टोक्यो,8 सितंबर (युआईटीवी)- जापान की राजनीति में इस समय बड़ा उथल-पुथल देखने को मिल रहा है। प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा के इस्तीफे के ऐलान के बाद सत्तारूढ़ लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (एलडीपी) में नई नेतृत्व की तलाश तेज हो गई है। इसी बीच,जापान के पूर्व विदेश मंत्री और एलडीपी के वरिष्ठ नेता तोशिमित्सु मोटेगी ने पार्टी अध्यक्ष पद के चुनाव में उतरने की योजना बना ली है। उनके अलावा मुख्य कैबिनेट सचिव योशिमासा हयाशी का नाम भी प्रबल दावेदारों में शामिल हो चुका है। इन दोनों नेताओं ने पिछले साल हुए नेतृत्व की दौड़ में भी अपनी दावेदारी पेश की थी,लेकिन उस समय इशिबा ने बाजी मार ली थी। अब परिस्थितियाँ पूरी तरह बदल चुकी हैं और एलडीपी के सामने सत्ता बचाने की चुनौती खड़ी है।
दरअसल,जुलाई में हुए उच्च सदन के चुनाव में एलडीपी-कोमेइतो गठबंधन को करारी हार का सामना करना पड़ा। इस हार के साथ गठबंधन ने ऊपरी सदन में अपना बहुमत खो दिया। यह झटका इसलिए और गहरा माना जा रहा है क्योंकि इससे पहले 2024 में प्रतिनिधि सभा के चुनाव में भी एलडीपी को बहुमत गंवाना पड़ा था। परिणामस्वरूप,इशिबा की सरकार पिछले कई महीनों से अल्पमत में काम कर रही थी और नीतिगत फैसले लेने में कठिनाई का सामना कर रही थी। लगातार बढ़ते दबाव और पार्टी के भीतर असंतोष के कारण इशिबा ने रविवार शाम अचानक अपने पद से इस्तीफा देने का ऐलान कर दिया।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ ने क्योडो न्यूज के हवाले से बताया है कि एलडीपी के कई सांसद लंबे समय से पार्टी के अंदर नेतृत्व परिवर्तन की माँग कर रहे थे। उनका मानना था कि चुनावी नाकामी की जिम्मेदारी इशिबा को लेनी चाहिए। अंततः इशिबा ने इस दबाव को स्वीकार करते हुए पद छोड़ दिया। अब एलडीपी के भीतर अध्यक्ष पद का चुनाव होना तय है,क्योंकि पार्टी के संविधान के अनुसार,अगर अधिकांश सांसद और प्रीफेक्चुरल चैप्टर नए चुनाव की माँग करते हैं,तो पार्टी बाध्य होकर चुनाव कराती है। उम्मीद है कि मंगलवार तक एलडीपी इस पूरी प्रक्रिया को अंतिम रूप दे देगी।
तोशिमित्सु मोटेगी जापानी राजनीति के एक अनुभवी चेहरे माने जाते हैं। उन्होंने विदेश मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर जापान की मजबूत मौजूदगी दर्ज कराई थी। इसके अलावा,वे एलडीपी में नीति प्रमुख भी रह चुके हैं और उन्हें संगठन में एक सधे हुए रणनीतिकार के रूप में देखा जाता है। मोटेगी की खासियत यह है कि वे पार्टी के अलग-अलग गुटों के बीच संतुलन बनाने में माहिर माने जाते हैं। इस कारण उनकी दावेदारी को गंभीरता से लिया जा रहा है।
वहीं,उनके प्रतिद्वंदी योशिमासा हयाशी भी किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। वर्तमान में मुख्य कैबिनेट सचिव के पद पर रहते हुए उन्होंने सरकार के कई अहम फैसलों को अंजाम दिया है। हयाशी की प्रशासनिक पकड़ और उनकी साफ-सुथरी छवि उन्हें इस चुनाव में मजबूत दावेदार बनाती है। उनके समर्थन में पार्टी के कुछ युवा सांसद भी खुलकर सामने आए हैं,जो बदलाव की तलाश में हैं।
इसके अलावा,संभावित उम्मीदवारों में पूर्व आर्थिक सुरक्षा मंत्री साने ताकाइची और कृषि मंत्री शिंजीरो कोइज़ुमी का नाम भी चर्चा में है। ताकाइची पार्टी के दक्षिणपंथी धड़े की प्रतिनिधि मानी जाती हैं और उनकी छवि एक कठोर नेता की है। वहीं,शिंजीरो कोइज़ुमी,पूर्व प्रधानमंत्री जुनइचिरो कोइज़ुमी के बेटे हैं और युवा चेहरा होने के नाते जनता के बीच लोकप्रिय हैं। हालाँकि,उनकी राजनीतिक समझ और अनुभव पर अभी भी सवाल उठाए जाते हैं।
इस बार का चुनाव इसलिए भी ऐतिहासिक माना जा रहा है क्योंकि 1955 में एलडीपी की स्थापना के बाद पहली बार ऐसा हुआ है कि पार्टी संसद के दोनों सदनों में अल्पमत में आ गई है। यह स्थिति एलडीपी के लिए बेहद असहज है,क्योंकि लंबे समय से जापान की राजनीति में पार्टी का दबदबा कायम रहा है। अब सवाल यह है कि नया नेतृत्व किस प्रकार पार्टी को दुबारा संगठित करेगा और मतदाताओं का भरोसा जीतेगा।
इशिबा के इस्तीफे ने यह साफ कर दिया है कि पार्टी अब पुराने ढर्रे पर नहीं चल सकती। निचले सदन में बहुमत खोने के बाद से ही इशिबा की सरकार डगमगा रही थी और विपक्ष लगातार उन पर हमला बोल रहा था। अल्पमत सरकार चलाने की मजबूरी ने उनकी स्थिति कमजोर कर दी थी। अब एलडीपी को ऐसा नेता चाहिए,जो न केवल पार्टी को एकजुट कर सके बल्कि जनता को भी यह भरोसा दिला सके कि पार्टी दोबारा स्थिर शासन देने में सक्षम है।
आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि एलडीपी अध्यक्ष पद की यह लड़ाई किस दिशा में जाती है। मोटेगी और हयाशी के बीच कांटे की टक्कर मानी जा रही है,लेकिन ताकाइची और कोइज़ुमी जैसे नाम भी समीकरण बिगाड़ सकते हैं। एक ओर अनुभवी और नीतिगत समझ वाले नेता मैदान में हैं,तो दूसरी ओर युवाओं और बदलाव की आवाज भी ताकत पकड़ रही है।
जापान की राजनीति फिलहाल एक निर्णायक मोड़ पर खड़ी है। इशिबा के इस्तीफे ने सत्ता समीकरणों को हिला दिया है। अब पार्टी का नया नेता ही यह तय करेगा कि एलडीपी दुबारा जनता का भरोसा जीत पाएगी या विपक्ष को सत्ता का स्वाद चखाने का मौका मिलेगा। अगले कुछ दिनों में एलडीपी की नई नेतृत्व दौड़ जापान की राजनीतिक दिशा तय करने वाली साबित हो सकती है।