वित्त वर्ष 26 की तीसरी तिमाही में महँगाई सीमित दायरे में रहने की उम्मीद

वित्त वर्ष 26 की तीसरी तिमाही में महँगाई सीमित दायरे में रहने की उम्मीद,खाद्य कीमतों से मिलेगी राहत: बैंक ऑफ बड़ौदा रिपोर्ट

नई दिल्ली,15 दिसंबर (युआईटीवी)- भारत में महँगाई को लेकर आम लोगों के लिए राहत भरी खबर है। बैंक ऑफ बड़ौदा की ओर से सोमवार को जारी एक रिपोर्ट के अनुसार,वित्त वर्ष 2025-26 (FY26) की तीसरी तिमाही में देश की महँगाई दर एक सीमित दायरे में बनी रह सकती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस दौरान मुख्य महँगाई दर लगभग 0.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है,जो भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के अनुमानित स्तर 0.6 प्रतिशत से थोड़ा कम है। यह संकेत देता है कि मौजूदा आर्थिक हालात में कीमतों पर नियंत्रण बना रह सकता है और उपभोक्ताओं को महँगाई से बड़ी राहत मिलने की संभावना है।

बैंक ऑफ बड़ौदा ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि खाद्य उत्पादों की कीमतों में लगातार नरमी और मुख्य महँगाई दर का स्थिर बने रहना,हाल के दिनों में सब्जियों की कीमतों में आई कुछ बढ़ोतरी के बावजूद,उपभोक्ताओं के लिए राहत का कारण बनेगा। रिपोर्ट के अनुसार,खुदरा महँगाई दर लगातार आरबीआई के तय महँगाई लक्ष्य के निचले स्तर से नीचे बनी हुई है,जो अर्थव्यवस्था के लिए एक सकारात्मक संकेत है।

रिपोर्ट में बताया गया है कि नवंबर महीने में खुदरा महँगाई दर केवल 0.7 प्रतिशत रही,जो पिछले साल नवंबर में दर्ज 5.5 प्रतिशत की महँगाई दर की तुलना में काफी कम है। महँगाई में आई इस तेज गिरावट के पीछे मुख्य रूप से दो कारण बताए गए हैं। पहला,पिछले साल की तुलना में इस बार का आधार प्रभाव (हाई बेस इफेक्ट) और दूसरा,नवंबर में खाद्य महँगाई दर का -3.9 प्रतिशत पर आ जाना।

बैंक ऑफ बड़ौदा के अनुसार,बीते महीने कई प्रमुख खाद्य वस्तुओं की कीमतों में उल्लेखनीय गिरावट देखने को मिली है। नवंबर में सब्जियों की कीमतों में सालाना आधार पर 22.20 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई। इसी तरह दालों और उससे जुड़े उत्पादों की कीमतों में 15.86 प्रतिशत की गिरावट आई,जबकि मसालों की कीमतों में भी 2.89 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई। इन आँकड़ों से यह स्पष्ट होता है कि खाद्य महँगाई पर फिलहाल मजबूत नियंत्रण बना हुआ है।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि दस प्रमुख खाद्य वस्तुओं में से पाँच में मुद्रास्फीति की दर अभी भी 4 प्रतिशत से कम बनी हुई है। यह स्थिति दर्शाती है कि खाद्य कीमतों का दबाव व्यापक नहीं है और महँगाई कुछ चुनिंदा उत्पादों तक ही सीमित है। हालाँकि,रिपोर्ट में यह भी स्वीकार किया गया है कि सब्जियों और अंडों की कीमतों में मौसमी कारणों से खाद्य मुद्रास्फीति में कुछ क्रमिक बढ़ोतरी देखने को मिली है,लेकिन बैंक का मानना है कि यह कोई बड़ी चिंता का विषय नहीं है।

बैंक ऑफ बड़ौदा की रिपोर्ट में दिसंबर महीने की शुरुआत के रुझानों का भी जिक्र किया गया है। इसके अनुसार,दिसंबर के पहले 11 दिनों में टमाटर,प्याज और आलू जैसी प्रमुख सब्जियों की कीमतों में कुछ बढ़ोतरी देखी गई है। खास तौर पर टमाटर की कीमतों में वार्षिक आधार पर 5.5 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। हालाँकि,रिपोर्ट यह भी स्पष्ट करती है कि संचयी आधार पर देखें तो इन प्रमुख सब्जियों की कीमतें अभी भी लगभग 25 प्रतिशत कम हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक,सब्जियों की कीमतों में हालिया बढ़ोतरी मुख्य रूप से मौसमी उतार-चढ़ाव का नतीजा है और इससे महँगाई के दीर्घकालिक रुझान पर कोई बड़ा असर पड़ने की संभावना नहीं है। बैंक का मानना है कि जैसे-जैसे नई फसल बाजार में आएगी और आपूर्ति की स्थिति बेहतर होगी,वैसे-वैसे कीमतों पर फिर से दबाव कम हो सकता है। इसके चलते आने वाले महीनों में महँगाई दर में और गिरावट देखने को मिल सकती है।

बैंक ऑफ बड़ौदा ने यह भी संकेत दिया है कि मौजूदा महँगाई के आँकड़ें आरबीआई को मौद्रिक नीति के मोर्चे पर कुछ हद तक लचीलापन दे सकते हैं। कम और नियंत्रित महँगाई दर आर्थिक गतिविधियों को समर्थन देने के साथ-साथ उपभोक्ता माँग को भी मजबूती प्रदान कर सकती है। कुल मिलाकर,रिपोर्ट यह दर्शाती है कि वित्त वर्ष 26 की तीसरी तिमाही में महँगाई देश की अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ी चुनौती नहीं बनेगी और आम लोगों को कीमतों के मोर्चे पर राहत का सिलसिला जारी रह सकता है।