एयर इंडिया

तिरुवनंतपुरम-दिल्ली एयर इंडिया फ्लाइट में तकनीकी खराबी और खराब मौसम,चेन्नई में विमान की आपात लैंडिंग,सांसद बोले ‘बाल-बाल बचे’

चेन्नई,11 अगस्त (युआईटीवी)- रविवार रात तिरुवनंतपुरम से दिल्ली जा रही एयर इंडिया की फ्लाइट AI2455 को तकनीकी खराबी और मार्ग में खराब मौसम के चलते आपात रूप से चेन्नई एयरपोर्ट पर उतारना पड़ा। एयरबस ए320 विमान से संचालित यह उड़ान दो घंटे से अधिक समय तक हवा में रही और यात्रियों के लिए यह सफर तनाव और अनिश्चितता से भरा रहा। इस विमान में पाँच सांसद—केसी वेणुगोपाल,कोडिक्कुनिल सुरेश,अडूर प्रकाश,के. राधाकृष्णन और रॉबर्ट ब्रूस भी सवार थे। कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने इस घटना को ‘बाल-बाल बचने’ जैसा अनुभव बताया और नागरिक उड्डयन मंत्रालय से तत्काल जाँच की माँग की।

फ्लाइटराडार24 के आँकड़ों के मुताबिक,विमान ने रात आठ बजे के बाद तिरुवनंतपुरम से उड़ान भरी और लगभग 10 बजकर 35 मिनट पर चेन्नई में लैंड किया। एयर इंडिया ने अपने आधिकारिक बयान में कहा कि 10 अगस्त को तिरुवनंतपुरम से दिल्ली जा रही उड़ान AI2455 के चालक दल ने मार्ग में संदिग्ध तकनीकी समस्या और खराब मौसम के कारण सावधानी बरतते हुए फ्लाइट को चेन्नई की ओर मोड़ने का फैसला किया। एयरलाइन का कहना है कि यह निर्णय यात्रियों और चालक दल की सुरक्षा को ध्यान में रखकर लिया गया था।

घटना के बाद केसी वेणुगोपाल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर विस्तार से अपना अनुभव साझा किया। उन्होंने बताया कि उड़ान पहले से ही देरी से शुरू हुई थी और उड़ान भरने के तुरंत बाद यात्रियों को तेज झटके (टर्बुलेंस) महसूस हुए। करीब एक घंटे बाद कैप्टन ने घोषणा की कि विमान में सिग्नल की खराबी है और इसे चेन्नई डायवर्ट किया जाएगा। इसके बाद विमान लगभग दो घंटे तक चेन्नई एयरपोर्ट के ऊपर चक्कर लगाता रहा।

वेणुगोपाल ने अपने पोस्ट में लिखा, “पहली बार उतरने की कोशिश में बेहद डरावना पल आया,जब पायलट ने अचानक विमान को ऊपर खींच लिया। हमें बाद में बताया गया कि ऐसा रनवे पर किसी अन्य विमान के होने के कारण हुआ। दूसरी कोशिश में फ्लाइट सुरक्षित लैंड कर गई। पायलट की सूझबूझ और हमारी किस्मत से हम बच गए। यात्रियों की सुरक्षा कभी भी किस्मत पर नहीं छोड़ी जानी चाहिए। मैं डीजीसीए और नागरिक उड्डयन मंत्रालय से आग्रह करता हूँ कि इस घटना की तुरंत जाँच की जाए,जिम्मेदारी तय हो और यह सुनिश्चित किया जाए कि भविष्य में ऐसी चूक दोबारा न हो।”

उनकी इस टिप्पणी ने सोशल मीडिया पर यात्रियों की सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ा दी। कई यूजर्स ने वेणुगोपाल की पोस्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए विमानन क्षेत्र में सुरक्षा मानकों को और सख्त करने की माँग की। कुछ ने यह भी सवाल उठाया कि तकनीकी खराबी की स्थिति में विमान को दो घंटे तक हवा में क्यों रखा गया,जबकि यात्रियों की मनोवैज्ञानिक स्थिति और जोखिम को ध्यान में रखते हुए जल्द-से-जल्द सुरक्षित लैंडिंग कराना जरूरी था।

दूसरी ओर,एयर इंडिया ने केसी वेणुगोपाल के दावे का खंडन करते हुए एक्स पर जवाब दिया। एयरलाइन ने स्पष्ट किया, “हम साफ करना चाहते हैं कि फ्लाइट को चेन्नई डायवर्ट करने का फैसला सावधानी के तौर पर लिया गया था। विमान में तकनीकी समस्या और मार्ग में खराब मौसम की स्थिति थी। चेन्नई एयरपोर्ट पर पहली लैंडिंग की कोशिश के दौरान,चेन्नई एयर ट्रैफिक कंट्रोल (एटीसी) ने गो-अराउंड का निर्देश दिया था। यह किसी अन्य विमान के रनवे पर होने की वजह से नहीं था।”

एयरलाइन के इस स्पष्टीकरण ने घटनाक्रम में एक अलग दृष्टिकोण प्रस्तुत किया। जहाँ वेणुगोपाल का दावा था कि रनवे पर दूसरा विमान मौजूद था,वहीं एयर इंडिया का कहना है कि यह केवल एटीसी के मानक सुरक्षा प्रोटोकॉल के तहत लिया गया निर्णय था,जो कभी-कभी मौसम की स्थिति,हवा की दिशा या अन्य तकनीकी कारणों से भी दिया जाता है।

इस घटना ने एक बार फिर भारत में विमानन सुरक्षा और आपात प्रबंधन प्रक्रियाओं को लेकर बहस छेड़ दी है। खासकर तब,जब इसमें सांसद जैसे महत्वपूर्ण यात्री सवार हों और उड़ान के दौरान लंबे समय तक तकनीकी समस्या बनी रहे। विशेषज्ञों का कहना है कि तकनीकी खराबी और खराब मौसम दोनों स्थितियाँ पायलट के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकती हैं और ऐसे में फ्लाइट डायवर्जन एक सामान्य लेकिन आवश्यक कदम होता है। हालाँकि,यात्री अनुभव और जानकारी के आदान-प्रदान में पारदर्शिता बनाए रखना भी उतना ही महत्वपूर्ण है,ताकि अफवाहों और गलतफहमियों से बचा जा सके।

चेन्नई में सुरक्षित लैंडिंग के बाद सभी यात्रियों को वैकल्पिक उड़ानों से उनके गंतव्य तक भेजा गया। इस दौरान ग्राउंड स्टाफ ने यात्रियों को आवश्यक सहायता और जानकारी प्रदान की। कई यात्रियों ने राहत व्यक्त की कि वे सुरक्षित हैं,लेकिन साथ ही यह भी कहा कि लंबी अवधि तक हवा में बने रहने से वे काफी चिंतित और थकान महसूस कर रहे थे।

इस घटना की जाँच की माँग के बाद अब निगाहें डीजीसीए पर हैं,जो संभवतः फ्लाइट रिकॉर्डर डेटा,पायलट के बयान,एटीसी संवाद और तकनीकी निरीक्षण रिपोर्ट के आधार पर अपनी रिपोर्ट तैयार करेगा। यदि तकनीकी खराबी की पुष्टि होती है,तो विमान की देखरेख और मेंटेनेंस से जुड़े सवाल भी उठ सकते हैं। वहीं,अगर एटीसी के निर्देश या मौसम की स्थिति इस निर्णय के प्रमुख कारण साबित होते हैं,तो यह एक सामान्य सुरक्षा उपाय के तौर पर दर्ज किया जाएगा।

फिलहाल,यह घटना पायलट की त्वरित प्रतिक्रिया और प्रशिक्षित निर्णय क्षमता की मिसाल बन गई है। पायलट ने न केवल चुनौतीपूर्ण मौसम में विमान को नियंत्रित रखा,बल्कि संभावित खतरे से भी यात्रियों को बचाया। हालाँकि,यह बहस जरूर जारी रहेगी कि क्या इस दौरान यात्रियों को पर्याप्त और सटीक जानकारी दी गई थी या नहीं।

एयर इंडिया की यह फ्लाइट भले ही सुरक्षित उतर गई हो,लेकिन इसने विमानन सुरक्षा,संचार और आपात प्रबंधन के मानकों पर गंभीर सवाल जरूर खड़े कर दिए हैं,जिनका जवाब केवल एक निष्पक्ष और विस्तृत जाँच ही दे सकती है।