के कारण कंबोडिया को मजबूरन जवाबी हमला करना पड़ा।
उन्होंने यह भी कहा कि संघर्ष से कंबोडिया के सीमावर्ती स्वास्थ्य ढाँचे पर भारी असर पड़ा है। करीब 200 अस्पताल और क्लिनिक विभिन्न स्तरों पर क्षतिग्रस्त हुए हैं,जिसके चलते घायलों का इलाज करना चुनौती बन गया है। कई इलाकों में मेडिकल स्टाफ को भी खतरे के चलते हटाना पड़ा है।
हालात की गंभीरता को देखते हुए थाईलैंड के दूसरे आर्मी एरिया कमांड ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर कहा कि लड़ाई अभी भी जारी है और कंबोडियाई सेना थाई क्षेत्र में कई स्थानों पर गोलाबारी कर रही है। थाई सेना ने स्थानीय नागरिकों से अपील की है कि वे सुरक्षित स्थानों पर रहें और संघर्ष क्षेत्र से दूर रहें।
थाईलैंड और कंबोडिया के बीच सीमा विवाद कोई नया विषय नहीं है। दशकों से दोनों देशों के बीच सीमा निर्धारण को लेकर खिंचाव बना हुआ है। हालाँकि,हालिया संघर्ष ऐसे समय में हुआ है,जब दोनों देशों ने अमेरिका की मध्यस्थता में ‘सीजफायर समझौते’ पर सहमति जताई थी। दक्षिण कोरिया में आयोजित समिट के दौरान इस समझौते को क्षेत्रीय स्थिरता का बड़ा कदम माना गया था,लेकिन उसकी विफलता ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की चिंता बढ़ा दी है।
अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों का मानना है कि संघर्ष के दोबारा भड़कने से दक्षिण-पूर्व एशिया का सुरक्षा वातावरण और अस्थिर हो सकता है। संयुक्त राष्ट्र ने दोनों देशों से संयम बरतने और वार्ता के माध्यम से समाधान निकालने की अपील की है,लेकिन जमीन पर स्थिति लगातार बिगड़ रही है और नागरिकों को सबसे अधिक इसकी कीमत चुकानी पड़ रही है।
सीमा पर तनाव के साथ मानवीय संकट भी गहरा रहा है। हजारों लोग बेघर हो चुके हैं,स्कूल और अस्पताल बंद किए जा चुके हैं और व्यापारिक गतिविधियों पर गंभीर असर पड़ा है। दोनों देशों के सीमावर्ती गाँवों में भय और असुरक्षा का माहौल है। स्थानीय प्रशासन संघर्ष कम करने के प्रयास कर रहा है,लेकिन लगातार होती गोलाबारी इन कोशिशों को कमजोर कर रही है।
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि दोनों देशों को जल्द-से-जल्द अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता के तहत वार्ता फिर शुरू करनी चाहिए,अन्यथा संघर्ष के और फैलने का खतरा बढ़ जाएगा। अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा कराए गए सीजफायर को जिस तरह से कुछ ही दिनों में तोड़ दिया गया,उसने भविष्य की वार्ताओं को और जटिल बना दिया है।
इस बीच,दोनों देशों की सेनाएँ सीमा पर अतिरिक्त बल तैनात कर रही हैं। स्थिति सामान्य होने के कोई संकेत नहीं दिख रहे हैं। थाई और कंबोडियाई नागरिकों में यह सवाल गहराता जा रहा है कि सीमा विवाद की यह आग कब शांत होगी और वे अपने घर कब लौट पाएँगे।

